Janak Desai's Blog (143)

વાજ !

છે ધીર કે ધીમી, કેમ કરીને ધારશો?
જે ચાલી રહી છે તે ચાલ છે ઉંમરની.

જનક મ દેસાઈ

Added by Janak Desai on March 3, 2015 at 9:05pm — No Comments

અવગણના

વેદનાને ય અંતે વેદના થાય છે,
પૂછે હવે: 'કાં મને અવગણાય છે?'

જનક મ. દેસાઈ 

Added by Janak Desai on March 2, 2015 at 10:11pm — No Comments

बज़्म-ए-अदब

बज़्म-ए-अदब मे सामिल कुछ खास दोस्तों के लिए :

अहल-ए-अदब, अहल-ए-अल्फ़ाज़ आप, क्या न फरमाया आपने,

लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़, लफ़्ज़ी आबगीनों से क्या क्या पिलाया आपने !…

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Added by Janak Desai on March 2, 2015 at 9:08am — No Comments

गूफ्तगु

गूफ्तगु खुद से ही कर लेता हूँ मैं ,

बहुत दूर से आती है जो.. वो

आवाज़ सून लेता हूँ मैं ,

रूह की बात रूह तक

पर, कभी…

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Added by Janak Desai on March 2, 2015 at 9:04am — No Comments

चुटकी

लम्बे समय से एक प्रश्न जो मुझे सताता रहा है, कुछ ऐसा ही एक अंग्रेजी काव्य के रूप में सामने आया.

ऐसे भी अनुवाद की ओर कदम रखने का मन था ही.

यह मेरा काव्य, अनुवाद तो नहीं, पर वो अंग्रेजी काव्य के आधार पर मेरे ख्यालों की अभिव्यक्ति है.

चुटकी ~ जनक म देसाई…

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Added by Janak Desai on February 24, 2015 at 10:30pm — No Comments

છીછરું ખાબોચિયું

તેથી જ તો બેઠો છું,

છીછરા તોયે, સાગર સમા

મારાં ખાબોચિયાના કિનારે,

ના હોડી કે હલેસાં,

ના દોડે મારાં…

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Added by Janak Desai on February 12, 2015 at 10:30pm — 1 Comment

शायद

फ़िर एक बार..........

फ़िर एक बार वो मख़मली बयार से घिर जाऊँ मैं,

एक पल ही न क्यूँ, भूल अगर पाउँ की कहाँ हूँ मैं|

फ़िर एक बार, चहेरे पे गिरी उन जुल्फों को छु लूं,…

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Added by Janak Desai on February 11, 2015 at 10:30am — No Comments

પ્રયાણ :

ગગન ભણી પ્રયાણ થકી,

સમર્પણની પુરબહારી સંગે

પાંખોમાં પવન ભર્યો જોઈ ,

આભ પણ ઝૂક્યું ધરા ભણી;

ન વાયરો, કે ન વાદળાં…

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Added by Janak Desai on February 9, 2015 at 6:32am — No Comments

બે પલ્લાં

બે પલ્લા :

ફોરો હતો હું ભીતરે, તેથી જ તો,

હળવો રહી બે પગ ઊપર ફરતો હતો;

તે દેહ મારો આમતો ભારે હશે, તેથી જ તો,…

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Added by Janak Desai on February 6, 2015 at 8:27pm — No Comments

તત્વ

ડાળીએથી હુંકાર ઊતરે પણ ખરો ,

રાગ બિભાસ ટહુકો કરે પણ ખરો ;

આથમ્યું સઘળું અંધકારે જાય શું ?

આદિત્ય નવો અવતરે પણ ખરો ;

આમતો રંગ ચડ્યો જે, પાકો જ છે ,

અહં ઉહરે, તો રંગ ઉતરે પણ ખરો…

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Added by Janak Desai on February 6, 2015 at 2:00am — No Comments

પ્રણયની સોંપણી :

પ્રણયની સોંપણી :

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“તારી જરૂર છે",

હા, “મને તારી જરૂર છે",

એવું કહ્યાનું યાદ છે.

ચાલી રહ્યાં’તા…

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Added by Janak Desai on February 5, 2015 at 10:38pm — No Comments

बीती यादें

बड़ी दूर से आया हूँ मैं, है थकन नहीं फिर भी,
चाहत की न सही, मंजिल मिल गई है फिर भी |

~ जनक म देसाई

Added by Janak Desai on February 4, 2015 at 7:43am — 1 Comment

बीते लम्हे

सियाही जो फैलती है, यूँ ही तो होती नहीं !
गुज़रे हुए लम्हे, लफ़्ज़ों मे लिपट बह जातें है |

~ जनक म देसाई



Added by Janak Desai on February 4, 2015 at 7:38am — No Comments

The Journey...

The Journey...

I ....

keep traveling,

and yet i stay so still...

That…

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Added by Janak Desai on February 3, 2015 at 7:00am — No Comments

ઘસારો

ભીંતો ય સઘળી ભૂલી ગઇ છે મુજને,
ઉદાસી એ ઓઢી છે મધુમાલતી તેથી જ.
જનક મ. દેસાઈ 

Added by Janak Desai on February 1, 2015 at 12:33am — No Comments

मासूमियत

थी एक छोटी सी कुटिया,

और था वो छोटा सा गाँव,

जो आज भी साथ लिए फिरता हूँ मैं,

आज भी इसी लिए जिंदा हूँ मैं;



जरा गौर से…

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Added by Janak Desai on January 28, 2015 at 5:27am — No Comments

एक दौर लगता है, है ना !!

काव्य पंथ पे चलते चलते..

चंद लफ्जों से बयाँ करने में एक उम्र जो गुजर गई,
उम्रभर की कहानी देखो एक शॅर में असर कर गई।

जनक

Added by Janak Desai on January 28, 2015 at 4:11am — No Comments

ઓરડો

છે પારદર્શક તેથી જ તે કદી અંજાતું નથી,
ભીંતો ન હોવાથી જ, અંધારું બંધાતું નથી;
અંજાઉ છું જ્યારેય, હું ઓરડામાં જાઉં ત્યરે ,
તિરાડોમાં અજવાળું ક્યારેય ફસાતું નથી.

જનક

Added by Janak Desai on January 27, 2015 at 1:40am — No Comments

અસ્તિત્વ

આમ તો હું પારદર્શક, તોય જાણે ભીંત સમ,
ના કશું તોડી શકાય, ના બારણું ટાંગી શકાય.

જનક

Added by Janak Desai on January 25, 2015 at 8:42pm — No Comments

અસંગતા : / જલકમલવત્ :

કમળનું જતન કાદવમાં થતું હોવા છતાં, અંતે તેને, નિજ ના સદગુણો, ખૂબસૂરતી, કોમળતા અને માધુર્ય ને લઇ ને, દેવ મસ્તકે શોભવા મળે છે. કમળમાં અસંગતા નો ગુણ છે. કાદવ મધ્યે રહેવા છતાં, કાદવ તેને સ્પર્શી નથી શકતો. તે જ રીતે, પ્રણય પણ માનવ જીવનમાં, અનેક વિઘ્નો રજૂ કરતો હોવા છતાં, સહુના હર્દયે શોભ્યા જ કરે છે. માનવી માત્રનો ધબકાર છે, પ્રાણ છે. પ્રેમનો સંબંધ અને સંદર્ભ પ્રભુ સાથે છે. પ્રભુત્વ નિરાકાર છે, નિર્મળ છે, નિસ્વાર્થી છે.



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Added by Janak Desai on January 19, 2015 at 11:54pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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