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कवि हूँ मैं...
बंद आँखो को खोल नई सोच को जगाने दो ज़रा,
सूरज की नई किरनो से नहाने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
बारिश से भीगी माटी को सूंघने दो ज़रा,
रंग-बिरंगी फुलो के उपवन मे टहलने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
मंद मंद बहते पवन से कुछ पूछने दो ज़रा,
कोयल के मीठे स्वर से स्वर मिलाने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
टूटते तारे को देख कुछ माँगने दो ज़रा,
नींद के मीठे सपनो मे खोने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
भूले हुए कल की यादे ताज़ा करने दो ज़रा,
समय की रफ़्तार से कुछ पल छीनने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
समाज के भेद-भाव को तोड़ नये मोड़ पे चलने दो ज़रा,
मानवता और शांति से थोड़ा प्रेम करने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
दिल की नन्ही चिंगारी को ज्वाला बनने दो ज़रा,
आसमान से उँचे लक्ष्य को पाने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
ज़िंदगी के हर पल को खुशी से गाने दो ज़रा,
मन के थनगनते मोर को नाचने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
भीड़-भाड़ से दूर अकेलेपन को महसूस करने दो ज़रा,
प्रकृति की विशाल गोद मे सोने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
हाथ से हाथ मिलाकर दूसरो से घुलने दो ज़रा,
सब कुछ भुलाकर सिर्फ़ मुस्कुराने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कुछ कहने दो ज़रा...
कविता के रसपान को आँखो से पीने दो ज़रा,
और एक नयी दुनिया मे हमेशा के लिए खो जाने दो ज़रा,
कवि हूँ मैं,मुझे कहने दो ज़रा...
-राज-
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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