Sonya Shah's Blog – January 2014 Archive (5)

ओ.पी. नैयर- महान संगीतकार

देश के महान संगीतकारो में से एक ओमप्रसाद नैयर (ओ.पी. नैयर), शायद ही कोई ऐसा हो जो ना जानता हो इन्हें! आज के ही दिन वे ७साल पहले हम सब को शारीरिक रूप से अलविदा कह गये थेI पर उनके निर्देशित किए हुए लगभग ७७हिन्दी फिल्मों के संगीत एवं गाने आज भी इतने ही लोगो के दिल में हैंI

नैयर साहब का जन्म लाहोर में १६जनवरी,१९२६ हुआ थाI ओ. पी. साहबने संगीतकी…

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Added by Sonya Shah on January 29, 2014 at 1:39pm — No Comments

એક ઘા - કલાપી

આજે કવિશ્રી સુરસિંહજી તખ્તસિંહજી ગોહિલ (કલાપી)ની ૧૪૦મી જન્મતિથિ છે. ઍમનાં ગુજરાતી સાહિત્યને આપેલ અમુલ્ય વારસામાંથી આ સુંદર રચના આવો આજે માણીઍ. 



તે પંખીની ઉપર પથરો ફેંકતા ફેફી દીધો,

છૂટ્યો તે ને અરરર! પડી ફાળ હૈયા મહીં તો!

રે રે! લાગ્યો દિલ પર અને શ્વાસ રૂંધાઇ જાતાં,

નીચે આવ્યું તરુ ઉપરથી પાંખ ઢીલી થતાંમાં.



મેં પાળ્યું તે તરફડી મરે હસ્ત મ્હારા જ-થી આ,

પાણી છાંટ્યું દિલ ધડકતે તોય ઊઠી શક્યું…

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Added by Sonya Shah on January 26, 2014 at 7:30pm — No Comments

वो जो शायर था चुप सा रहता था - गुलज़ार



वो जो शायर था चुप-सा रहता था

बहकी-बहकी-सी बातें करता था

आँखें कानों पे रख के सुनता था

गूँगी खामोशियों की आवाज़ें!



जमा करता था चाँद के साए

और गीली- सी नूर की बूँदें

रूखे-रूखे- से रात के पत्ते

ओक में भर के खरखराता था



वक़्त के इस घनेरे जंगल में

कच्चे-पक्के से लम्हे चुनता था

हाँ वही, वो अजीब- सा शायर

रात को उठ के कोहनियों के बल

चाँद की ठोड़ी चूमा करता था…

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Added by Sonya Shah on January 19, 2014 at 11:28am — 1 Comment

THE MOTHER OF ALL BOOKS -Rajni Arunkumar.

From baby bump troubles to nappy changing woes, follow Sense's humorous look at modern motherhood in India.

From “Are you throwing up yet?” and “Where’s the belly? I want to see a belly!”   to "Do you have milk?" and "No leaking?" , Sense has to grapple with not just her new found feelings with pregnancy and motherhood, but the barrage of oddly disturbing questions and advice from friends, family and so-called well-wishers.

This book traces the journey of a young Indian couple…

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Added by Sonya Shah on January 16, 2014 at 3:26pm — No Comments

मेरी तलाश छोड़ दे तू मुझको पा चुका - नक़्श लायलपुरी



मेरी तलाश छोड़ दे तू मुझको पा चुका

मैं सोच की हदों से बहुत दूर जा चुका



लोगो ! डराना छोड़ दो तुम वक्त़ से मुझे

यह वक्त़ बार बार मुझे आज़मा चुका



दुनिया चली है कैसे तेरे साथ तू बता

ऐ दोस्त मैं तो अपनी कहानी सुना चुका



बदलेगा अनक़रीब यह ढाँचा समाज का

इस बात पर मैं दोस्तो ईमान ला चुका



अब तुम मेरे ख़याल की परवाज़ देख़ना

मैं इक ग़ज़ल को ज़िंदगी अपनी बना चुका…



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Added by Sonya Shah on January 9, 2014 at 10:20am — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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