Rina Badiani Manek's Blog – June 2014 Archive (9)

The Average Child / Mike Buscemi

I don’t cause teachers trouble;

My grades have been okay.

I listen in my classes.

I’m in school every day.

My teachers think I’m average;

My parents think so too.

I wish I didn’t know that, though;

There’s lots I’d like to do.

I’d like to build a rocket;

I read a book on how.

Or start a stamp collection…

But no use trying now.

’Cause, since I found I’m average,

I’m smart enough you see

To know there’s nothing special

I… Continue

Added by Rina Badiani Manek on June 25, 2014 at 11:36am — No Comments

કૅન્વાસ / હેમેન શાહ

કૅન્વાસ પર એક ઊભી રેખા દોરી હતી

બાકી અવકાશ .



સામે ઊભેલી વ્યક્તિ કહે,

આ તો ગાંધીજી !

આ ગાંધીજીની લાકડી

અને ગાંધીજી પડદા પાછળ.

પણ લાકડી તો બીજા પણ રાખે કદાચ .

તો આ રેખાને ચશ્માની દાંડી તરીકે પણ તો જોઈ શકાય .



બીજો માણસ કહે,

આમાં તો પૃથ્વીનો આખો ઇતિહાસ આવી જાય.

પણ સીધી રેખા પૃથ્વી કેવી રીતે બને ?

કેમ? રેખાને વાળો અને બે છેડા ભેગા કરો

તો પૃથ્વી ના બને ?

પછી તો પૈડું પણ આ જ

અને શુન્ય પણ આ જ.

ઓહો ! આમાં તો… Continue

Added by Rina Badiani Manek on June 19, 2014 at 6:09pm — No Comments

त्रिवेणी / गुलज़ार

जाते जाते एक बार तो कार की बत्ती सुर्ख़ हुई
शायद तुम ने सोचा हो कि रूक जाओ, या लौट आओ

सिग्नल तोड़ के लेकिन तुम इक दूसरी जानिब घूम गये

Added by Rina Badiani Manek on June 19, 2014 at 4:31pm — No Comments

ગ્રંથિભેદ / રાજેન્દ્ર શુક્લ

છેલ્લા શબદે છેલ્લી તાળી,
હવે બધું લો ખાલી ખાલી !

એ ક્ષણ તો ઊડીને આવી ,
આ ક્ષણ પ્હોંચી ચાલી, ચાલી !

એક ઘૂંટડે પૂરું કરી દ્યો,
ક્યાં લગ પીવું પ્યાલી પ્યાલી !

મૂળે તો રહેવું મૂળ માંહીં,
વેલ વળૂંભી ફૂલી, ફાલી !

ખબર બધી યે જાય ઊખડતી,
ગાંઠ ગઠી જે ઠાલી ઠાલી !

Added by Rina Badiani Manek on June 17, 2014 at 5:50pm — No Comments

रात/गुलज़ार

मेरी दहलीज़ पर बैठी हुयी जानो पे सर रखे
ये शब अफ़सोस करने आई है कि मेरे घर पे
आज ही जो मर गया है दिन
वह दिन हमजाद था उसका!

वह आई है कि मेरे घर में उसको दफ्न कर के,
इक दीया दहलीज़ पे रख कर,
निशानी छोड़ दे कि मह्व है ये कब्र,
इसमें दूसरा आकर नहीं लेटे!

मैं शब को कैसे बतलाऊँ,
बहुत से दिन मेरे आँगन में यूँ आधे अधूरे से
कफ़न ओढ़े पड़े हैं कितने सालों से,
जिन्हें मैं आज तक दफना नही पाया!!

Added by Rina Badiani Manek on June 12, 2014 at 3:18am — No Comments

સૌંદર્યબોધ /જવાહર બક્ષી

સ્હેજ કોમળ રંગ તડકો, સ્હેજ વાદળ રંગરંગ

ફૂલની એવી તરસ જાગી કે ઝાકળ રંગરંગ



એક પડછાયો પડ્યો એવો , સકળજળ રંગરંગ

એનો પડઘો એમ કૈં ડૂબ્યો કે ખળખળ રંગરંગ



હર ગતિ કે હર સ્થિતિ કે હર કોઈ સ્થળ રંગરંગ

એક એની શક્યતા ને સર્વ અટકળ રંગરંગ



મય-સમય ફીણ્યા કરે હર પળ ધવલ છળ રંગરંગ

ખોબલે લૂંટાવ પરપોટા પળેપળ રંગરંગ



એ ભલે નિર્લેપ છે પણ એમ કૈં નીરસ નથી

સાવ તો અમથા નથી હોતા કમળદળ રંગરંગ



સ્વપ્નમાં પણ કંઈ લખ્યાની કલ્પના સુધ્ધાં નથી

જાગીને… Continue

Added by Rina Badiani Manek on June 11, 2014 at 4:42pm — No Comments

'नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना / ताबाँ' अब्दुल हई

नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहर-बाँ अपना

सुनाऊँ किस को ग़म अपना अलम अपना फ़ुग़ाँ अपना



न ताक़त है इशारे की न कहने की न सुनने की

कहूँ क्या मैं सुनूँ क्या मैं बताऊँ क्या बयाँ अपना



निपट रखता है जी मेरा ख़फ़ा हूँ नाक में दम है

न घर भाता है ने सहरा कहाँ कीजे मकाँ अपना



हुआ हूँ गुम मैं लश्कर में परी-रूयाँ के हे ज़ालिम

कहाँ ढूँढूँ किसे पूछूँ नहीं पाता निशाँ अपना



बहुत चाहा कि आवे यार या इस दिल को सब्र आवे

न यार आया न सब्र आया दिया में… Continue

Added by Rina Badiani Manek on June 8, 2014 at 10:24pm — No Comments

मैं अपने घर में ही अजनबी हो गया हूँ आ कर / गुलज़ार

मैं अपने घर में ही अजनबी हो गया हूँ आ कर
मुझे यहाँ देखकर मेरी रूह डर गई है
सहम के सब आरज़ुएँ कोनों में जा छुपी हैं
लवें बुझा दी हैं अपने चेहरों की, हसरतों ने
कि शौक़ पहचनता ही नहीं
मुरादें दहलीज़ ही पे सर रख के मर गई हैं

मैं किस वतन की तलाश में यूँ चला था घर से
कि अपने घर में भी अजनबी हो गया हूँ आ कर

Added by Rina Badiani Manek on June 7, 2014 at 7:22pm — No Comments

प्यार वो बीज है / गुलज़ार

प्यार कभी इकतरफ़ा होता है; न होगा

दो रूहों के मिलन की जुड़वां पैदाईश है ये

प्यार अकेला नहीं जी सकता

जीता है तो दो लोगों में

मरता है तो दो मरते हैं



प्यार इक बहता दरिया है

झील नहीं कि जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं

सागर भी नहीं कि जिसका किनारा नहीं होता

बस दरिया है और बह जाता है.



दरिया जैसे चढ़ जाता है ढल जाता है

चढ़ना ढलना प्यार में वो सब होता है

पानी की आदत है उपर से नीचे की जानिब बहना

नीचे से फिर भाग के सूरत उपर… Continue

Added by Rina Badiani Manek on June 7, 2014 at 7:21pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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