Rina Badiani Manek's Blog – July 2014 Archive (7)

ग़ज़ल / राहत इन्दौरी

अब अपनी रूह के छालों का कुछ हिसाब करूँ

मैं चाहता था चराग़ों को आफ़ताब करूँ



मैं करवटों के नए ज़ाविए लिखूँ शब भर

ये इश्क़ है तो कहाँ ज़िंदगी अज़ाब करूँ



है मेरे चारों तरफ़ भीड़ गूँगे-बहरों की

किसे ख़तीब बनाऊँ किसे ख़िताब करूँ



उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है

बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूँ



ये ज़िंदगी जो मुझे क़र्ज़दार करती है

कहीं अकेले में मिल जाए तो हिसाब करूँ



राहत इन्दौरी



आफ़ताब - सूरज

ज़ाविए -… Continue

Added by Rina Badiani Manek on July 31, 2014 at 7:27pm — No Comments

मशवरा / मुहम्मद अलवी

मेरी जाँ इस कदर अंधे कुएँ में
भला यूँ झाँकने से क्या दिखेगा
कोई पत्थर उठाओ और फेंको
अगर पानी हुआ तो चीख़ उठेगा

Added by Rina Badiani Manek on July 30, 2014 at 4:36pm — 1 Comment

देर से /निदा फ़ाज़ली

कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं

मिला मुझको घर का पता देर से

दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे

मगर जो दिया वो दिया देर से



हुआ न कोई काम मामूल से

गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह

कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर

कभी घर में सूरज उगा देर से



कभी रुक गये राह में बेसबब

कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब

हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब

जहाँ भी गया मैं गया देर से



ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है

यही है जुदाई, यही मेल है

मैं मुड़-मुड़ के देखा… Continue

Added by Rina Badiani Manek on July 30, 2014 at 3:36pm — No Comments

ग़ज़ल / क़तील शिफ़ाई

मैनें पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठायेगा

आई इक आवाज़ कि तू जिसका मोहसिन कहलायेगा



पूछ सके तो पूछे कोई रूठ के जाने वालों से

रोशनियों को मेरे घर का रस्ता कौन बतायेगा



लोगो मेरे साथ चलो तुम जो कुछ है वो आगे है

पीछे मुड़ कर देखने वाला पत्थर का हो जायेगा



दिन में हँसकर मिलने वाले चेहरे साफ़ बताते हैं

एक भयानक सपना मुझको सारी रात डरायेगा



मेरे बाद वफ़ा का धोखा और किसी से मत करना

गाली देगी दुनिया तुझको सर मेरा झुक जायेगा



सूख… Continue

Added by Rina Badiani Manek on July 29, 2014 at 11:48am — No Comments

पागल है वो, सब कहते है / रीना

पागल है वो, सब कहते है
कद में बड़ी ही गई, लेकिन अक्लसे नहीं.
न कोई तहज़ीब , न तौर-तरीके.

वैसे तो बंद कमरे में ही रहती है
परेशां नहीं करती किसीको
लेकिन कभी कभी कमरे से भाग के बाहर आ जाती है
और लोग परेशां हों जाते है उससे...
क्या करूं उसका, कुछ समझ नहीं पाती.

उसकी आँखों में भरे आँसूओं को अनदेखा करती हूँ
तो उसकी चीखें, कानो में सुराख़ कर देती है.....

हिस्सा है इस अस्तित्व का .......
कैद कर सकती हूँ उसे, काट तो नहीं सकती......

Added by Rina Badiani Manek on July 14, 2014 at 6:26pm — No Comments

अंधियार ढल कर ही रहेगा / गोपालदास "नीरज"

आंधियां चाहें उठाओ,

बिजलियां चाहें गिराओ,

जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।



रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,

वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,

वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,

जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,

उग रही लौ को न टोको,

ज्योति के रथ को न रोको,

यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।

जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।



दीप कैसा हो, कहीं हो, सूर्य का अवतार है वह,

धूप में… Continue

Added by Rina Badiani Manek on July 7, 2014 at 8:35pm — No Comments

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी / इक़बाल

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी

मगर वादा करते हुए आर क्या थी



तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला

ख़ता इसमें बन्दे की सरकार क्या थी?



भरी बज़्म में अपने आशिक़ को ताड़ा

तिरी आँख मस्ती में हुशियार क्या थी



तअम्मुल तो था उनको आने में क़ासिद

मगर ये बता तर्ज़े-इन्कार क्या थी?



खिंचे ख़ुद-ब-ख़ुद जानिबे-तूर मूसा

कशिश तेरी ऐ शौक़े-दीदाए क्या थी



कहीं ज़िक्र रहता है इक़बाल तेरा

फ़ुसूँ था कोई तेरी गुफ़्तार क्या… Continue

Added by Rina Badiani Manek on July 1, 2014 at 8:02pm — 1 Comment

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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