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Added by Sakshi garg on August 26, 2020 at 6:50pm — 3 Comments
बेशक !!
अनजान तो तुम भी नहीं हो मेरे दिल के हाल से,,
पर फिर भी कभी कभी एहसासों को भी अल्फाज़ दे देने चाहिएं ।।
Added by Sakshi garg on August 26, 2020 at 2:28pm — 1 Comment
તારી યાદોથી કંટાળીને, એકદમ હેરાન પરેશાન થઈને આજે છત પર આવ્યો. એમ વિચારીને કે હવે થોડી રાહત મળે,
ત્યાં જ નજર ચાંદપર પડી,એકદમ સુંદર, સરસ મજાનો, બિલકુલ તમારી જેમ જ. તેના પર એકવાર નજર પડે પછી નજર હટે જ નહીં,
ને તારી જે યાદો થી દૂર ભાગવાનો પ્રયાસ કરી રહ્યો હતો એ યાદો ફરી ઘેરી વળી મને.....
Added by Jayveersinh Aswar on August 25, 2020 at 9:10pm — No Comments
कच्ची उम्र के साथी,
याद रेह जाते है!
छुप-छुप कर, वो बातें करना ,
एक-दूजे घर, मिलने जाना ,
बुक्स की अदला-बदलि करना,
वो देर तक दरवाज़े पे, बातें करना ,
याद रेह जाता है !
दोस्तों संग ठिठोली करना ,
फिर एक दूज़े संग, झगड़ा करना,
सबको मानाना ,खुद रूठ जाना !
वो छुट्टियों में प्लानिंग करना,
वो मॉर्निंग की जोग्गिंग, वो संडे की मीटिंग,
बर्थडे के प्लान्स , वो गिफ्ट की शॉपिंग ,
वो शाम की चाय संग आंटी के नुस्खे,
क्रिकेट का मैच…
Added by Geeta Negi on August 25, 2020 at 6:41pm — 1 Comment
सुनना चाहती हूं मैं,
वो कहानियां , वो किस्से,
वो मेरी भूली बिसरी यादों के,
कुछ बचे हुए से हिस्से,
वो गीत, वो नज़्में,
वो तुम्हारी डायरी के पन्नों के,
कुछ फटे हुए से हिस्से ।
सुनना चाहती हूं मैं,
वो आवाज़,वो शब्द,
वो मेरे तेल में लिपटे बालों के,
कुछ जड़ी- बूटी के नुस्खे,
वो संभाल,वो हिफ़ाज़त,
वो मेरी प्यार से बंधी चोटी के,
कुछ सफ़ेद रिब्बन के हिस्से ।
सुनना चाहती हूं मैं,
वो हंसी , वो ठहाके,
वो मेरे बचपन के…
Added by Jasmine Singh on August 25, 2020 at 4:23pm — No Comments
वो मां की सूरत
वो ममता की मूरत
वो पापा की झप्पी
वो गालों पे पप्पी
वो बचपन की गुड़िया
वो कागज़ की चिड़िया
वो ज़िद में बिगड़ना
वो गिर के संभलना
वो चटमोला की गोली
वो चंदन वो रोली
वो रंग वो गुड़ की पट्टी
वो स्कूल की घंटी
वो सुलेख की कॉपी
वो पान वाली टॉफी
वो कूलर पे मेहनत
वो लगाते ही बारिश
वो मिट्टी वो कीचड़
वो तीतर के दो आगे तीतर
वो कागज़ की कश्ती
वो गोले की चुस्की
वो पापा के कंधे
वो दशहरे…
Added by Jasmine Singh on August 25, 2020 at 3:35pm — 1 Comment
आज एक हकीकत से वाकिफ हुई
एक सोच मेरे अंदर दाख़िल हुई
हर हिदायत पेश नहीं की जाती
हर तकलीफ़ बयां नहीं हो सकती
हर कोशिश कामियाब नहीं होती
हर सफ़र की मंज़िल नहीं होती
हर रात की सुबह नहीं होती।
लेकीन शायद अधूरे में ही मज़ा है
क्यूंकि पुरी हुई तो कहानी है
अधूरी है तभी तो ज़िन्दगानी है!!!
@Jhanvi sareen
Added by Jhanvi Sareen on August 25, 2020 at 9:23am — 1 Comment
Added by Sakshi garg on August 24, 2020 at 5:30pm — No Comments
साज़िशे वक़्त ने
कुछ इस तरह की,
उसमे मेरा
अक्स दिखने लगा है!
मासूमियत भरा बचपन
जाने कहा खोने लगा!
साजिशे वक़्त ने
कुछ इस तरह की,
ना हम रुक सके
ना आगे बढ़ सके ;
जो कभी आँखों का तारा था,
उसे ही दूर से देखते रहे!
घबराहट होती है
जमाने का चलन देख के ,
कही कोई साज़िशे
न कर ले उससे लेके,
फिर भी
शम्भु भरो से
रखा है उससे,
फिर कोई शाजिश हो
और वो मुझे से आ मिले !
@Geeta Negi…
Added by Geeta Negi on August 24, 2020 at 3:29pm — 1 Comment
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Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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