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गुजराती में रचना रखने के बाद उसके अर्थ तक पाठकों को पहुँचाने का विनम्र प्रयास - रचना हिन्दी में भी प्रस्तुत.
*ओकलीयाँ - पंकज त्रिवेदी
प्रतीक्षा में लीन होकर
स्थिर तुम्हारी आँखें
मेरी आँखों में स्थिर
उभरती है ओसबिंदु बनकर
मेरे कदमों के ध्वनि के साथ ..!
छोटी सी बेटियों की…
ContinueAdded by pankaj trivedi on April 25, 2013 at 8:33pm — No Comments
एक अरसे पहले
दर्द ने मेरी चौखट पर आकर
मेरे दिल में जगह बना ली ऐसे
जैसे कोई अपने प्यार के लिए..
अब मेरा दिल मेरे बस में नहीं
वोही है जो उस पर अधिकार से
मनमानी कर लेता है और मैं उसे
कुछ भी नहीं कह पाता..
पता नहीं कोई सुबह या शाम को
आपके दरवाजे पर दस्तक देकर
खबर सूना भी दें कि मेरे दिल पर
जिसने अधिकार जमाया था
वो दर्द इतना हावी हो गया कि
मेरी साँसें थम गई है और आप
ताज्जुब से या थोड़े से…
ContinueAdded by pankaj trivedi on April 20, 2013 at 6:51pm — No Comments
कुछ रिश्तों में माँ की गोद सा सुकून मिलता है
कुछ रिश्तों में इन्सान जिंदगी भर झुलसता है – पंकज त्रिवेदी
*
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 10:29pm — No Comments
शाम ढलते ही
ठंडी हवा और पारिजात की
खुश्बू से आँगन महकने लगता है
झूले पर पूरे दिन की थकान…
शाखाओं से उठती ध्वनि से
तुम्हारे पाजेब की झंकार सुनाई देती है मुझे
लगता है जैसे कि तुम चुपके से आकर
मेरे इर्दगिर्द एक महक सी लहर बन
घूमती रहती हो...
तुम कहाँ हो यह सवाल…
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:25pm — No Comments
मेरे चंद शब्दों की सादगी से
तुम लिंपट जाती हो किसी
वटवृक्ष से लिंपटी कोमल सी बेल
तुम्हारे नाज़ुक स्पर्श से मैं सोचता हूँ
मेरी खुरदुरी सतह से तुम्हें न जाने
कितना दर्द होता होगा और फिर भी
तुम मुझसे इतना चाहती हो जैसे
मेरे चंद शब्दों की सादगी से मैं भी
तुम्हें...…
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:24pm — No Comments
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:23pm — No Comments
मेरी मजबूरी अगर कोई है तो वो सहने की आदत है
सर कट भी जाएँ मगर आदत मेरी झुकने की नहीं है -पंकज त्रिवेदी
*
Added by pankaj trivedi on April 18, 2013 at 9:22pm — No Comments
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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