Rina Badiani Manek's Blog – August 2014 Archive (32)

लम्हों पर बैठी नज़्मों / गुलज़ार

लम्हों पर बैठी नज़्मों को
तितली जाल में बंद कर लेना
फिर, काट के पर उन नज़्मों को
अल्बम में 'पिन' करते रहना
ज़ुल्म नहीं तो और क्या है ?

लम्हे काग़ज़ पर गिर कर ममियाये जाते हैं
नज़मों के रंग रह जाते हैं पोरों पर !!



पोरों - fingertips

Added by Rina Badiani Manek on August 14, 2014 at 6:39am — No Comments

विदा के बाद प्रतीक्षा / दुष्यंत कुमार

परदे हटाकर करीने से

रोशनदान खोलकर

कमरे का फर्नीचर सजाकर

और स्वागत के शब्दों को तोलकर

टक टकी बाँधकर बाहर देखता हूँ

और देखता रहता हूँ मैं।



सड़कों पर धूप चिलचिलाती है

चिड़िया तक दिखायी नही देती

पिघले तारकोल में

हवा तक चिपक जाती है बहती बहती,

किन्तु इस गर्मी के विषय में किसी से

एक शब्द नही कहता हूँ मैं।



सिर्फ़ कल्पनाओं से

सूखी और बंजर ज़मीन को खरोंचता हूँ

जन्म लिया करता है जो ऐसे हालात में

उनके बारे में सोचता… Continue

Added by Rina Badiani Manek on August 14, 2014 at 12:47am — No Comments

परवीन शाकिर

पिरो दिये मेरे आंसू हवा ने शाख़ों में

भरम बहार का बाक़ी रहा निगाहों में



सबा तो क्या कि मुझे धूप तक जगा न सकी

कहाँ की नींद उतर आयी है इन आंखों में



कुछ इतनी तेज़ है सुर्ख़ी कि दिल धड़कता है

कुछ और रंग पसे-रंग है गुलाबों में



सुपुर्दगी का नशा टूटने नहीं पाता

अना समाई हुई है वफ़ा की बाहों में



बदन पे गिरती चली जा रही है ख़्वाब सी बर्फ़

खुनक सपेदी घुली जा रही है सांसों में







सबा - सुबह की हवा

पसे-रंग - रंग के… Continue

Added by Rina Badiani Manek on August 12, 2014 at 9:21pm — No Comments

जाने कब तक / परवीन शाकिर

जाने कब तक रहे यही तरतीब
दो सितारे खिले क़रीब क़रीब

चांद की रोशनी से उसने लिखी
मेरे माथे पे एक बात अजीब

मैं हमेशा से उसके सामने थी
उसने देखा नहीं, तो मेरा नसीब

रूह तक जिसकी आंच आती है
कौन ये शोला-रू है दिल के क़रीब

चांद के पास क्या खिला तारा
बन गया सारा आसमान रक़ीब

शज़र:-ए-अहले-दर्द किससे मिले
शहर में कौन रह गया है नजीब



शज़र:-ए-अहले-दर्द - पीड़ितों की सूची
नजीब - पत्रकार

Added by Rina Badiani Manek on August 12, 2014 at 10:58am — No Comments

गूँगी आवाज़ /रीना

दीवारों से टकरा कर
टूटी
बिखरी पड़ी हैं....
फिर भी
बॉंब से छूटी
शार्पनेल की तरह
आरपार चीर जाती है
यह गूँगी आवाज़ ......

Added by Rina Badiani Manek on August 8, 2014 at 11:51am — No Comments

હું સમયથી ભાગી / મનોજ ખંડેરિયા

હું સમયથી ભાગી છૂટી જાઉં ક્યાં
પારદર્શક શહેરમાં છુપાઉં ક્યાં

હું ક્ષિતિજની બ્હાર હોઈશ, આવજે
આ જગામાં આ રીતે રોકાઉં ક્યાં

હું સ્વયં અંધાર છું, ના શોધ કર
તારી ફરતો છું, તને દેખાઉં ક્યાં

હું પવનથી પાતળું કૈં પોત છું
મુઠ્ઠીમાં હોવા છતાં પકડાઉં ક્યાં

આ ધુમાડો ઊડતો ઘોંઘાટનો
શાંત ક્યાં વાતાવરણ છે, ગાઉં ક્યાં

Added by Rina Badiani Manek on August 6, 2014 at 10:29am — No Comments

दिल के साथ लगा रहता है / मुहम्मद अलवी

दिल के साथ लगा रहता है
क्या जाने ये डर कैसा है

आँगन में पत्ते फूटे हैं
सीढ़ी पर इक फूल खिला है

इक साया उभरा है गली में
खिड़की में इक हाथ उगा है

पुल को भी अब याद नहीं है
नीचे इक दरिया बहता है

अपने आप को धोखा देना
कभी कभी अच्छा लगता है

Added by Rina Badiani Manek on August 5, 2014 at 4:02pm — No Comments

कौन / मुहम्मद अलवी

कभी दिल के अंधे कुएँ में
पड़ा चीख़ता है
कभी दौड़ते ख़ून में
तैरता डूबता है
कभी हड्डियों की
सुरंगो में बत्ती जलाकर
यूँ ही घूमता है
कभी कान में आके
चुपके से कहता है
तू अब तलक जी रहा है
बड़ा बेहया है
मेरे जिस्म में कौन है यह
जो मुझसे ख़फ़ा है

Added by Rina Badiani Manek on August 5, 2014 at 12:52pm — No Comments

The Lesson / Maya Angelou

I keep on dying again.
Veins collapse, opening like the
Small fists of sleeping
Children.
Memory of old tombs,
Rotting flesh and worms do
Not convince me against
The challenge. The years
And cold defeat live deep in
Lines along my face.
They dull my eyes, yet
I keep on dying,
Because I love to live.

Added by Rina Badiani Manek on August 4, 2014 at 1:16pm — No Comments

तेरे उतारे हुए दिन / गुलज़ार

तेरे उतारे हुए दिन टंगे हैं लॉन में अब तक

न वो पुराने हुए हैं, न उनका रंग उतरा

कहीं से कोई भी सीवन अभी नहीं उधड़ी



इलायची के बहुत पास रखे पत्थर पर

ज़रा सी जलदी सरक आया करती है छाँव

ज़रा सा और घना हो गया है वो पौधा

मैं थोड़ा थोड़ा वो गमला हटाता रहता हूँ -

फ़क़ीरा अब भी वहीं मेरी कॉफ़ी देता है



कभीकभी जब उतरती है चील शाम की छत से

थकी-थकी सी ज़रा देर लॉन में रूक कर

सफ़ेद और गुलाबी, 'मसुंडे' के पौधों में घुलने लगती है

कि जैसे बर्फ़ का… Continue

Added by Rina Badiani Manek on August 4, 2014 at 10:31am — No Comments

जो पुल बनाएंगे / अज्ञेय

जो पुल बनाएंगे
वे अनिवार्यत:
पीछे रह जाएंगे।
सेनाएँ हो जाएंगी पार
मारे जाएंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बन्दर कहलाएंगे

Added by Rina Badiani Manek on August 2, 2014 at 8:35am — No Comments

ग़ज़ल /दाग़ देहलवी

तब्अ बिगड़ी हुई ज़ालिम की संभाली न गई

जो गिरह दिल में पड़ी फिर वो निकाली न गई



कब मुझे देख के तलवार निकाली न गई

जब निकाली तो नज़ाकत से संभाली न गई



ग़ैर के सामने बेपरदा हुए थे इक बार

फिर नक़ाब उनसे कभी चेहरे पे डाली न गई



तू भी बेचैन हुआ दिल के सताने वाले

दर्द-मंदो की दुआ देख ले खाली न गई



ज़ुल्फ़ में रख के मेरे दिल को गिरा आए कहाँ

ये रक़म बेश-बहा जेब में डाली न गई



नातवानी में हवा से मेरे पर उड़ते हैं

छूट कर दाम से भी… Continue

Added by Rina Badiani Manek on August 1, 2014 at 12:06pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

© 2024   Created by Facestorys.com Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Privacy Policy  |  Terms of Service