Made in India
- આપણું મન બરડ બની ગયું છે - નાના એવા ધક્કાથી પણ તૂટી જાય એવું. આની પાછળ જવાબદાર છે, સતત દોડતાં રહેવા અને જીતતા રહેવા માટેની હરીફાઇનો સ્ટ્રેસ.
- કોઇ પણ ભોગે જીતવા માટે સતત દોડતા લોકો ઉંદરડા જેવા બની જાય છે. તેઓ ભૂલી જાય છે કે પોતે કેમ દોડી રહ્યાં છે?
૧૯ વર્ષની એક છોકરી કાઉન્સેલરની સામે બેઠી છે. એણે ત્રીજી વાર આત્મહત્યાનો પ્રયાસ કર્યો છે. નેટ પર આવેલી સ્યુસાઇડની વેબસાઇટ એ સતત ફંફોસ્યા કરે છે. ઊંઘની ગોળીઓ અને બ્લેડ એના રૂમમાં સતત એના…
Added by Kaajal Oza Vaidya on October 17, 2013 at 10:07pm — 3 Comments
Another feather in #syahee's cap..!!!!
We are very happy to announce that SYAHEE.COM is the official Online Media Partner of Sparkle International 2014, the Gem and Jewellery Festival is Organized from 3-6 January 2014 this will be the 7th edition of #Sparkle organized by the Southern Gujarat Chamber of…
Added by Sonya Shah on November 14, 2013 at 2:44pm — 2 Comments
લીટા બધા લૂછી નાખું.
કોરો કડકડતો કાગળ લઈએ,
એક-બીજાની સાથે રહીને,
નવી જ કોઈ રચના કરીએ.
તૂટેલા-ફૂટેલા ટુકડા,
કોઈક કાળા-કોઈક ઊજળા
એક પેટીમાં મૂકી દઈને
ઊંડી ઊંડી નામ વિનાની એક નદીમાં વહેવા દઈએ.
સાંજને ઉંબર આવ,
આપણે રમીએ થોડું અંગત અંગત…..
Added by Kaajal Oza Vaidya on August 27, 2013 at 2:18pm — 6 Comments
Added by Ashvini Chopra on April 15, 2013 at 7:41pm — 5 Comments
Syahee.com was honoured and humbled by the special visit and words of encouragement by Mr. Narendra Modi at the AMC National Book Fair, 2013
Added by Sonya Shah on May 1, 2013 at 7:38am — No Comments
Added by Sonya Shah on May 1, 2013 at 7:43am — No Comments
Added by Chital manish Gandhi on April 30, 2013 at 3:51pm — 1 Comment
मुख्यालय पर नुक्कड़ नाटक के दौरान पहली बार हुई मुलाक़ात के समय हमें बड़े बाप की बिगड़ी औलाद समझकर हंसने वाली को कब हम रातों को जगाने और अकेले में गुदगुदाने लगे, उसे पता ही नहीं चला। कोएजुकेशन के अनुभव से अनजान उसके चेहरे पर छाई सांझ की उदासी सूर्योदय की लाली में बदल चुकी थी। विभांशु जैसा दुर्लभ नाम आज की तारीख में आउटडेटेड हो चुके बाबू और सोनू में बदल गया। चुनावों के दौरान सिर्फ हुडदंग करने के लिए कॉलेज आने वाला टपोरी, दिल किताब को पढने के लिए अब विद्यापीठ का नियमित छात्र बन चुका था। कॉलेज…
ContinueAdded by विभांशु दिव्याल on April 23, 2013 at 1:49pm — No Comments
मैं तकरीबन २० साल के बाद विदेश से अपने शहर लौटा था !
बाज़ार में घुमते हुए सहसा मेरी नज़रें सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं, बहुत कोशिश के बावजूद भी मैं उसको पहचान नहीं पा रहा था ! लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग रहा था की मैं उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता हूँ !
मेरी उत्सुकता उस बूढ़ेसे भी छुपी न रही , उसके चेहरे…
ContinueAdded by Nihal Singh on April 23, 2013 at 2:25pm — No Comments
Why Women Cry
Watch her eyes
"A little boy asked his mother, "Why are you crying?" "Because I'm a woman , " she told him.
"I don't understand , " he said. His Mom just hugged him and said , "And you never will."
Later the little boy asked his father , "Why does mother seem to cry for no reason?"
"All women cry for no reason , " was all his dad could say.
The little boy grew up and…
Added by Disha Jain on April 22, 2013 at 10:30pm — 2 Comments
"मै और मेरा अल्मोरा ,वैसे ये अकेला मेरा अल्मोरा नही है फिर भी मै मानता हूँ ,ये सिर्फ मेरा अल्मोरा है ,अब ऐसा क्यों है ,तमाम कारन है ,मै और अल्मोरा दोनों का मिजाज एक सा है ,फितरत एक सी है ,खामोशी भी एक सी है ,आत्मीय भावो की समझ भी एक सी है तक़रीबन ,अब जब इतना कुछ मिलता जुलता हो तो भला अल्मोरा मेरा ही है, मेरा ही है ..."
अब आज की ही यहाँ की शालीन ,साफ़ सुथरी प्रक्रति का मिजाज देखे एकदम शांत ,खोया हुवा सा ,बहुत कुछ अपनी भुजाओ मै समेटा हुवा सा ,एकदम से यहाँ की फितरत शाम होते होते फिर अपने…
Added by mayank singh negi on April 23, 2013 at 12:02am — No Comments
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाना, बच्चों को गुड़धानी दे मौला
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नई सलीबें
झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला
फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा
फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला
तेरे…
Added by Anil Joshi on March 23, 2013 at 9:26am — No Comments
I shall dream of dreams,
I shall live my dreams, and
I am living one of them now,
A dream that I have longed for;
I shall cherish the moments,
I shall share the moments,
I am sharing the one I am cherishing now,
A dream that I am living now.....
I wrote this poem for a family friend who had dreamed of becoming a…
Added by Janak Desai on March 15, 2013 at 6:26am — No Comments
Added by Rekha Shukla on March 15, 2013 at 7:49am — No Comments
एक अरसे पहले
दर्द ने मेरी चौखट पर आकर
मेरे दिल में जगह बना ली ऐसे
जैसे कोई अपने प्यार के लिए..
अब मेरा दिल मेरे बस में नहीं
वोही है जो उस पर अधिकार से
मनमानी कर लेता है और मैं उसे
कुछ भी नहीं कह पाता..
पता नहीं कोई सुबह या शाम को
आपके दरवाजे पर दस्तक देकर
खबर सूना भी दें कि मेरे दिल पर
जिसने अधिकार जमाया था
वो दर्द इतना हावी हो गया कि
मेरी साँसें थम गई है और आप
ताज्जुब से या थोड़े से…
ContinueAdded by pankaj trivedi on April 20, 2013 at 6:51pm — No Comments
दुपहर को देखा न जाने
फर्श पर ये परछाई है किसकी,
वो बंध दरवाज़ा,
खुली हुई खिड़की,
फर्श पर लेटी धुप ,
धुप में बदन को सेकती ये परछाई,
खिड़की से आती हवा,
कुछ बातें करते रहेते है,
आहटों सा देते रहेते है,
कुदरत की आहटें है या खुद कुदरत?
नासमझ मैं ये आहटों को
लफ्जों में बुनती रहेती हूँ,
वो फर्श पे लेटी परछाई में अपनी
गेहेराई को ढूँढती रहेती हूँ।
(C) D!sha…
Added by D!sha Joshi on February 10, 2013 at 9:30am — 1 Comment
So called intellectuals key argument is "Can Gujarat development model work for India?"
I really doubt there intellectual level or my be by any means they want oppose modi...
Gujarat govt machinery was same with or without Modi... Modi energise the govt machinery for better and efficient way of working...
The same can be done for all India also... Its only matter of will to do the things... Thats what Modi shows such vision and sure if get chance to serve at centre stage will…
Added by Bipin Trivedi on April 21, 2013 at 7:44pm — No Comments
Added by Dhruti Sanjiv on April 22, 2013 at 8:00am — No Comments
1.सवाल : एक बार हाथ से जो चला गया वह क्या है ?
जवाब : समय, जीवन का वो पल जो अभी चल रहा है वह वापस कभी नही आता.!
2.सवाल : क्या खाने से इन्सान सुधरता है.?
जवाब : ठोकर खाने से.!
3.सवाल : ईश्वर अपने ह्रदय मेँ किस तरह छिपा है.?
जवाब : जिस तरह लकडी मेँ आग.!
4.सवाल : सुख के शत्रु कौन.?
जवाब : असंतोष, वहम और शंका.!
5.सवाल : कौन सी चीज खत्म नही होती.?
जवाब : आशा, त्ष्णा और…
Added by Nihal Singh on April 22, 2013 at 11:51am — 2 Comments
નિકારાગુઆના એક જાણીતા કવિ અરનેસ્તો કાર્દેનાલ છે. આ કવિએ મેરિલીન મનરો માટે પ્રભુને પ્રાર્થના કરતું એક સંવેદનશીલ કાવ્ય લખ્યું છે. કાવ્યનું શીર્ષક છે : ‘મેરિલીન મનરો માટે પ્રભુને પ્રાર્થના’. પ્રાર્થના વિશે એવું કહેવાય છે કે પ્રાર્થનાથી ઇશ્વર બદલાતો નથી, પણ પ્રાર્થના કરનાર બદલાય છે. બનૉડ શો તો એટલી હદ સુધી કહે છે કે ‘Most people do not pray, They only beg.’ મોટા ભાગના લોકો પ્રભુ પાસે ભિખારીની જેમ ઊભા રહે છે, પણ એક કવિ કોઇ બીજા માટે પ્રાર્થના કરે એ વધારે પવિત્ર હોય છે. આ કવિએ મેરિલીન મનરો…
ContinueAdded by Anil Joshi on April 17, 2013 at 9:16pm — No Comments
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Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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