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बाल श्रम कराना कानूनी अपराध है ..... ये कानून बने हुए काफ़ी अरसा बीत चुका है ...लेकिन बाल श्रम को कितना कम कर पाये हैं ये सभी जानते हैं ....आख़िर वो बच्चे श्रम करते क्यों हैं ? क्योंकि वो और उनका परिवार गरीब है ...उनके पास बाल श्रम करने के आलावा और कोई रास्ता नही बचता ....हाँ जानता हूँ सरकार कुछ कर रही है ...ऐसे बच्चो के लिए ...लेकिन वो सरकार की कोशिशें कितनी उन बच्चो तक पहुँच पाती हैं इस बात से कोई भी अनजान नही....शायद इसके पीछे गरीबी, शिक्षा का अभाव, रोजगार की कमी और जनसँख्या का न रोकना है ......
हमारी कंपनी के पास ही एक चाय वाले की दुकान है ....कुछ ही रोज़ पहले उन्होंने एक बाल श्रम करने वाला बालक रख लिया ....सब उसे छोटू बुलाते हैं ....छोटू जा वहां चाय दे आ ...छोटू जा वहाँ से गिलास ले आ ....
अभी दो-तीन रोज़ पहले की बात है ....मैं देखता हूँ कि एक बच्चा हमे चाय देने आया है ....कड़कती ठण्ड में उसके बदन पर सिर्फ़ एक गन्दी सी कमीज़ दिखाई दे रही थी .....हाड़ कपाती ठण्ड में वो बाल मजदूर सिर्फ़ एक कमीज़ में अपना गुजरा कर रहा है ....
उनका मालिक " पंडित जी " लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं ....और उस छोटे बच्चे को छोटू के नाम से .... पंडित जी एक अन्दर स्वेटर पहने हुए और उसके ऊपर गरम जेकेट डाले हुए ॥सिर पर टोपा लगाये हुए अपनी दुकानदारी में मशगूल हैं ...
उन्हें छोटू का तनिक भी ख्याल नही कि ऐसी हाड कपटी ठण्ड में इसे कुछ पुराना स्वेटर ही कहीं से खरीद कर दे दे ....या अपने बच्चो का कोई पुराना पड़ा हुआ स्वेटर दान स्वरुप ही दे दे ...जो छोटू कि खाल और हड्डियों को कपकपाती ठण्ड से बचा सके .....
उन्हें इस बात का ज़रा भी मलाल नही कि सिर्फ़ एक कमीज और पैंट में ही वो सारे काम कर रहा है ...चाय भी बना रहा है ...ठंडे पानी से जूठे बर्तन भी धो रहा है ....और अपने मालिक अर्थात पंडित जी की डांट - फटकार सुन रहा है और पल पल जलील भी हो रहा है ....
अगले रोज़ जब में उधर से गुजर रहा था तो देखता हूँ और सुनता हूँ .... छोटू चाय वाला अखबार में छपी हुई कुछ तसवीरें देख रहा होगा शायद ...दूर धूप सेकते हुए पंडित जी चिल्ला रहे थे और नसीहत भी दे रहे थे ....... "बडो पढिबे बाओ बन रहो है , चुपचाप चाय बनाय रहो है कि नाय" अर्थात बड़ा पढने वाला बन रहा है चुपचाप चाय बना .....
पंडित जी जलील कर सकते हैं ...नसीहत दे सकते हैं लेकिन छोटू को कोई गर्म कपड़ा नही दे सकते .... यही सब सोचते हुए में उस रात बिस्तर पर नीद के आगोश में जाने से पहले सोच रहा था ...कि काम सब करवाना चाहते हैं लेकिन उनकी छोटी सी मुसीबत का हल नही है उस मालिक के पास ....मैंने सोचा कि चलो कल मैं ही एक गर्म टीशर्ट जो मेरे पास रखी है उसे दे दूँगा...
अगले दिन जब वो मेरे पास आया चाय देने तो मैंने उसे वो टीशर्ट देनी चाही ...वोह मेरी तरफ़ अजीब से देख रहा था ...शायद उसका मासूम बचपन ख़ुद से यही सवाल कर रहा होगा कि बिना मतलब के ये मुझे ये टीशर्ट क्यों दे रहा है ...कहीं ये इसके एवज में मुझसे कुछ कराना तो नही चाहता ....मैंने कहा ले लो तुम्हे सर्दी लगती होगी ...थोड़ा तो ठण्ड से बचायेगी ....पहले तो वोह थोड़ा इनकार सा करने लगा ...मैंने कहा कि मैं तुम्हे अपना छोटा भाई समझ के दे रहा हूँ ....
हाँ थोडी सी बड़ी है लेकिन अपनी कमीज के अन्दर पहनना और पैंट में दबा लेना ....कुछ तो फायदा होगा ....शायद मेरी ऐसी बातों की वजह से उसने वोह ले ली ....मेरी ओर मुस्कुरा कर चला गया ....उसका वोह देखना ऐसा लग रहा था कि वोह कह रहा हो कि किसी को फिकर नही हम जैसों कि तो ये ऐसा क्यूँ कर रहा है और शायद मुझे धन्यवाद कर रहा हो ....
सोचता हूँ कि कुछ रोज़ में किसी स्वेटर का बंदोबस्त कर दूँ उसके लिए ...हालांकि मेरी माली हालत भी बहुत ख़राब चल रही है ....लेकिन सोचता हूँ ...देखूं कर पाता हूँ कि नही ....
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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