Made in India
कहानी
अपने पराये
सुजीता दोपहर की चाय बना रही थी, की डोरबेल बजी।सोफे पर बेठी उसकी सासने उसके हस्बैंड का लेबोरेटरी से आया नया रिपोर्ट लिया और पढ़कर,
"हे भगवान,ये कैसी मुसीबत हमारे परिवार पर आ गिरी है?"
किचन में से भागती सुजीता आयी और जल्दी से रिपोर्ट देखा,साथ में डॉक्टर ने बंम्बई के किसी बड़े अस्पताल में जाकर इलाज कराने की चिट्ठी भी लिखी थी।सुजीता की आँखोंसे आंसू बरस पड़े।
उसकी सास तो अगली पिछली बातें निकालकर सुनाती रही।
"तेरा कुछ ध्यान नहीं है,तेरी पार्ट टाइम नौकरी और छुट्टी के दिन सहेलियों के साथ किटी पार्टी …"वगैराह
'धीरे बोलिये मम्मीजी, अभी उनकी तबियत ठीक नहीं है,आज डेढ़ महीना हो गया ऑफिस भी नहीं जा रहे,ये सब सुनेंगे तो और ज्यादा दुखी होंगे।अब तो हमें कैसे उनको जल्दी इलाज करके ठीक करना है और इतने लम्बे समय तक चलनेवाली ट्रीटमेंट का खर्च भी तो जुटाना है।उनके इन्शयोरन्स का पैसा भी काफी नहीं है और हम सब महिला किटी में सिर्फ मज़ा करने थोडे जाते है ?सामजिक कार्यो से भी तो जुड़े है,आप हंमेशा मेरी गलती निकालती रहती है और हमारी नन्हीं सी गुड़िया बेटी त्रीया से भी रुखा व्यवहार करते है।
ये सुनकर सुजीता की सास शांत होकर अपने रुम में चली गयी।
सुजीता ने सबको चाय दी और अपने पति रूवीन को धीरे धीरे बातें समजा़ने लगी की,अब हमें बाहर जाकर इलाज करवाना पडेगा।
दूसरे दिन से सुजीता तैयारी में जुट गयी।
अपनी पांच साल की बेटी त्रिया की रेसीडेंशल स्कूल से इतनी तो राहत थी की बच्ची उतने समय स्कूल की होस्टेल में अच्छी निगरानी में रहे सकेगी।
त्रीया को समजा़कर उसकी दो तीन फ्रेंड वगैराह को बुलाकार समजा़ लिया।
अपनी ऑफिस से बिना सेलेरी से दो महीने की छुट्टी भी ली।उसकी सासने दो तीन संबंधीओ से फोन करके बात की और कुछ आर्थिक मदद के बारेमें भी बताया लेकिन सबने कुछ न कुछ बहाने बनाकर टाल दिया।सुजीता की दो तीन सहेलियों का फोन आया और सुजिता ने अपनी मुश्किलें बतायी लेकिन सबने 'हाँ सोचेंगे' वगैराह बातें की।उसकी सास भी साथ आने को तैयार हुई लेकिन सुजिता ने कहा,
"आपको तकलीफ होगी,मेरा भाई थोड़े दिन छुट्टी लेकर साथ रहेगा फिर जैसे ट्यूमर का पहला माइनर ओपरेशन होनेके बाद रिपोर्ट आये फिर आप आना"
बातें कर रहे थे उतने में सुजीता की किटी पार्टी के प्रमुख नीताबेन के साथ में ओर दो बहेने आयी और सुजीता को आश्र्वस्त करते हुए एक चेक दिया और कहने लगे,
"आप बिलकुल चिंता मत करना,अपनी संस्था के भंडोल से सबने मिलकर ये रकम आपको इलाज के लिए दे रहे है, जिसमें आधा तो हम सब की तरफ से है और आधी रकम आप धीरे धीरे करके भर सकेंगे,ईश्वर की कृपा से सब कुछ ठीक हो जाएगा”
बोलते सबकी आँखे भर आयी और सुजीता आंसू भरी आंखो से धन्यवाद करते हुए अपनी सास की सबसे पहचान करवाई।
सुजीता की सास भी एकदम से रो पड़ी और सबसे धन्यवाद करते हुए बोली,
‘सुजीता,सचमें समय बदलते ही कभी अपने पराये हो जाते है और जिन्हे पराये समझते है वो अपने बन जाते है "
-मनीषा जोबन देसाई
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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