Made in India
આજે એક કવિતા સાથે સહુ મિત્રોને અગાઉથી મેરી ક્રિસમસ આખો યુગ જ બોલાચાલીનો છે.વિરાટ મૌન સિર્ફ પ્રકૃતિમાં છે. પ્રકૃતિ પણ હવે ઉઘડતા ફુલને કહે છે કે " તને બોલકા સમારંભ અને બોલકી સભાઓમાં બુકે કે હાર બનવા નહિ જવા દઉં " આવી મથામણમાંથી આ કાવ્ય જન્મ્યું છે )
પેઢા બોલે ને જીભ સાંભળે
કાનમાં કહેવાની વાત એને કહેતા નહિ કે…
ContinueAdded by Lagani Vyas on December 22, 2016 at 2:59pm — No Comments
All the Indian women out there, this article is for you.
a piece from a virtual exhibition : Savitribai…
ContinueAdded by Lagani Vyas on November 24, 2016 at 9:00am — No Comments
Read "A New Decreed" a beautiful Urdu poem by Javed Akhtar in English, translated by Rakshanda Jalil on Syahee.com…
ContinueAdded by Lagani Vyas on November 23, 2016 at 4:07pm — No Comments
1. Writer, translator, literary historian, what does Rakshanda Jalil like to do in her free time?
The notion of 'free time' doesn't really apply in my case. I am a full-time writer.... that's ALL I do. I quit all forms of gainful employment a couple of years ago so it isn't as though I have a day job and writing is something I do on the side with some free time left over for leisure activities.…
Added by Lagani Vyas on November 21, 2016 at 10:30pm — No Comments
Added by Lagani Vyas on November 11, 2016 at 2:00pm — No Comments
The World's oldest library, Fez, Morocco
Morocco has always been at the top list of many literature and art lovers, the cherry on the top it has a new reason for all…
ContinueAdded by Lagani Vyas on September 26, 2016 at 6:08pm — No Comments
Innu kinne paani ditta, innu kinne boya aey
Patthar de jo seene uttey, boota ugya hoya aey
[Who watered it, who bestrew it,
The plant that grew on a heart of…
Added by Lagani Vyas on August 6, 2016 at 10:00pm — 1 Comment
We aren't superior or inferior to men. We want to see ourselves next to men, equal to men, but we want "period leave policy" because we are too weak to work during "those days of month". How fair is that! We are putting ourselves down and expect the world to look upto us. I refuse to be a feminist and celebrate such days because I am equal to man. I wont fight for my rights, I deserve all the rights which man has because…
ContinueAdded by Lagani Vyas on March 8, 2016 at 11:03pm — No Comments
इस एक बूँद आँसू में
चाहे साम्राज्य बहा दो
वरदानों की वर्षा से
यह सूनापन बिखरा दो
इच्छाओं की कम्पन से
सोता एकान्त जगा दो,
आशा की मुस्कराहट पर
मेरा नैराश्य लुटा दो ।
चाहे जर्जर तारों में
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालो…
Added by Lagani Vyas on March 6, 2016 at 3:40pm — No Comments
जूड़े का क्लिप
टाँक देती है कहीं
किसी भी दीवार पर
लगा देती है बिंदी
कहीं से भी शुरू करके
कैसे भी बुहार लेती है घर
किसी भी गीत को…
ContinueAdded by Lagani Vyas on March 5, 2016 at 11:24am — No Comments
और फिर कृष्ण ने अर्जुन से कहा
न कोई भाई न बेटा न भतीजा न गुरु
एक ही शक्ल उभरती है हर आईने में
आत्मा मरती नहीं जिस्म बदल लेती है
धड़कन इस सीने की जा छुपती है उस सीने में
जिस्म लेते हैं जनम जिस्म फ़ना होते हैं
और जो इक रोज़ फ़ना होगा वह पैदा होगा
इक कड़ी टूटती है दूसरी बन जाती है
ख़त्म यह सिलसिल-ए-ज़ीस्त[ भला क्या…
Added by Lagani Vyas on March 4, 2016 at 4:41pm — No Comments
क्योंकि सपना है अभी भी
इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल
कोहरे डूबी दिशाएं
कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिल
किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी भी
...क्योंकि सपना है अभी भी!…
ContinueAdded by Lagani Vyas on March 3, 2016 at 12:04pm — No Comments
अश्रु यह पानी नहीं है, यह व्यथा चंदन नहीं है !
यह न समझो देव पूजा के सजीले उपकरण ये,
यह न मानो अमरता से माँगने आए शरण ये,
स्वाति को खोजा नहीं है औ' न सीपी को पुकारा,
मेघ से माँगा न जल, इनको न भाया सिंधु खारा !
शुभ्र मानस से छलक आए तरल ये ज्वाल मोती,…
Added by Lagani Vyas on February 16, 2016 at 11:37pm — No Comments
one thing.
You know how this is:
if I look
at the crystal moon, at the red branch
of the slow autumn at my window,
if I touch
near the fire
the impalpable ash
or the wrinkled body of the log,
everything carries me to you,
as if everything that exists,
aromas,…
Added by Lagani Vyas on June 23, 2015 at 11:27am — No Comments
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं
वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक
किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम हैं
चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब
सोचते रहते हैं कि किस राहगुज़र के हम हैं
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में…
Added by Lagani Vyas on June 10, 2015 at 2:26pm — No Comments
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है
तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है
न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है
किसी का दर्द हो करते हैं तेरे नाम रक़म
गिला है जो भी किसी से तेरे सबब से है
हुआ है जब से दिल-ए-नासुबूर बेक़ाबू
कलाम तुझसे नज़र को बड़े अदब से है
अगर शरर है तो भड़के, जो फूल है तो खिले
तरह तरह की तलब तेरे रंगे-लब से है
कहाँ गए शबे-फ़ुरक़त के…
Added by Lagani Vyas on May 26, 2015 at 8:08am — No Comments
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ
हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ
होता है यूँ भी रास्ता खुलता नहीं कहीं
जंगल-सा फैल जाता है खोया हुआ सा कुछ
साहिल की गिली रेत पर बच्चों के खेल-सा
हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ
फ़ुर्सत ने आज घर को सजाया कुछ इस तरह
हर शय से मुस्कुराता है रोता हुआ सा कुछ
धुँधली सी एक याद किसी क़ब्र…
Added by Lagani Vyas on April 26, 2015 at 7:31pm — No Comments
यहाँ ये शहर को देखो तो हल्क़ा दर हल्क़ा
खिंची है जेल की सूरत हर एक सम्त फ़सील
हर एक राह गुज़र गर्दिशे-असीरां है
न संगे-मील, न मंज़िल, न…
Added by Lagani Vyas on April 10, 2015 at 12:12am — No Comments
करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुजरते वक्त की, हर मौज ठहर जायेगी
ये चाँद बीते जमानो का आईना होगा
भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा
उदास राह कोई दास्ताँ सुनाएगी
बरसता भीगता मौसम धुवा धुवा होगा
पिघलती शम्मो पे दिल का मेरे गुमा होगा
हथेलियों की हिना, याद कुछ दिलायेगी
गली के मोड़ पे, सूना सा कोई…
Added by Lagani Vyas on April 7, 2015 at 4:55pm — No Comments
करामात
लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरु किए.
लोग डर के मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे,
कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौक़ा पाकर अपने से अलहदा कर दिया, ताकि क़ानूनी गिरफ़्त से बचे रहें.
एक आदमी को बहुत दिक़्कत पेश आई. उसके पास…
Added by Lagani Vyas on March 14, 2015 at 3:12pm — 1 Comment
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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