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বাংলা কবিতা

অঞ্জলি

অমল ভট্টাচার্য্য

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দিও না ওই হাতে দেবীকে অঞ্জলি,

তুমি কন্যা ভ্রূণ হত্যাকারী !

কুয়াশা জর্জরিত অবগুন্ঠিত

ধরণী মাঝে করো বিলীন নিজেকে !

শিউলির পাদপদ্মে রহ দিবানিশী ,

নিজেকে শুদ্ধ করিবারে !

করো প্রচেষ্টা শুদ্ধ করিবারে,

করিয়া চর্বন বিল্বপত্র মূলাদি !

তুমি নরাধম , তুমি কূল বিরোধী

তুমি ভ্রান্ত , তুমি ভ্রস্ট

তুমি পিশাচ , তুমি কপট

দ্রৌপদীর বস্ত্রহরণ তোমার জ্ঞাত ,

বস্ত্রহরনের শেষাংশ তোমার অজ্ঞাত… Continue

Added by Amal on August 1, 2016 at 9:38am — No Comments

বাংলা কবিতা

কারখানা

অমল ভট্টাচার্য্য

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আগের দিনগুলো ধীরে ধীরে,

গেলো হারিয়ে অতীতের ক্রোড়ে !

এখন কারখানায় আর বাজেনা

শব্দ ভোঁ ভোঁ রবে !

এখন উপস্থিতির রেকর্ড হয়

বায়োমেট্রিক পদ্ধতিতে !



একটা সময় ছিল যখন,

কারখানার ভোঁ শব্দ আর

হৃদপিন্ডের শব্দ হতো

মিলেমিশে একাকার !

সকালবেলার ভোঁ শব্দে,

লোক ঢুকত লাইন করে !

আমরা ছোটরা বুঝতাম,

সময় হয়েছে বাবার অফিস যাওয়ার !

বয়স্করা বলতেন ঐ ভোঁ শুনে,

বেলা হয়ে… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 11:22pm — No Comments

বাংলা কবিতা

দোষ আমাদের

অমল ভট্টাচার্য্য

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ওরা সব ছোট্ট ছোট্ট শিশু,

শিশু মানেই তো ফুল ,

হতে পারে গোলাপ কিম্বা বকুল!

থাকে ওরা কেউ অনাথালয়ে,

কেউ বা পথে কিম্বা স্টেশনে !

ওরা দুঃখী নানা দুঃখে !

কেউ পায়না দেখতে চোখে,

কানে পারেনা কেউ শুনতে,

কেউ পারেনা চলতে ঠিকভাবে ,

পারেনা কেউ কথা বলতে ,

কেউ নানা রোগে ভোগে ,

মারণ নানা ব্যাধি এদের ঘিরে ,

এসবে এদের দোষ কোথায় আছে ?



দোষ যদি থেকে থাকে,

তবে তা আমাদের… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:29pm — No Comments

বাংলা কবিতা

আমি ভাগের মেয়ে

অমল ভট্টাচার্য্য

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আমি ভাগের মেয়ে !

কোনটা আমার দেশ জানিনে !

জন্ম আমার অধুনা বাংলাদেশে,

একাত্তরের যুদ্ধে,

ভিটে ছাড়া হয়ে ,

এলেম ভারতে !

ভারতের সূর্য্যের আলোয় অবগাহন করে

চাঁদের স্নিগ্ধতায় সাজিয়ে নিজেকে

বড় হলাম ধীরে ধীরে !



আমি ভাগের মেয়ে !

কালা সোনা বলে ডাকে মোরে সবে !

সুন্দর নাকি আমার মুখের হাসি ,

তারও চেয়ে সুন্দর আমার

নয়নের দুস্টু চাহনি ,

সবচেয়ে সুন্দর… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:19pm — No Comments

বাংলা কবিতা

কোলকাতা

অমল ভট্টাচার্য্য

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আমি হাঁটছি এক বিখ্যাত শহরের

এঁদো গলি দিয়ে!

হাঁটার জন্য নিয়েছি বেছে নির্জন রাতকে !

যদিও এ শহর ঘুমায় না রাতে ,

সারারাত জেগে মানবতা রক্ষা করে !



ভারতের মধ্যে এ এক অন্য ভারত,

পৃথিবীর মধ্যে এ এক অন্য পৃথিবী!

এ শহর জেগে রয় দিবা নিশী !

এখন আমি হাঁটছি এক বিখ্যাত শহরের

আলো ঝলমলে রাস্তা দিয়ে !

সব দারিদ্র্য দৈন্য যায় মুছে ,

ঝকমকে আলোর রোশনাইতে !

এখানে চা পাবে মাটির… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:06pm — No Comments

বাংলা কবিতা

সেনা থেকে ফিরে

অমল ভট্টাচার্য্য

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ওদেশ থেকে এই দেশেতে এলি,

ভিটে মাটি ছেড়ে খালি হাতে এলি!

এই দেশের জলহাওয়াতে বড় হলি,

এই দেশের নাগরিকত্বও পেলি !

পড়াশুনা এই দেশেতে করলি,

তখন যে তুই মুসলমান ছিলি!

এরপরেতে এল যে সেই দিন,

তুই সেনাতে যোগ দিলি!



আজ , তোর গর্বে বুক যে ভরে যায়,

ভাবি তোর মতো কেন সবাই না হয়!

তোর যে এখন একটাই ধর্ম,

তোর পোশাকে আছে মানবধর্ম !

তুই করিস লড়াই শত্রুর সাথে,

গুলিকে… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:03pm — No Comments

કવિતા : ફૂલો

જે દિવસે ના મ્હેકયા ફૂલો
રાત ઢળતા જ રાતરાણી થઇ ગયા.
આ ફૂલોએ જ્યારથી જોયા તમને
ગાલ એમના ગુલાબી થઇ ગયા.
વરસતા વરસાદ તમારી મુસ્કાનનો
ધરતી પર ખુશીના ફુલ ખીલતા થઇ ગયા.
- Rits Vaniya.

Added by Ritesh Vaniya on July 31, 2016 at 9:06pm — No Comments

કવિતા : સ્વપ્ન આવશે મારા આમન્ત્રણ આપવા

સ્વપ્ન આવશે મારા આમન્ત્રણ આપવા
કરશો સ્વીકાર તો એ વાસ્તવિકતાનું રૂપ પામશે.
છે મનમાં રોપ્યા મેં પ્રેમના અંકુર કુમળા
જો તમારી હા માં હા ભળશે તો એ વટવૃક્ષ થાશે.
જે પસાર થયું છે જીવન એક સુમસામ રસ્તા પર
તમારો સાથ મળશે તો એ હરિયાળો પથ થાશે.
રહ્યો છું કાફિર હું શોધમાં તમારી
જો પ્રાર્થના મારી ફળશે તો ઈશ્વરમાં શ્રધ્ધા જાગશે.
- Rits.

Added by Ritesh Vaniya on July 31, 2016 at 9:01pm — 2 Comments

કવિતા : મન થાય છે.

મન થાય છે.
વહી જતી નદીના જેવી ક્ષણોમાં
કુદકો લગાવી ખુશીઓના છ્બછબયા કરવાનું મન થાય છે.
સતત સ્પર્શતા આ પવનમાં
આવતી તારી ખુશ્બુને હથેળીમાં કેદ કરવાનું મન થાય છે.
જોતા આ હરિયાળા ખેતરો
પંખી બની એની પર ઉડવાનું મન થાય છે.
જ્યાં મળીયે હું ને તું
બસ એજ જગ્યાને આપણુ ઘર કહેવાનું મન થાય છે.
- Rits.

Added by Ritesh Vaniya on July 31, 2016 at 8:56pm — 1 Comment

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Added by Ritesh Vaniya on July 31, 2016 at 8:30pm — No Comments

Where I lost...

While developing mindset

got stuck in midway,where I lost myself !



while implementing new way

crumbled the paper,where I lost my ink !



while initiating super work

casted out again,where I lost my dear ones !



while applying ideas for people's betterment

neglected out anyhow,where I lost my identity !!



Still working out with same way, on same path

with aim to rise and reach,

to catch the smile,

to make their… Continue

Added by Pragna Sonpal on July 31, 2016 at 3:10pm — 4 Comments

ગઝલ

મારે તો નિરખવો એને હતો, કંઈ એવો એ નિરખાઈ ગયો,
કે એક જ એના જલવા થી આ કેવો તો હું અંજાઈ ગયો!!

મેં ધાર્યું હતું કે પી જઈશ હું, ખુદ ઈશ્ક તણા એ સમંદરને,
પણ એના એક જ કતરા થી હું તો નખશિખ છલકાઈ ગયો.

દીવાનગી ના આ કિસ્સાઓ એવા તો પહોંચ્યા એના લગ,
ના નામ પૂછ્યું, ના ઓળખ થઇ, એને તો પણ હું ઓળખાઈ ગયો.

આ ટેરવે ટકોરાં લઇને હું શોધી રહ્યો'તો એના દ્વાર,
એ દ્વાર મળ્યાં ને ટેરવાં ખિલ્યાં, ત્યાં 'મૂડ' મારો કરમાઈ ગયો.

Added by Vishal Parekh on July 30, 2016 at 11:46pm — No Comments

फ़र्क़

रोज़ की तरह मेरा कुर्ता

खूँटी मे टाँग वो

खामोशी से बाहर निकल गया

रोज़ पाँव छू

कर जाता था

कुर्ते की जेब मे

सिक्कों की खनखनाहट

नोटों की सरसराहट

का फ़र्क़

वो भी और मैं भी

समझ रहा था

Added by VINOD KUMAR AILAWADI on July 30, 2016 at 10:49pm — No Comments

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Added by Ritesh Vaniya on July 30, 2016 at 10:24pm — No Comments

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Added by Ritesh Vaniya on July 30, 2016 at 10:22pm — No Comments

शे'र

मुझको न कुछ भी चाहिए , मौला मेरे तुझसे 
इतनी सी इल्तजा है, मुझे सबकी जुबां कर दे

शब्द मसीहा

Added by kedar Nath "shabd Masiha" on July 30, 2016 at 6:41pm — No Comments

That Decision

Added by Foram Ruparelia on July 30, 2016 at 3:39pm — No Comments

Read Mahasweta Devi 's speech which had people in tears at Frankfurt Book Fair

Mahasweta Devi’s inaugural speech at the Frankfurt Book Fair

Mahasweta…

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Added by Anil Joshi on July 30, 2016 at 7:53am — No Comments

पाऊस

 ... आषाढ सरून श्रावण लागणार आणि  पावसाचं देखणं रूप दिसू लागणार ... पावसाचे अनेक रंगांना कवेत घेणारी हि कविता.   पावसाच्या ह्या अवखळ रंगीबेरंगी रुपाला वाहिलेली हि कविता .


पाऊस
आनंदाच्या गावावर

पाऊस मोकळा होतो 

झिम्मा खेळतो तो

त्याचा  सोहळा होतो



माडामाडांत सरी

पाऊस केवढा होतो

राजा घरी जेवढा

रंकाघरी तेवढा होतो



स्पर्शांना साठवत

पाऊस मोठा होतो

उन्हाला शिवून गुपचूप

पाऊस चोरटा होतो



भार हृदयी…
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Added by Bhavesh Lokhande on July 29, 2016 at 11:07pm — No Comments

MARWARI MERCHANT FAMILY IN GUJARAT

 

Shantidas Zaveri (1585-1659) was a famous jeweller and sarraf of Ahmadabad, he sold and design jewellery to cater to the needs of the Mughal court and other rich people of the state. He operated as a sarraf and a wholesaler as well. It is said that he breathed the…

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Added by monika sharma on July 29, 2016 at 8:16pm — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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