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घर के बड़ों को भी सिखाएँ कम्प्यूटर
प्रो. सरन घई, संस्थापक, विश्व हिंदी संस्थान, कनाडा
इन दिनों मेरी बहुत से कवियों, साहित्यकारों और रचनाकारों से बात होती रहती है। इनमें बहुत से बुजुर्ग उम्र के भी होते हैं। बड़ी खुशी होती है जब वे लोग कहते हैं कि घई साहब, आप दो मिनट दीजिये, हम अभी आप को कविता ई-मेल कर देते हैं। मन में एक खुशी का अहसास होता है कि इन्होंने बुजुर्गियत को कंबल की तरह ओढ़ कर नहीं रखा है बल्कि जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। यदि सच कहें तो ये ही वो लोग हैं जो बड़े गर्व से सिद्ध करते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती क्योंकि यह तो निष्चित है कि इन्होंने भी एक उम्र बीत जाने के बाद ही कम्प्यूटर सीखा है।
उधर दूसरी ओर ऐसे भी बहुत से कवियों और रचनाकारों से वास्ता पड़ता है जिनके लिये कम्प्यूटर पर काम न कर पाना उनकी सबसे बड़ी मजबूरी है। वो कहते हैं कि हम या तो हाथ से लिखकर भेजें या हम बोलते हैं फ़ोन पर, आप जल्दी-जल्दी लिख लीजिये। पर यहाँ कनाडा से भारत फ़ोन पर क्या कविताएँ लिखना संभव है? कुछ का यह कहना होता है कि हमें तो कम्प्यूटर नहीं आता, बेटा आयेगा तो उसे कहूँगा, अगर उसका मन हुआ तो वह ई-मेल कर देगा।
यही स्थिति है जिसकी हम बात करना चाहते हैं। क्यों न घर के छोटे जिन्हें कम्प्यूटर अच्छे से आता है, अपने बड़ों को भी सिखादें। अधिक कुछ नहीं, केवल वर्ड और ई-मेल भेजना और पढ़ना भर सिखादें तो वो बड़े जिन्हें साहित्यरचना करने का और उसे दूसरों तक पहुंचाने का शौक है, कम से कम अपनी यह इच्छा तो पूरी कर सकते हैं। मैं मानता हूँ कि उन्हें सीखने में समय लगेगा, एक या दो बार में कतिपय न सीख पायें परंतु अभ्यास करते-करते अंतत: सीख ही लेंगे। वो कहते हैं न कि ’करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान। मेहनत करेंगे तो जरूर सीख लेंगे।
मैं आपको बताऊँ, यहाँ कनाडा में जो भी नये लोग आते है, उन्हें जल्दी से जल्दी यहाँ के वातावरण और जीवनशैली में ढालने के लिये उन्हें सरकार ई एस एल क्लासेस में मुफ़्त अंग्रेजी भाषा की शिक्षा देती है। ई एस एल से तात्पर्य है इंग्लिश एज़ सैकिंड लैंग्वेज़। वो यह नहीं कहते कि अपनी भाषा बोलना लिखना बंद करदो, हिंदी, पंजाबी, गुजराती, मराठी जो भी बोलते हैं बोलिये क्योंकि वह तो आपकी फ़र्स्ट लैंग्वेज है, बल्कि वो तो चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी अंग्रेजी भी लिखना बोलना सीख जाओ ताकि आपको रोजगार मिलने में आसानी हो सके।
यहाँ यह बता देना भी समिचीन होगा कि इन कक्षाओं में न तो उम्र का कोई भेदभाव होता है ना आपकी पहले से अर्जित की हुई शिक्षा का और सोने पर सुहागा यह कि इन कक्षाओं में वे केवल अंग्रेजी ही नहीं सिखाते अपितु कम्प्यूटर चलाने का ज्ञान भी देते हैं और वो भी बिना किसी फ़ीस के। किसी भी देश से कनाडा में नये आये बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री-पुरुष सभी एक साथ बैठ कर सीखते हैं, भले ही एक-दूसरे की भाषा न जानते हों पर एक-दूसरे को सीखने में मदद करते हैं और सिखाने वाले अध्यापक भी इतने दक्ष होते हैं कि आपको चाहे अंग्रेजी का एक शब्द भी नहीं आता हो, वो आपको अंग्रेजी और कम्प्यूटर दोनों सिखा देते हैं और इस लायक कर देते हैं कि आप अपना रेज़्यूमे बना सकें, अपनी जाब एप्लीकेशन भरकर ई-मेल कर सकें, फ़ैक्स कर सकें और अपनी जरूरत के लायक कम्प्यूटर चला सकें।
यहाँ सरकार बाहर से आये लोगों के लिये इतना कुछ कर सकती है, वहाँ घर के बच्चे अपने बड़ों के लिये इतना सा नहीं कर सकते? अवश्य कर सकते हैं। बस, सबसे पहले तो बड़े और छोटे दोनों ही अपने मन से यह बात निकाल दें कि कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं? बड़ों में सीखने का चाव होना चाहिये और छोटों में सिखाने का शौक और धैर्य।
यही बात मोबाइल फ़ोन पर भी आती है। आजकल हर दिन नये माडल के फ़ोन नयी तक्नीक के साथ बाजार में आते रहते हैं। युवा वर्ग के लिये तो यह खेल के समान है लेकिन घर के बड़े तो इंतजार ही करते रहते हैं कि कब बच्चे आयें तो उन्हें फ़ोन पर बात करवादें। आखिर उनको इतनी लाचारी क्यों झेलनी पड़ती है। जरा सोचिये और कर के देखिये। हो सकता है कल को यही बड़े इतना सीख जायें कि आपकी पड़ी पेंडिग ई-मेल को अपटुडेट करदें।
कर के देखिये, न तो यह कठिन है न असंभव। अपने से बड़ों को बस थोड़ा सा समय दीजिये।
यह लेख व अन्य कविताऎँ/कहानियाँ पढ़ने के लिये क्लिक करें:www.vishvahindisansthan.com/prayas2
Courtsey: Narayani Maya,
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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