Made in India
Added by pankaj trivedi on May 7, 2013 at 7:39pm — No Comments
Added by pankaj trivedi on May 7, 2013 at 7:30pm — No Comments
Added by pankaj trivedi on May 6, 2013 at 7:30pm — 2 Comments
गुजराती में रचना रखने के बाद उसके अर्थ तक पाठकों को पहुँचाने का विनम्र प्रयास - रचना हिन्दी में भी प्रस्तुत.
*ओकलीयाँ - पंकज त्रिवेदी
प्रतीक्षा में लीन होकर
स्थिर तुम्हारी आँखें
मेरी आँखों में स्थिर
उभरती है ओसबिंदु बनकर
मेरे कदमों के ध्वनि के साथ ..!
छोटी सी बेटियों की…
ContinueAdded by pankaj trivedi on April 25, 2013 at 8:33pm — No Comments
एक अरसे पहले
दर्द ने मेरी चौखट पर आकर
मेरे दिल में जगह बना ली ऐसे
जैसे कोई अपने प्यार के लिए..
अब मेरा दिल मेरे बस में नहीं
वोही है जो उस पर अधिकार से
मनमानी कर लेता है और मैं उसे
कुछ भी नहीं कह पाता..
पता नहीं कोई सुबह या शाम को
आपके दरवाजे पर दस्तक देकर
खबर सूना भी दें कि मेरे दिल पर
जिसने अधिकार जमाया था
वो दर्द इतना हावी हो गया कि
मेरी साँसें थम गई है और आप
ताज्जुब से या थोड़े से…
ContinueAdded by pankaj trivedi on April 20, 2013 at 6:51pm — No Comments
कुछ रिश्तों में माँ की गोद सा सुकून मिलता है
कुछ रिश्तों में इन्सान जिंदगी भर झुलसता है – पंकज त्रिवेदी
*
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 10:29pm — No Comments
शाम ढलते ही
ठंडी हवा और पारिजात की
खुश्बू से आँगन महकने लगता है
झूले पर पूरे दिन की थकान…
शाखाओं से उठती ध्वनि से
तुम्हारे पाजेब की झंकार सुनाई देती है मुझे
लगता है जैसे कि तुम चुपके से आकर
मेरे इर्दगिर्द एक महक सी लहर बन
घूमती रहती हो...
तुम कहाँ हो यह सवाल…
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:25pm — No Comments
मेरे चंद शब्दों की सादगी से
तुम लिंपट जाती हो किसी
वटवृक्ष से लिंपटी कोमल सी बेल
तुम्हारे नाज़ुक स्पर्श से मैं सोचता हूँ
मेरी खुरदुरी सतह से तुम्हें न जाने
कितना दर्द होता होगा और फिर भी
तुम मुझसे इतना चाहती हो जैसे
मेरे चंद शब्दों की सादगी से मैं भी
तुम्हें...…
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:24pm — No Comments
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:23pm — No Comments
मेरी मजबूरी अगर कोई है तो वो सहने की आदत है
सर कट भी जाएँ मगर आदत मेरी झुकने की नहीं है -पंकज त्रिवेदी
*
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:22pm — No Comments
सुप्रभात....
रुपहली किरणें सूरज की
खिडकी से झाकती हुई
आपके चेहरे पे
अपने कोमल स्पर्श से
ताज़गी की जड़ीबूटी
भर देती है आपके तन-मनमें
और अलसाई सी हवा कमरे से
खुद को समेटकर चली जाती है
और एक प्याली
गरमा गरम चाय की लेकर
अपनी…
Added by pankaj trivedi on March 25, 2013 at 9:20am — No Comments
Added by pankaj trivedi on March 19, 2013 at 6:57am — No Comments
Added by pankaj trivedi on March 19, 2013 at 6:53am — 2 Comments
• अच्छे पुस्तकों का संग करना और उसे अपने पास रखना, शुरू में भले लगे कि वो किसी काम के नहीं मगर स्वार्थ के संबंध छूट जायेंगे तब यही पुस्तक तुम्हें साथ देगा.
• हर बात में उत्तम करने का आग्रह रखना और उसकी कीमत चुकानो को तैयार रहना.
• तंदुरस्ती अपनेआप सही रहेगी ऐसा कही मत सोचना.
• तुम्हारी आँखों के सामने निरंतर कोई सुंदर चीज रखना, क्यूँ न वो पानी भरे हुए…
ContinueAdded by pankaj trivedi on March 16, 2013 at 1:48pm — No Comments
तू भी गज़ब का है रे !
माँ को छोड़ यशोदा ने पाला
राधा संग रास रचाया
कंस जैसा मामा पाया
कृष्ण बनकर महाभारत किया…
ContinueAdded by pankaj trivedi on March 15, 2013 at 11:16pm — 3 Comments
अपनों की तलाश में ठोकरे खाता रहा हरदम
अब तो पत्थरों को भी छाले पड़ते रहे हरदम
- पंकज त्रिवेदी
*…
ContinueAdded by pankaj trivedi on March 10, 2013 at 10:59pm — No Comments
मैं आज
तुम्हारे अंदर पिघल रहा हूँ जैसे
तुम सदियों पहले बहती हुई
लावा की नदी थी और
आज मुझे देखकर ठहर गई…
ContinueAdded by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 9:24pm — No Comments
क्या तुम जानती हो?
जब भी मेरे साथ लड़ती रहती हो
गुस्सा कर देती हो और मैं
हमेशा चूपचाप सह लेता हूँ
क्या तुम जानती हो?
कि मैं जानता हूँ कि तुम अब भी उसे
भूल नहीं पा रही हो और मैं
तुम्हारे जीवन में बारिश की बौछार बनकर
आ गया हूँ
क्या तुम जानती हो?
मेरे प्यार से तुम भीग जाती हो फिर भी
तुम उस बौछार की बूंदों में पूरी तरह
भीग ही नहीं पाती हो फिर भी थोड़ी सी
ठंडक महसूस होती है जो तुम्हारे लिए
सुकून मात्र है …
Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:15pm — 5 Comments
प्यार सच्चा हो अगर तो
खोता नहीं, टूटता नहीं, छूटता नहीं
आशा-अपेक्षाओं का अजगर
जकड लेता है, तोडने लगता है
विश्वास को, हावी हो जाता है अगर…
ContinueAdded by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:00pm — No Comments
हमारे
अहसासों की धरती पर
पल रहे हैं कुछ खट्टे-मीठे
सपने
जो मुखौटे को चीरकर
दिल की तलहटी में फलते हैं…
Added by pankaj trivedi on March 8, 2013 at 4:00pm — No Comments
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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