Rina Badiani Manek's Blog – January 2014 Archive (17)

ग़ज़ल / जावेद अख़्तर

तू किसी पे जाँ को निसार करदे कि दिल को क़दमों में डाल दे

कोई होगा तेरा यहाँ कभी ये ख़याल दिल से निकाल दे



मिरे हुक्मराँ भी अजीब हैं कि जवाब लेके वो आए हैं

मुझे हुक्म है कि सवाल का हमें सीधा सीधा सवाल दे



रगो-पै में जम गया सर्द ख़ूँ न मैं चल सकूँ न मैं हिल सकूँ

मिरे ग़म की धूप को तेज़ कर, मिरे ख़ून को तू उबाल दे



वो जो मुस्कुरा के मिला कभी तो ये फ़िक्र जैसे मुझे हुई

कहूँ अपने दिल का जो मुद्आ, कहीं मुस्कुरा के न टाल दे



ये जो ज़ह्न दिन… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 30, 2014 at 11:23am — No Comments

ख़ाली जगह / अमृता प्रीतम

सिर्फ़ दो रजवाड़े थे –
एक ने मुझे और उसे
बेदखल किया था
और दूसरे को
हम दोनों ने त्याग दिया था।

नग्न आकाश के नीचे –
मैं कितनी ही देर –
तन के मेंह में भीगती रही,
वह कितनी ही देर
तन के मेंह में गलता रहा।

फिर बरसों के मोह को
एक ज़हर की तरह पीकर
उसने काँपते हाथों से
मेरा हाथ पकड़ा!
चल! क्षणों के सिर पर
एक छत डालें
वह देख! परे – सामने उधर
सच और झूठ के बीच –
कुछ ख़ाली जगह है...

Added by Rina Badiani Manek on January 30, 2014 at 10:31am — No Comments

निवाला / अमृता प्रीतम

जीवन-बाला ने कल रात

सपने का एक निवाला तोड़ा

जाने यह खबर किस तरह

आसमान के कानों तक जा पहुँची



बड़े पंखों ने यह ख़बर सुनी

लंबी चोंचों ने यह ख़बर सुनी

तेज़ ज़बानों ने यह ख़बर सुनी

तीखे नाखूनों ने यह खबर सुनी



इस निवाले का बदन नंगा,

खुशबू की ओढ़नी फटी हुई

मन की ओट नहीं मिली

तन की ओट नहीं मिली



एक झपट्टे में निवाला छिन गया,

दोनों हाथ ज़ख्मी हो गये

गालों पर ख़राशें आयीं

होंटों पर नाखूनों के निशान



मुँह… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 30, 2014 at 1:15am — 1 Comment

आईना / गुलज़ार

मैं जब भी गुज़रा इस आईने से,
इस आईने ने कुतर लिया कोई हिस्सा मेरा ।
इस आईने ने कभी मेरा पूरा अक्स वापस नहीं किया है -

छुपा लिया मेरा कोई पहलू,
दिखा दिया कोई जाविया ऐसा,
जिस से मुझ को, मेरा कोई ऐब दिख ना पाये।

मैं ख़ुद को देता रहूँ तसल्ली
कि मुझ सा तो दूसरा नहीं है ।

Added by Rina Badiani Manek on January 28, 2014 at 11:59am — No Comments

થીજી ગયેલ યુગના પ્રતિનિધિ આપણે / મનોજ ખંડેરિયા

થરથરતો દૂર થાય ના ખાલીપો તાપણે
થીજી ગયેલ યુગના પ્રતિનિધિ આપણે

દ્રશ્યો નિહાળવામાં બને અંતરાય- રૂપ
વળગ્યો છે જે ભૂતકાળનો ભાર પાંપણે

આંખો છે લીલી કાચ ને જે જોઉં તે લીલું
એવો તો ડંખ કારમો માર્યો છે સાપણે

મારી ત્વચાઓ જાણે ઉતરડી લીધી સળંગ
છીનવી લીધાં છે વિસ્મયો દુનિયાના ડહાપણે

પોતીકી વાતનો જ સૂરજ ઝળહળી શકે
અંધાર દૂર થાય ન બીજાની થાપણે

સપનાં અને ઉદાસીનાં અડતાં મકાનની
મજમુ દીવાલ જેવાં છીએ દોસ્ત , આપણે !

Added by Rina Badiani Manek on January 28, 2014 at 11:11am — 1 Comment

Fable of the Mermaid and the Drunks / Pablo Neruda

All those men were there inside,

when she came in totally naked.

They had been drinking: they began to spit.

Newly come from the river, she knew nothing.

She was a mermaid who had lost her way.

The insults flowed down her gleaming flesh.

Obscenities drowned her golden breasts.

Not knowing tears, she did not weep tears.

Not knowing clothes, she did not have clothes.

They blackened her with burnt corks and cigarette stubs,

and rolled around… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 27, 2014 at 8:12am — No Comments

એક તાલે ચાલે જિંદગી, જાણે પરેડમાં/ મનોજ ખંડેરિયા

એક તાલે ચાલે જિંદગી, જાણે પરેડમાં
શ્વાસોની આવ-જા થતી એક જ ઘરેડમાં

તલવાર જેવો ક્યાં છે સમય ધારદાર એ,
ખાલી લટકતું માત્ર રહ્યું મ્યાન કેડમાં

આકાશને કહો કે જરા વિસ્તરે વધુ !
ફફડાવે પાંખ વેદના કિરણોની શેડમાં

ઝરમરતી સાંજ આપવી આખો દિવસ તપી,
સ્હેલું નથી જ ઊભવું નભની હરેડમાં

પાતાળ-કૂવો આંખનો ખાલી કર્યું અમે,
પાણી ન પ્હોંચ્યું પૂરતું સપનાની ખેડમાં

મનોજ ખંડેરિયા

Added by Rina Badiani Manek on January 26, 2014 at 6:14pm — No Comments

If You Forget Me / Pablo Neruda

I want you to know

one thing.



You know how this is:

if I look

at the crystal moon, at the red branch

of the slow autumn at my window,

if I touch

near the fire

the impalpable ash

or the wrinkled body of the log,

everything carries me to you,

as if everything that exists,

aromas, light, metals,

were little boats

that sail

toward those isles of yours that wait for me.



Well, now,

if little by little you… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 26, 2014 at 8:11am — No Comments

ये अक्षर / अमृता प्रीतम

ख़ामोशी के पेड़ से मैंने -

ये अक्षर नहीं तोड़े

यह तो पेड़ पर से झड़े थे

मैं वही अक्षर चुनती रही .....



नहीं, आपसे या किसी से

मैं कुछ नहीं कहती

यह तो जो ख़ून में से बोले हैं

मैं वही हर्फ़ सुनती रही .....



एक बिजली सी लम्बी लकीर थी

छाती से गुज़री थी

यह तो कुछ उसी के टुकड़े

मैं अंगुलियों पर गिनती रही...



और चाँद ने चर्खे पर बैठकर

बादल की रूई काती

यह तो कुछ वही धागे हैं

मैं खड्डी पर बुनती… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 25, 2014 at 12:52pm — No Comments

मैं तुझे फिर मिलूँगी / अमृता प्रीतम

मैं तुझे फिर मिलूँगी

कहाँ कैसे पता नहीं

शायद तेरे कल्पनाओं

की प्रेरणा बन

तेरे केनवास पर उतरुँगी

या तेरे केनवास पर

एक रहस्यमयी लकीर बन

ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी

मैं तुझे फिर मिलूँगी

कहाँ कैसे पता नहीं



या सूरज की लौ बन कर

तेरे रंगो में घुलती रहूँगी

या रंगो की बाँहों में बैठ कर

तेरे केनवास पर बिछ जाऊँगी

पता नहीं कहाँ किस तरह

पर तुझे ज़रुर मिलूँगी



या फिर एक चश्मा बनी

जैसे झरने से पानी उड़ता है

मैं… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 24, 2014 at 8:34pm — 1 Comment

ગઝલ / મુકુલ ચોક્સી

શ્વાસમાંથી સંચરી ના આંખમાંથી નીતરી,
એટલે તું કૌંસમાં પારેવું અથવા જળપરી.

જે લખાવાની હજુ બાકી છે તે કંકોતરી,
એટલે તું કૌંસમાં એક વેદના આગોતરી.

આમ પાછું કંઈ નહીં ને એક સ્વપ્નીલ શૂન્યતા,
એટલે તું કૌંસમાં એક અર્થહીન યાયાવરી.

થડથી આગળ જાય તો પણ થડ વગર ચાલે નહીં,
એટલે તું કૌંસમાં ડાળી અને ફૂલપાંતરી.

મુકુલ ચોક્સી

Added by Rina Badiani Manek on January 23, 2014 at 10:41am — 1 Comment

The Lesson / Maya Angelou

I keep on dying again.
Veins collapse, opening like the
Small fists of sleeping
Children.
Memory of old tombs,
Rotting flesh and worms do
Not convince me against
The challenge. The years
And cold defeat live deep in
Lines along my face.
They dull my eyes, yet
I keep on dying,
Because I love to live.

Added by Rina Badiani Manek on January 23, 2014 at 10:37am — No Comments

ख़र्ची / गुलज़ार

मुझे ख़र्ची में पूरा एक दिन , हर रोज़ मिलता है

मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है,

झपट लेता है, कोई अंटी से !



कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने की आहट भी नहीं होती ,

खरे दिन को भी मैं खोटा समझ के भूल जाता हूं !--



गिरेबाँ से पकड़ के माँगने वाले भी मिलते हैं!

"तेरी गुज़री हुयी पुश्तों का क़र्ज़ा है,

तुझे किश्तें चुकानी हैं--"



ज़बरदस्ती कोई गिरवी भी रख लेता है, ये कह कर,

अभी दो चार लम्हे ख़र्च करने के लिये रख ले,

बक़ाया उम्र के खाते में… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 21, 2014 at 6:36pm — No Comments

ખાલી ખાલી લાગે છે/ મનોજ ખંડેરિયા

લખાતી પળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે,

સકળ કાગળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે.



સભર કેવા હતા બેચાર બિંદુના ઝગારાથી,

ફૂલો ઝાકળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે.



હતી પીડાને કારણ કેટલી આત્મીયતા ભરચક,

નયનમાં જળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે.



પડ્યું છે સાવ જડવત્ ઘાસનું મેદાન લીલુંછમ,

ભીની સળવળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે.



ભર્યું મન રહેતું ભ્રમણાથી, ભર્યું ઘર રહેતું ભણકારે,

કશી અટકળ વિના તો સાવ ખાલી ખાલી લાગે છે.



મનોજ… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 21, 2014 at 11:18am — 1 Comment

कहीं तो गर्द उड़े / गुलज़ार

कहीं तो गर्द उड़े या कहीं ग़ुबार दिखे

कहीं से आता हुआ कोई शहसवार दिखे



रवां हैं फिर भी रूके हैं वहीं पे सदियों से

बड़े उदास लगे जब भी आबशार दिखे



कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़

किसी की आँख में हम को भी इंतज़ार दिखे



ख़फ़ा थी शाख़ से शायद, कि जब हवा गुज़री

ज़मीं पे गिरते हुये फूल बेशुमार दिखे



कोई तिलस्मी सिफ़त थी जो इस हुजूम में वो

हुये जो आँख से ओझल तो बार बार दिखे



गुलज़ार



शहसवार - अच्छा… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 21, 2014 at 10:47am — 1 Comment

सब्र हर बार अख़्तियार किया / गुलज़ार

सब्र हर बार अख़्तियार किया
हम से होता नहीं , हज़ार किया

आदतन तुमने कर दिये वादे
आदतन हमने ऐतबार किया

हमने अक्सर तुम्हारी राहों में
रूक के अपना ही इन्तज़ार किया

फिर न माँगेंगे ज़िंदगी यारब
ये गुनाह हमने एक बार किया

गुलज़ार

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2014 at 12:51pm — 1 Comment

त्रिवेणी / गुलज़ार

एक तम्बू लगा है सरकस का
बाज़ीगर झूलते ही रहते हैं

ज़ेहन ख़ाली कभी नहीं होता ।

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2014 at 12:41pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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