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ऐक होरर कहानी
शामका साया
तेज़ दौड़ती हुई ट्रेनकी खिड़कीके पास बैठी हुई तक्षवी, उड़ती हुई लटोको संभालती घडीमें टाइम देख रही थी ।बस अब आधा घंटा रहा होगा।शिमलासे और एक ट्रेन चेंज करके आगे जाना था ।उसके हसबैंड ७-८ महिने पहले तबादला होनेकी वजहसे यहाँ आये थे और वो बच्चोंकी स्कूल और बादमे टूर वगेरा का इंतज़ाम करके आज पहोच रही थी।बारिशका समय था और एकदम धुँधलासा एटमॉस्फियर था.ट्रेन में थोड़े से पेसेंजर थे ।
ट्रेनके टाइममें चेंज होनेकी वजहसे १५ मिनिटके डिस्टन्सपे ही गवर्मेंट बँगला था तो,पहोचके फोन करती हु करके रहे गया ।जलदीसे 2-3 पेसेनजर सामान लेके दरवाजे की आेर जाते हुऐ देख वो भी पानीसे मुंह वगेरा घोके वापस अपनी सीटके उपर बैठ गइ।उतनेमे सामनेकी सीटवाली औरत कहेने लगी,'
'आप सहसागढ जा रहे हो?
'हां,मेरे हसबंडकी यहां पोस्टींग हुइ हे और मे 6महीने बाद आ रही हूं।अभी 15-20 मीनीटमे सहसागढ आ जायेगा'
'लेकीन आपको दीनमें आना चाहीये शाम
को ये इलाका अच्छा नहीं,यहां दो-तीन बार खराब हादसे हो चूके है और गांवमें आत्मा वगैराकी अफवाये भी फैली हूइ है
' मै तो इन सब बातोमें बीलकूल भी नही मानती ,विझान इतना आगे बढ चूका है ओर इस टेकनोलोजी के जमानेमें एसा कुछ संभव ही नहीं,ओर मै तो काफी अनजान जगाओ पे रही हूं इनका काम ही एसा है के मुज्ञे बहोतबार अकेले रहेना पडतां है।अब तो काफी हिंमत आ गइ है।
'हां ; लेकिन ये नेटवकँ काभी कोइ ठीकाना नहीं यहां ,हमारा गांव नज्दीकमें ही है ,सब लोग बाते करते हे वो सुनते रहेते है.'
'हां,मेरे हसबंड भी कीसी हादसे के बारेमें बता रहे थे ,काफी सूमसाम इलाका है ,लेकीन गवॅमेनटके हाउस है और सब सुविधाएभी है ।
वो औरत ये सुनके चूप हो गइ ओर तक्षवीने फोन लगाके उद्देशसे बात करनी चाही लेकिन डीस्टबन्सकी वजहासे बराबर कुछ सुनाइ नहीं दे रहा था।
स्टेशनपे ट्रेनके रुकते ही धीमीसी बारिशमें खड़ी होके सामनेसे एक कुलीको आवाज़ दी ।और दो पेसेंजर उतरे थे वो रेलकी पटरी क्रॉस करके सामनेकी और चले गए ।अपने हसबैंड उद्देशको फोन लगाया लेकिन नेटवर्क नहीं था। बारिश तेज़ होने लगी थी ,अपना छाता निकालके धीरे धीरे स्टेशनके बाहर आके खड़ी रही ,घने पेड़ोंसे लिपटा हुआ पूरा इलाका और छोटासा स्टेशन- ऑफिस कोहरेमे आधा ढक गया था । कुली वापस अंदरकी और चला गया ।बाहर दूर एक दो खाली कार पड़ी हुई थी एक दो स्कूटर वगेरा .,एक टैक्सी भी थी लेकिन पास जाके देखा तो ड्राइवरका कोई पता नहीं था ।पता नहीं क्यों ऐसे तो कई बार काफी जगाओ पे रहे थे लेकिन ऐसे हवामें डरावनी सी चुप्पी कभी महसूस नहीं की थी ।चनार के पेड़ों की साय -साय और बारिशकी बूंदेभी जैसे तूफ़ानके करे की तरहा हाथोपे चुभ रही थी ।एक बेग और हेंड लगेज लेते हुए काफी मुश्किलसे सड़कके पास आके खड़ी रही जहांसे आता हुआ रास्ता साफ़ दिखाई रहा था ।
उतनेमें दूरसे एक कार आती हुई दिखी ।हाश ,मेरा तो जी गभरा रहा था ।थोड़े समय पहले यहाँ पे एक कपल के साथ हुए हादसेकी वजहसे इस इलाके में शामको चहलपहल काफी कम हो जाती थी उद्देश की कही हुई बात याद आते तक्षविके रोंगटे खड़े हो गए और इतनी ठण्ड मेंभी रुंमालसे मुंह पे पसीना पोंछने लगी ।
उतनेमें कार पास आके वापस टर्न लगाके नज़दीकमें खड़ी हो गयी। ऑटोलॉकसे पीछेका दरवाज़ा खुला और "जल्दी बैठो ' उद्देश आवाज़ सुनके जल्दीसे अपना सामान सिटपे रखके बैठ गयी।ड्राइवरशीट और पिछेकी शीटके बीचमे कांच था और ड्राइविंग सीटके बाजूमे बडासा बक्सा रखा हुआ था। काफी भीग चुकी थी और रेडिओ पे टूटी हुई आवाज़ और काफी डिस्टर्बेंसके साथ न्यूज़ आ रहे थे ।दुपट्टेसे हाथ-मूंह पोंछती रही और जोर से पूछा
'फोन क्यों नहीं लग रहा था ?'गभराहटमें बेतुके सवाल करने लगी।
लेकिन" क्या ? 'इतना सुनाई दिया आगे खाली नीले रंगका ओवरकोट और ग्रे हेट दिखाई दे रहा था उद्देशका।फिर चुपचाप बैठी रही । उतनेमें दूरसे थोड़े हाउस दिखाई दिए और कार तेजीसे मुड़ती हुई पोर्चमें खड़ी रही ।और कार वापस गेटकी ओर जाने लगी और अंदरसे बाय करतां हूआ ऊद्देशका हाथ देखके ऊसनेभी बाय की और कहीं कामसे जाके वापस आ रहा है सोचके जल्दीसे हेंड लगेज लेके तक्षवी सामनेके ऊँचे स्टेप्सपे चढ़ती हुई दरवाजेके पास खड़ी रही और डोरबेल बजाई ।तुरंत अंदरसे सर्वेन्टने दरवाज़ा खोला ।
'अरे मेडम आप आ गये?'
"मेरा सामान ले लीजीये बाहरसे 'कहके अंदर आई और सर्वेन्ट कहने लगा।
'सुबहे की गाडीसे आना चाहिए ,यहाँ पे जिस औरतको बलात्कार करके उसके हसबैंड को भी मार डाला था उसकी आत्मा घूमती हे लेकिन अच्छी आत्मा हे सबको बचाता हे '
और हस्ते हुए तक्षवी,
'क्या आपभी काका ?'
कहके डाइनिंग की और जाने लगी और सामनेसे उदेश नीले कोट और हेट पहने हुए हाथमे कारकी चाबी घुमाते हुए रूमसे निकला ।
"अरे तुम इतनी जल्दी आ गयी ?में अभी तुम्हे लेने ही निकलने वाला था टैक्सी जल्दीसे मिलती नहीं हे तुम लकी हो "
"में तो तुम्हारी नेवी ब्लू जीप मेही आई हु .स्टेशनसे साथमें तो आये अभी "
'क्या बोले जा रही हो तुम्हारी तबियत तो ठीक हे ,पुरे टाउनमें अपनी एक ही तो नीली जीप हे ,अपनी गाडीतो अभी गराजमें हे और फोन आया तुम्हारा की लेट हे तो में अभी निकल ही रहा था "
"ओ माई गोड तो वो कौन था ?कही वो .......
और तक्षवी बेहोश होके गिर पड़ी।
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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