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શા માટે બાધી રાખવા સગપણના પાંજરે? લાવો, તમામ શ્વાસને આઝાદ કરી જોઉં. રમેશ પારેખ

શા માટે બાધી રાખવા સગપણના પાંજરે?
લાવો, તમામ શ્વાસને આઝાદ કરી જોઉં.

રમેશ પારેખ

Added by Juee Gor on February 11, 2015 at 8:25pm — No Comments

शायद

फ़िर एक बार..........

फ़िर एक बार वो मख़मली बयार से घिर जाऊँ मैं,

एक पल ही न क्यूँ, भूल अगर पाउँ की कहाँ हूँ मैं|

फ़िर एक बार, चहेरे पे गिरी उन जुल्फों को छु लूं,…

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Added by Janak Desai on February 11, 2015 at 10:30am — No Comments

પ્રયાણ :

ગગન ભણી પ્રયાણ થકી,

સમર્પણની પુરબહારી સંગે

પાંખોમાં પવન ભર્યો જોઈ ,

આભ પણ ઝૂક્યું ધરા ભણી;

ન વાયરો, કે ન વાદળાં…

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Added by Janak Desai on February 9, 2015 at 6:32am — No Comments

ઝરવા દે...

હે જીવ !

તું ઘણા ઘણા દિવસથી

ઉઘાડે પગે રસ્તા પર ચાલ્યો નથી .

તું કેટલાય દિવસથી

રડી શક્યો નથી -

તારી આંખ નું પાણી

નર્યું જામેલું મોતી થઇ ગયું છે .

પ્રેમ ---

તું એકવાર આક્રંદ ને જોર થી વહેવા દે .

ફક્ત આંખ ના પાણી માં જ નહિ

પ્રત્યેક રોમકૂપ માં…

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Added by Ansuya Nalin Desai on February 7, 2015 at 7:53pm — 1 Comment

ઋતુરાજ,વસંતની વધામણી સાથે........

ઋતુરાજ,વસંતની વધામણી સાથે........

ફૂલ વીણ સખે ! ફૂલ વીણ સખે !

હજુ તો ફુંટતું જ પ્રભાત સખે!

અધુંના કલી જે વિકસી રહી છે ,

ઘડી બે ઘડી માં મરતી દીસશે .

સુમહોજ્વલ આ કિરણો રવિ ના ,

પ્રસરે હજુ તો નભ ઘુમ્મટ માં .

ન વિલંબ ઘટે,, કઈ કાળ જતે

રવિ એ પણ અસ્ત થવા ઢળશે .

નમતા શિર સૌ કુસુમો કરશે ,,

પછી ગંધ પરાગ નહિ મળશે,

ફૂલ વીણ સખે ફૂલ વીણ સખે,

હજુ તો ફુંટ તું જ પ્રભાત સખે,

નક્કી ઉત્તમ અગ્રિમ કાલ સખે,

ભર યૌવન આ હજુ રક્ત સખે,

ગતિ કાલ ની ચોક્કસ ન્હોય…

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Added by Rajesh Patel on February 7, 2015 at 11:17am — 1 Comment

તત્વ

ડાળીએથી હુંકાર ઊતરે પણ ખરો ,

રાગ બિભાસ ટહુકો કરે પણ ખરો ;

આથમ્યું સઘળું અંધકારે જાય શું ?

આદિત્ય નવો અવતરે પણ ખરો ;

આમતો રંગ ચડ્યો જે, પાકો જ છે ,

અહં ઉહરે, તો રંગ ઉતરે પણ ખરો…

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Added by Janak Desai on February 6, 2015 at 2:00am — No Comments

બે પલ્લાં

બે પલ્લા :

ફોરો હતો હું ભીતરે, તેથી જ તો,

હળવો રહી બે પગ ઊપર ફરતો હતો;

તે દેહ મારો આમતો ભારે હશે, તેથી જ તો,…

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Added by Janak Desai on February 6, 2015 at 8:27pm — No Comments

પ્રણયની સોંપણી :

પ્રણયની સોંપણી :

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“તારી જરૂર છે",

હા, “મને તારી જરૂર છે",

એવું કહ્યાનું યાદ છે.

ચાલી રહ્યાં’તા…

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Added by Janak Desai on February 5, 2015 at 10:38pm — No Comments

बीते लम्हे

सियाही जो फैलती है, यूँ ही तो होती नहीं !
गुज़रे हुए लम्हे, लफ़्ज़ों मे लिपट बह जातें है |

~ जनक म देसाई



Added by Janak Desai on February 4, 2015 at 7:38am — No Comments

बीती यादें

बड़ी दूर से आया हूँ मैं, है थकन नहीं फिर भी,
चाहत की न सही, मंजिल मिल गई है फिर भी |

~ जनक म देसाई

Added by Janak Desai on February 4, 2015 at 7:43am — 1 Comment

The Journey...

The Journey...

I ....

keep traveling,

and yet i stay so still...

That…

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Added by Janak Desai on February 3, 2015 at 7:00am — No Comments

दुष्यंत कुमार....

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,

इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,

आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,

यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,

पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,

और कुछ हो या न…

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Added by Juee Gor on February 2, 2015 at 10:02pm — No Comments

ઘસારો

ભીંતો ય સઘળી ભૂલી ગઇ છે મુજને,
ઉદાસી એ ઓઢી છે મધુમાલતી તેથી જ.
જનક મ. દેસાઈ 

Added by Janak Desai on February 1, 2015 at 12:33am — No Comments

'' પંખી પર ફેંકેલો પથ્થર જયારે હૃદયને વાગે ત્યારે બની શકાય કલાપી - ડૉ હર્ષદેવ માધવ '' પરમ આદરણીય કવિરાજ શ્રી,અનિલભાઈ રાજવી કવિ કલાપીની 141-મી જન્મજયંતી મહોત્સવ તા: 24,25,26, જાન્યુઆરીએ બહુ આનંદપૂર્વક…

'' પંખી પર ફેંકેલો પથ્થર જયારે હૃદયને વાગે ત્યારે બની શકાય કલાપી - ડૉ હર્ષદેવ માધવ ''

પરમ આદરણીય કવિરાજ શ્રી,અનિલભાઈ

રાજવી કવિ કલાપીની 141-મી જન્મજયંતી મહોત્સવ તા: 24,25,26, જાન્યુઆરીએ બહુ આનંદપૂર્વક લાઠીમાં ઉજવાઈ ગયો, શ્રી,ગુજરાતી સાહિત્ય અકાદમી - ગાંધીનગર શ્રી, આરાધના ચેરીટેબલ ટ્રસ્ટ અને શ્રી, કલાપી તીર્થ સંગ્રહાલય - લાઠી દ્વારા આયોજિત પંચામૃત કાર્યક્રમની શુભ શરૂઆત નેક નામદાર ઠાકોર સાહેબ શ્રી, કીર્તિકુમારસિંહજી ગોહિલના વરદ હસ્તે દીપપ્રાગટ્ય કરીને કાર્યક્રમની શુભ શરૂઆત…

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Added by Rajesh Patel on January 30, 2015 at 1:57pm — No Comments

विश्वास करना चाहता हूँ / अशोक वाजपेयी

विश्वास करना चाहता हूँ कि

जब प्रेम में अपनी पराजय पर

कविता के निपट एकांत में विलाप करता हूँ

तो किसी वृक्ष पर नए उगे किसलयों में सिहरन होती है

बुरा लगता है किसी चिड़िया को दृश्य का फिर भी इतना हरा-भरा होना

किसी नक्षत्र की गति पल भर को धीमी पड़ती है अंतरिक्ष में

पृथ्वी की किसी अदृश्य शिरा में बह रहा लावा थोड़ा बुझता है

सदियों के पार फैले पुरखे एक-दूसरे को ढाढ़स बंधाते हैं

देवताओं के आंसू असमय हुई वर्षा में झरते हैं

मैं रोता हूँ

तो पूरे ब्रह्मांड… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 25, 2015 at 11:04pm — No Comments

ઓરડો

છે પારદર્શક તેથી જ તે કદી અંજાતું નથી,
ભીંતો ન હોવાથી જ, અંધારું બંધાતું નથી;
અંજાઉ છું જ્યારેય, હું ઓરડામાં જાઉં ત્યરે ,
તિરાડોમાં અજવાળું ક્યારેય ફસાતું નથી.

જનક

Added by Janak Desai on January 27, 2015 at 1:40am — No Comments

दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया / नासिर काज़मी

दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया

जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िदगी ने भर दिये
तुझे भी नींद आ गयी, मुझे भी सब्र आ गया

पुकारती हैं फ़ुर्सतें, कहाँ गयी वो सुह्बतें
ज़मीं निगल गयी उन्हें कि आसमान खा गया

ये सुबह की सफ़ेदियाँ, ये दोपहर की ज़र्दियाँ
अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया

गये दिनों की लाश पर पड़े रहोगे कब तलक
अलमकशों ! उठो कि सर पे आफ़ताब आ गया

Added by Rina Badiani Manek on January 27, 2015 at 6:59am — No Comments

तुमको मेरे मरने की ये हसरत ये तमन्ना / दाग़ देहलवी

तुमको मेरे मरने की ये हसरत ये तमन्ना
अच्छों को बुरी बात का अरमाँ नहीं देखा

लो और सुनो, कहते हैं वो देख के मुझको
जो हाल सुना था वो परीशाँ नहीं देखा

तुम मुँह से कहे जाओ कि देखा है ज़माना
आँखें तो ये कहती हैं कि हाँ हाँ नहीं देखा

कहती है मेरी कब्र पे रो रो के मुहब्बत
यूँ ख़ाक में मिलते हुए अरमाँ नहीं देखा

क्यों पूछते हो कौन है ये किसकी है शोहरत
क्या तुमने कभी 'दाग़' का दीवाँ नहीं देखा

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2015 at 5:09pm — No Comments

हरिवंशराय बच्चन...

मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक

कविता लिखना चाहता हूँ।

चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में

मेरे परों की रंगीनी है?'

मैंने कहा, 'नहीं'।

'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'

'नहीं।'

'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'

'नहीं।'

'जान है?'

'नहीं।'

'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'

मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार…

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Added by Juee Gor on January 20, 2015 at 9:36am — No Comments

दुआ जो मेरी बेअसर हो गई / इस्मत ज़ैदी



दुआ जो मेरी बेअसर हो गई

फिर इक आरज़ू दर बदर हो गई



वफ़ा हम ने तुझ से निभाई मगर

निगह में तेरी बेसमर हो गई



तलाश ए सुकूँ में भटकते रहे

हयात अपनी यूंही बसर हो गई



कड़ी धूप की सख़्तियाँ झेल कर

थी ममता जो मिस्ले शजर हो गई



न जाने कि लोरी बनी कब ग़ज़ल

"ज़रा आँख झपकी सहर हो गई"



वो लम्बी मसाफ़त की मंज़िल मेरी

तेरा साथ था ,मुख़्तसर हो गई



मैं जब भी उठा ले के परचम कोई

तो काँटों भरी रहगुज़र हो… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2015 at 8:58am — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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