Pankaj trivedi's Blog (28)

दो लाइन

अन्न के नाम पर हो रही है कितनी राजनीति
नेताओं के घर चोर और गरीब की कमनसीबी - पंकज त्रिवेदी
*

Added by pankaj trivedi on May 7, 2013 at 7:39pm — No Comments

दो लाइन

मरीज़े मोहब्बत होकर भी मैं जी लूँगा

मौत आयेगी भी तो उसे मैं मात दूँगा - पंकज त्रिवेदी
*

Added by pankaj trivedi on May 7, 2013 at 7:30pm — No Comments

दो लाइन

गर आपकी दुआओं का न होता असर जब

हम भी कहाँ होते रहनुमा की आँखों में तब -पंकज त्रिवेदी

*

Added by pankaj trivedi on May 6, 2013 at 7:30pm — 2 Comments

*ओकलीयाँ - पंकज त्रिवेदी / ઓકળીઓ - પંકજ ત્રિવેદી

 

गुजराती में रचना रखने के बाद उसके अर्थ तक पाठकों को पहुँचाने का विनम्र प्रयास - रचना हिन्दी में भी प्रस्तुत.

 

*ओकलीयाँ - पंकज त्रिवेदी

 

 

प्रतीक्षा में लीन होकर

स्थिर तुम्हारी आँखें

मेरी आँखों में स्थिर

उभरती है ओसबिंदु बनकर

मेरे कदमों के ध्वनि के साथ ..!

 

छोटी सी बेटियों की…

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Added by pankaj trivedi on April 25, 2013 at 8:33pm — No Comments

दर्द - पंकज त्रिवेदी

एक अरसे पहले

दर्द ने मेरी चौखट पर आकर

मेरे दिल में जगह बना ली ऐसे

जैसे कोई अपने प्यार के लिए..

अब मेरा दिल मेरे बस में नहीं

वोही है जो उस पर अधिकार से

मनमानी कर लेता है और मैं उसे

कुछ भी नहीं कह पाता..

 

पता नहीं कोई सुबह या शाम को

आपके दरवाजे पर दस्तक देकर

खबर सूना भी दें कि मेरे दिल पर

जिसने अधिकार जमाया था

वो दर्द इतना हावी हो गया कि

मेरी साँसें थम गई है और आप

ताज्जुब से या थोड़े से…

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Added by pankaj trivedi on April 20, 2013 at 6:51pm — No Comments

दो लाइन

कुछ रिश्तों में माँ की गोद सा सुकून मिलता है
कुछ रिश्तों में इन्सान जिंदगी भर झुलसता है – पंकज त्रिवेदी

*

Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 10:29pm — No Comments

झंकार - पंकज त्रिवेदी



शाम ढलते ही

ठंडी हवा और पारिजात की

खुश्बू से आँगन महकने लगता है

झूले पर पूरे दिन की थकान…

शाखाओं से उठती ध्वनि से

तुम्हारे पाजेब की झंकार सुनाई देती है मुझे

लगता है जैसे कि तुम चुपके से आकर

मेरे इर्दगिर्द एक महक सी लहर बन

घूमती रहती हो...

तुम कहाँ हो यह सवाल…

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Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:25pm — No Comments

चाहत - पंकज त्रिवेदी

मेरे चंद शब्दों की सादगी से

तुम लिंपट जाती हो किसी

वटवृक्ष से लिंपटी कोमल सी बेल

तुम्हारे नाज़ुक स्पर्श से मैं सोचता हूँ

मेरी खुरदुरी सतह से तुम्हें न जाने

कितना दर्द होता होगा और फिर भी

तुम मुझसे इतना चाहती हो जैसे

मेरे चंद शब्दों की सादगी से मैं भी

तुम्हें...…

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Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:24pm — No Comments

दो लाइन

अंगारों पर चलने की पुरानी आदत है उसे
तुम रसमलाई सी बातों में न लुभाओ उन्हें - पंकज त्रिवेदी

Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:23pm — No Comments

दो लाइन

मेरी मजबूरी अगर कोई है तो वो सहने की आदत है
सर कट भी जाएँ मगर आदत मेरी झुकने की नहीं है -पंकज त्रिवेदी
*

Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:22pm — No Comments

सुप्रभात...... - पंकज त्रिवेदी

सुप्रभात....



रुपहली किरणें सूरज की

खिडकी से झाकती हुई

आपके चेहरे पे

अपने कोमल स्पर्श से

ताज़गी की जड़ीबूटी

भर देती है आपके तन-मनमें

और अलसाई सी हवा कमरे से

खुद को समेटकर चली जाती है



और एक प्याली

गरमा गरम चाय की लेकर

अपनी…

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Added by pankaj trivedi on March 25, 2013 at 9:20am — No Comments

पिता की ओर से पुत्र को अनमोल तोहफा... – संकलित - पंकज त्रिवेदी

Photo: पिता की ओर से पुत्र को अनमोल तोहफा... – संकलित • अच्छे पुस्तकों का संग करना और उसे अपने पास रखना, शुरू में भले लगे कि वो किसी काम के नहीं मगर स्वार्थ के संबंध छूट जायेंगे तब यही पुस्तक तुम्हें साथ देगा. • हर बात में उत्तम करने का आग्रह रखना और उसकी कीमत चुकानो को तैयार रहना. • तंदुरस्ती अपनेआप सही रहेगी ऐसा कही मत सोचना. • तुम्हारी आँखों के सामने निरंतर कोई सुंदर चीज रखना, क्यूँ न वो पानी भरे हुए काँच के गिलास में फूल ही हों. • तुम्हारी क्षमता के अनुसार थोडा सा कर पाओगे ये जानते हुए कुछ भी नहीं करने की सोच मत रखना. • संपूर्णता के लिए नहीं, श्रेष्ठता के लिए कार्य करते रहना. • जो बुराई है उसे परखना सीखो और उसे नज़रअंदाज़ करना भी सीखो. • अपने आप को संघर्षों की तपिश में पिघलने देना मगर खुद को जंग लगने न देना. • हार में भी अपनी उदारता दिखाना और जीत में संयम रखना. किसी की प्रशंसा लोगों के सामने करना और आलोचना अकेले में करना • लोगों में जो अच्छाई है उसे ढूँढते रहना. • अपने परीवार को कितना चाहता है उसे अपने शब्द, स्पर्श और विचारों से अभिव्यक्त करते रहना. • खुद के अंदर परिवर्तन की जो शक्ति है उसे कम मत समझना, दूसरों में परिवर्तन लाने की हमारी शक्ति को कभी ज्यादा मत समझना. • कब चुप रहना उसका ख्याल रखना और कब चुप नहीं रहना उसका स्व-विवेक भी रखना. • अन्याय के खिलाफ लड़ाई छेडना. • दूसरों की सफलता में अपना उत्साह दिखाना, दूसरे लोगों को उनका ही महत्त्व समझना. • अपनी ज़िंदगी अच्छे से बसर करने के लिए जो मेहनत करता है उसके साथ सम्मान से पेश आना, उनका कार्य छोटा ही क्यूँ न हों ! • अपनी ज़िंदगी इस तरह जीना जब तुम्हारे ही बच्चे ईमानदारी, निष्ठा, प्रामाणिकता के बारे में सोचें तब तुम्हारा चेहरा नज़र आएं. • जिसको कभी उस बात की जानकारी भी न मिलने वाली हों, उसके लिए हमेशा कुछ अच्छा करने का प्रयास करना. • विचार बड़े होने चाहिए मगर आनंद छोटी बातों में भी प्राप्त करना. • फूलों की महक को पाने के लिए अपना समय जरूर देना. • दिमाग मजबूत रखना और दिल कोमल रखना. • कौन सही है उसकी चिंता में समय कम व्यतीत करना मगर क्या सच है उसको जानने में समय पूरा देना. • महायुद्ध में जीतने के लिए छोटी छोटी लड़ाईयों में हारना भी सीखना होगा. • किसी के प्रति मन में कटुता की गठरी बंध जाएँ तो उसे छोडने का प्रयास करना, काटने का नहीं. • कोई भी चीज जिस स्थिति में हमें मिली हों, उसे और अच्छी स्थिति में किसी को देना. • तुम्हें समय नहीं ऐसा कभी मत कहना, एक दिन में तुम्हें भी उतने ही घंटे मिलते हैं जो दुनिया के महा मानवों को मिलता था. • सुख का आधार धन-मिलकत या प्रतिष्ठा पर नहीं मगर हम जिसे चाहते या आदर-सम्मान देते हैं उसके साथ हमारे सम्बन्धों पर ज्यादा आधारित हैं. • अपने बच्चों को नियमित कोई अच्छी किताबों से प्रेरित बातें करना, अच्छे गीत सुनाना. • ‘मुझे समझ नहीं’ ऐसा कहने से डरना नहीं, ‘मुझसे भूल हो गई’ ऐसा कहने में संकोच मत रखना और ‘मैं माफ़ी चाहता हूँ’ कहने में हीचाकिचाहट मत दिखाना. • कभी निष्फलता की आदत डालना भी सीखते रहना.


• अच्छे पुस्तकों का संग करना और उसे अपने पास रखना, शुरू में भले लगे कि वो किसी काम के नहीं मगर स्वार्थ के संबंध छूट जायेंगे तब यही पुस्तक तुम्हें साथ…
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Added by pankaj trivedi on March 19, 2013 at 6:57am — No Comments

मेरा इल्म – पंकज त्रिवेदी



Photo: मेरा इल्म – पंकज त्रिवेदी मैंने जब एक पौधा बोया था तब एक सपना भी देखा था पारिजात का पौधा और एक वटवृक्ष... जिसकी सुगंध मेरे मस्तिष्क में इस तरह फैल जाएँ कि पूरे दिन की थकान उतर जाएँ उसके फूलों की खुश्बू से.... घर आते ही झूले पर दिनभर की डाक और कुरियर से आई सामग्री देखने को उतावला मन खुशी से झूम उठे किसी अच्छी खबर को पढते हुए और मन को शांति मिले कि मैंने अपनी मुठ्ठी में लिए चंद शब्दों की तितलियों को जो आसमान दिया है वो पर्याप्त हैं मेरी कलम के शब्द किसी की ज़िंदगी को बसर करने का जरिया बनें किसी के बुरे वक्त की ताकत बनें या फिर बेटी को विदा करते बाप का सुकून बनें और जीवन के कुछ अनछुए लम्हों की तसवीर बनें जिसके सपने देखते रहते हैं हम ... मेरे अंतर से उभरती संवेदनाओं का पुट किसी के ज़हन में अच्छे विचार का दीप जलाएं और ज़िंदगी की दौड़ में वो अपने ही बलबूते पर सहज तरलता से आगे बढते हुए पहचान बनाएँ... और वो भी शाम को घर लौटकर अपने आँगन में देखें तो उसके चाहने वालों की ऊष्मा और प्यार से सराबोर हो जाएँ जो उसे फिर से एकबार इंसानी रूप में जन्म लेने को आश्वस्त करें अगर समय की डोर टूट भी जाएँ तो ईश्वर से कह सकें कि आपने जो ज़िम्मा दिया था मुझे उस कार्य को सम्पन्न करके आया हूँ मैं उसका गौरवान्वित चेहरा देख ईश्वर भी सर उठाकर इल्म पर मुस्कुराता रहें... **********


मैंने जब एक पौधा बोया था

तब एक सपना भी देखा था

पारिजात का पौधा और

एक वटवृक्ष...

जिसकी सुगंध मेरे…
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Added by pankaj trivedi on March 19, 2013 at 6:53am — 2 Comments

पिता की ओर से पुत्र को अनमोल तोहफा... – संकलित

  • अच्छे पुस्तकों का संग करना और उसे अपने पास रखना, शुरू में भले लगे कि वो किसी काम के नहीं मगर स्वार्थ के संबंध छूट जायेंगे तब यही पुस्तक तुम्हें साथ देगा.

• हर बात में उत्तम करने का आग्रह रखना और उसकी कीमत चुकानो को तैयार रहना.

• तंदुरस्ती अपनेआप सही रहेगी ऐसा कही मत सोचना.

• तुम्हारी आँखों के सामने निरंतर कोई सुंदर चीज रखना, क्यूँ न वो पानी भरे हुए…

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Added by pankaj trivedi on March 16, 2013 at 1:48pm — No Comments

हे कृष्ण ! - पंकज त्रिवेदी

हे कृष्ण  !

तू भी गज़ब का है रे !

माँ को छोड़ यशोदा ने पाला

राधा संग रास रचाया

कंस जैसा मामा पाया 

कृष्ण बनकर महाभारत किया…

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Added by pankaj trivedi on March 15, 2013 at 11:16pm — 3 Comments

शेर

अपनों की तलाश में ठोकरे खाता रहा हरदम

अब तो पत्थरों को भी छाले पड़ते रहे हरदम

- पंकज त्रिवेदी 

*…

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Added by pankaj trivedi on March 10, 2013 at 10:59pm — No Comments

परम की प्रकृति - पंकज त्रिवेदी

 

 

मैं आज

तुम्हारे अंदर पिघल रहा हूँ जैसे

तुम सदियों पहले बहती हुई

लावा की नदी थी और

आज मुझे देखकर ठहर गई…

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Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 9:24pm — No Comments

क्या तुम जानती हो? - पंकज त्रिवेदी

क्या तुम जानती हो?

जब भी मेरे साथ लड़ती रहती हो

गुस्सा कर देती हो और मैं

हमेशा चूपचाप सह लेता हूँ



क्या तुम जानती हो?

कि मैं जानता हूँ कि तुम अब भी उसे

भूल नहीं पा रही हो और मैं

तुम्हारे जीवन में बारिश की बौछार बनकर

आ गया हूँ



क्या तुम जानती हो?

मेरे प्यार से तुम भीग जाती हो फिर भी

तुम उस बौछार की बूंदों में पूरी तरह

भीग ही नहीं पाती हो फिर भी थोड़ी सी

ठंडक महसूस होती है जो तुम्हारे लिए

सुकून मात्र है …

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Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:15pm — 5 Comments

प्यार की लौ - पंकज त्रिवेदी

प्यार सच्चा हो अगर तो

खोता नहीं, टूटता नहीं, छूटता नहीं

आशा-अपेक्षाओं का अजगर

जकड लेता है, तोडने लगता है

विश्वास को, हावी हो जाता है अगर…

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Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:00pm — No Comments

और हम..? - पंकज त्रिवेदी

हमारे

अहसासों की धरती पर

पल रहे हैं कुछ खट्टे-मीठे

सपने



जो मुखौटे को चीरकर

दिल की तलहटी में फलते हैं…

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Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:00pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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