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मेरी प्रिय बहेन,
आशा है सुखी मंगल होगी.
हमने स्वप्न में भी नहीं सोचा था के हमारी मुलाकात होगी और वो पवित्र संबंध का स्थान ले लेगी. अलग अलग राज्यों और संस्कृति में हमने जन्म लिया और अचानक हम दोनों मिले या कहो इश्वर ने दो भाई बहनों को मिला दिया और कुछ वर्षो के मिलन के बाद फिर हम फीर बिछड गए हैं.
एक भाइ अपने बहन के लिये सदा सुख विचार ही रखता है ओर सदा अपनी बहन को सुख देखना चाहता है. इस लिये में आपसे कुछ बातें करता चाहता हुं.
प्रिय बहेन ईश्वरने मनु्ष्य को इस धरती पर जन्म दिया, जिसे हम आदम और हव्वा के नाम से जानते हैं. बाइबल में एडम और इव और वेदो में मनु तथा शतरृपा के नाम से.
जिस ईश्वररने मनुष्यको पृश्वी पर जन्म देने से पहले उसकी सारी आवश्क्ताओ को पृश्वी पर उपहार के रुप में दिया. ये सूर्य ये जल ये वायु और मनुष्य अपनी सारी इच्छाएं यहां प्राप्त कर रहा है और पृश्वी और ब्रह्मांड की सारी वस्तुएं मनुष्य की सेवा कर रही हैं. युं कह सकते हैं के ईश्वर सृष्टी को सर्वश्रेष्ठ सर्जन मनुष्य की सेवा के लिये उतपन्न किया और मनुष्य को अपनी भकती के लिये ईश्वरने आध्यात्मिक आवश्ययक्ताएं और जीवन व्यतित करने लिये मार्गदर्शऩ भी दिया. ये बात तर्क से सिद्ध है के जो वस्तु (जेसे के मोबाइल - कम्प्युटर) का निर्माण करता है वही उस्के उपयोग का सत्य मार्ग भी बताता है. वो वस्तु स्वयं अपनी सूची तैयार नही कर सक्ती. ईश्वरने मनुष्य को बताया कि ये मेरा सत्य मार्ग है यदि इस्के अनुसार कार्य करोगे तो स्वर्ग (अनंत जीवन और नसमाप्त हौने वाला सुख है) तुम्हारा भाग्य होगी अन्यथा नर्क का कठिन और यातनामय जीवन तुमको व्यतित करना पडेगा. एसा जीवन न जहां जीवन है न ही मृत्यु, बस अग्नी ही अग्नी, जो अवज्ञाकारी मनुष्य को सदा जलाती रहेगी.
प्रिय बहन कुरआन कहता है कि सारे मनुष्य एक ही मा-बात के संतान है, और सबका मार्गभी एक ही था. लेखइन मनुष्य के स्वार्थ वत्ति, लोभ और लालच के कारण बहुत से धर्म संप्रदाय बनते चले गये. ईश्वर समय समय पर अपने दूत द्वारा मनुष्य को सत्य मार्ग बताता रहा. इसी दरमियान मनुषअय की जनसंख्या बढती रही और वह सारी पृथ्वी पर फेल गयी. कुरआन में परमकृपाळु ईश्वर कहता है किस संसारमें कोइ बस्ती का स्थान एसा नहीं जहां हमने अपने दूत न भेजे हो. लेकिन उन दूतो के इस संसार से जाने के पश्चात उनके अनुयायीओ ने उनकी शिक्षाओ को भुला दिया या उनकी शिक्षाओ में मिलावट कर दिया, जिसके कारण ईशअवरीय शिक्षाए असुद्ध हो गयी. अंत में ईश्वर ने अपने अंतिम दूत के रूपमें मुहम्मद पयगम्बर को भेजा. जो समग्र मानवजात के लिये दूत, कृपा और उद्धारक हैं. उन्होने ईश्वरीय शिक्षाओ का शुद्ध स्वरुप प्रस्तुत किया. जिसके आधार स्तंभ तीन हैं, एकेश्वरवाद, ईश्दूत, जीवन मृत्यु के पश्चात. ईस तीनो स्तभो पर आधारित मार्गदर्शऩ नया नही था बाईबल और वेदोमें भी ये शिक्षाऐ थी मगर बदल दी गइ. एकेश्वरवाद के नाम पर मुर्ति पुजा और व्यक्ति पूजा, ईश्तूद के नाम पर अवतारवाद या ईश्वर खुद मनुष्य के रुपमें जन्म ले और जीवन मृत्यु के पश्चात धरती पर पूनःजीवन जेसी असुद्धीयां घर कर गयी और धर्म क सत्य व सुद्ध स्वरुप मिटा दिया गया.
हमें ईश्वरने जो अमुल्य जीवन दिया है उसमें हमें जरुर सत्य की शोध करनी चाहीये , हम भोतिक जीवन के मायाजाल में फंसकर इस अमुल्य रत्न को न खों बेठे.
प्रिय बहन इस जीवन के पश्चात मृत्यु निश्चित हे. कोइ पुरुष या महापुरुष जीवीत नहीं. सबको मरना है मृत्यु के पश्चात फिर एक दिन आयेगा के ये संसार खत्म हो जायगा (प्रलय होगी). फइर ईशअवर सबजो जीवीत करके सभी मनुष्यसे उनके कर्मो का हिसाब लेगा. फिस जिसने मुर्तिपूजा न कि होगी मात्र अपने पालनहार परमकृपाळु ईश्वर को ही सत्य माना होगा उसकी शिक्षआ के अनुसार सत्यकर्म किये होंगे और प्रलय के पश्चात अपने ईश्वर के सामने खडा होने काम भय (प्रकोप और अप्रसन्नता का भय) दिया होगा उसे मोक्ष मिलेगा स्वर्ग में जाएगा जिसने एसा न किया वो नर्क में जाएगा.
प्रिय बहन में तो आपसे नही कहता मगर मेरी भावनाएं संयमित न रह कर आपसे कह रही है कि इस सत्य मार्ग से अपने जीवन को सुशोभित करतो आपकी संसारीक जीवन का ध्येय भी सफल होगा और मृत्यु के पश्चात का जीवन भी सफल होगा. हमारा ईशअवर बहुत कृपाळु हे उसने कहा हे कि इस्लाम पिछले बुरे कर्मो को मिटा देता है वो बहुत क्षमा करने वाला है.
इस्लाम हम को श्रद्धा की शिक्षा देता है, अंधश्रद्धा की नहीं. बाप-दादा की रीत रिवाज से उपर उठकर टतस्य मनोमास्तिक से सत्य की शोध करोगी तो सत्य अवस्य मिलेगा. आप स्वयं इस्लाम का अध्यन (कुरआन और मुहम्मद पयगम्बर की जीवनी) करना और फिर फेंसला लेना. कुछ दिनो का संसारिक जीवन तो केसे भी कट जाएगा मगर मे अपनी प्रिय बहन को नर्क की आग से जलते नहीं देख सकता. वेदो में भी कहा है "सत्य मार्ग को दुष्कर्मी पार नहीं कर सकते" (ऋग १७३:६ )
आप कुछ दिनो में यहां से चले जाएंगी, विदाइ के इस अवसर पर मेरे पास कुछ नहीं मगर ये भावनात्मक शब्द हैं. अगर मेरे किसी शब्द या वाक्य से ठेस पहोंचे तो कृपा मुक्षे क्षमा करना. संसार के किसी मोड पर कोइ कठिनाइ आये तो अपने इस कमजोर भाई को याद करना में सहायता करने का प्रयत्न करुंगा.
आपका प्रिय भाई
राशिद हुसैन शेख ए.
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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