Made in India
कहानी
मेरा विश्र्वास
यूंही मोलमे घूमते हुए आठ बज चुके थे। मौनवीने मोबाईलसे नरीतको बताया ,'अभी मुझे थोड़ी देर लग जायेगी ,में मेरी ड्रेसमेकर के यहाँ जाके आउंगी । खाना खा लेना जल्दी और मेरे घर पहुंचो.सब डिज़ाइन कन्फर्म हे और मटीरिअल भी फाइनल हो गए हे बस थोड़ा समजाके निकल आती हु .' ।
'में अकेला तुम्हारे पापा- ममीसे बात करते हुए बोर हो जाऊँगा ,घर पहूंचके फोन करलो ,दस मिनटका तो रास्ता हे जल्दीसे आ जाऊंगा '
'ओके ,जल्दी आना कॉफी बनाती हुं ,आइसक्रीम के साथमे खाएंगे '.
और तेजीसे कार ड्राइव करके टेलरके यहाँ पहूंच गयी ।काम खत्म करके घरकी और जाते हुए मनमें नरीतका प्यारा सा चहेरा याद आने लगा ।अकेले ही छोटीसी हसीं निकल गयी और सोचने लगी,घरपे मेरी राह देखनेमें काफी सवालोंके जवाब जो पापा मम्मी पूछ बैठते और कंही मुंहसे कुछ कॉन्ट्रास्ट बाते निकल गयी तो हमारे बाहर घूमने के बारेमे मेरे स्मार्ट पापा तुरंत समज जाएंगे ।नरीत पापाके फ्रेंडका लड़का था जो गुजरातमें रहेते थे और नरीत यहाँ हॉस्टलमें रहता था ओर दोनोंमें काफी दोस्ती ....नहीं... उससे ज्यादा कुछ प्यार जैसा ही हो गया था ।कई बार वो उसे स्केच वगेराभी बनाके देता था । और उससे मिलनेंकी चाहमे धड़कने ओर तेज़ होने लगी ,मधुर संगीतके साथ बड़ी प्यारीसी फीलिंग महसूस करने लगी ।बारिशका टपकता हुआ पानी विंडस्क्रीनपे जैसे एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग बना रहा था और नए बरसातसे हवामें घुल गयी मिठीसी महक लेते हुए हथेली बाहर निकाली ।मध्यमसी गिरती हुई बारिशने मौनवी को और रूमानी बना दिया और उसने वापस नरीत मोबाइल लगाया ।
'इतनी मज़ेदार बारिशमें विंडो के पास बैठे हो के वीडियो गेम खेल रहे हो ?'उसने जस्ट ऐसे ही नरीतको छेड़ा।
'तुम पास नहीं हो तो बारिश भी कुछ ख़ास नहीं लगती ,साथमें विंडो के पास बैठे हुए , हाथ में कोफ़ी का कप लिए ,अच्छासा म्युज़िक सुनते हुए .....'
'वाह ,काफी शायराना हो रहे हो ...'
'हां ,मौसम ही ऐसा हे और साथमें तुम्हारी सुरीली आवाज़ के साथ और नए रोमेंटिक ख़याल आ रहे हे .मिस यू सो मच .'
और मौनवी हस्ते हुए ,'ओके अब घर पहुंचने वाली हु ,जल्दी से तूमभी निकल आओ ।
घर पहुंची तो पप्पा -मम्मी डाइनिंग टेबल पे बैठके राह देखते थे ।
'चलो जल्दी खाना खालो ,काफी लेट हो गया ? नरीतके दो बार फोन आ गए ।उसनेभी डिज़ाइन तैयार कीये हुए हे तो डिस्कस करने के लिए आना चाहता था ,'
'हां ,मेरी बात हुई अभी आता ही होगा ',फ्रेश होके जल्दीसे खाना खाके कोफ़ी मशीनमें नरीतकी फेवरिट चॉकलेट मिक्स करके कोफ़ी तैयार कर रही थी के डोरबेल बजी ।पापा- ममी लिविंगरूममें टी.वी देख रहे थे। मौनवीने जल्दीसे दरवाजा खोला ।सामने हाथमें अपना लेपटोप और एक हाथमें अपना चश्मा और आइसक्रीम लिए हुए नरीत मुस्कुरा रहा था ।
'आओ ,कोफ़ी तैयार हे और तुम्हारे लाये हुए आइसक्रीमका इंतज़ार कर रही हे .'
'तुम नहीं कर रही इंतज़ार ?'पूछते हुए बारिशमें थोड़ासा भीगा हुआ नरीतका चहेरा ओर खूबसूरत लग रहा था ।
'हां , कोफीसेभी ज्यादा '...... कहके मौनवीने खुबसुरतीसे आँखे जपका दी और हसता हूआ नरीत अंदर आया । नरीत नमस्ते अंकल -आंटी कहते हुए सोफेपे बैठा ओर इधर -उधरकी बाते करने लगा ।इतने में कोफ़ी वगेरा तैयार करके अपना पोर्टफोलियो लेके फेमिली सिटिंग में बैठी और नरीतने सामनेकी कुर्सी पर बैठते हुए .
'बहुत खूबसूरत लग रही हो ,एकदम बारिशमें नहाए हुए फूल की तरहा.जैसे ये हरा दूपट्टा बेल हो और तुम उसमे खिला हूआ गुलाबी फूल .'
'आर्किटेक्टचर के साथ अब शायरी जो लीखी हे उसकी भी एक किताब पब्लीश करदो .'
' आर्किटेक्टचर तो अभी ये साल मेरा कम्प्लीट हो जाएगा लेकिन तूम जब तक हो कविता और शायरी तो बनती ही रहेगी.तुम्हारातो अभी ये दुसरा साल हे फैशन डिज़ाइनिंग का ,अगले सालसे तो में काममें बीझी हो जाऊंगा.'
'लेकिन मेरे लिए तो ऐसे ही मिलने आना पडेगा.'
'और तुम नहीं आओगी मिलने ? यहाँ एक रेंटल फ्लेट देख रखा हे वहां शिफ्ट हो जाऊंगा .'
ओर मौनवी खुश होके,
'वाउ,यहीं सेटल हो रहे हो, ये तो बेस्ट बात हे. यहाँ देलही में ऑपर्चुनिटी ज्यादा हे .मेरे भाई तरंगका कल अमेरिकासे फोन आया था ,न्यूयॉर्कमें हम सबकी याद ज्यादा आ रही हे .मुझे वहां आगे पढ़ाई करके सेटल होने के लिए बुला रहा हे ',
ओर ... नरीतकी आँखे उदास हो गयी .
'अच्छा ,मुझे छोड़के जानेका प्रोग्राम भी बना लिया ?में क्या यहाँ देवदास बननेका कोर्स जॉइंट कर लूं ?'
'अरे ,जस्ट बात कर रहे हे कुछ पक्का थोड़ा हे ?ओर पढ़ाई करके वापस यहीं तो आना हे '
ओर नए दो स्केच बनाये थे वो नरीत के लेपटॉप पे देखके बोली ,'तुम्हारे जितना अच्छा स्केच मुझसे नहीं बनता रिअली एक्सेलेंट .'ओर ऊपर देखते हुए नरीतकी आंखोमे देखने लगी .
'युही देखती रहो तो कुछ ओर कविताएभी लिख दूं.'
इतनेमें पापाकी आवाज़ आई ,गुड नाइट कहके रुममें जा रहे थे .मम्मीने पूछा ,'एक्झाम तक सब डिज़ाइन हो जाएगीना?
'हां ,अभी तो डेढ़ महीना बाकी रहा हे'
'हां मम्मी ,नरीतने भी थोड़े स्केच बनाये ओर मेरी प्रेक्टिकलकी ड्रेसभी एक वीकमे तो आ जायेगी .ओर नरीतने गुड़ नाइट कहते हुए ,
, 'ओके ,आंटी मेंभी निकलता हूं ।अगले वीकमें वापस आके जो स्केच सिखाये वो चेक कर लूंगा ।.'मम्मभी मौनवीको बराबर दरवाजा लोक करनेकी सूचना देके रुममें चली गयी ।
नरीत बारिश देखते हुए ओर कोफ़ीका ग्लास लेके बालकनीकी ओर गया.
'यहाँ से बारिश देखना कितना अच्छा लग रहा हे,और आज जो शायराना बात कही थी वो भी सच हो गयी हे ,हम साथ हे और बारिशके साथ कॉफी ',और मुड़के पीछे खड़ी हुई मौनवीकी और देखा ।
'हां ,पिछली बारिश में ये बात कहां थी ,तुम जबसे मिले ये नयी बारिश और सुहावनी हो गयी हे .अब तुम ऑटोमें जाते हुए भीग जाओगे मेरी कार लेके जाओ .सुबहमे भी मिलना हो जाएगा .'
ओर नरीत 'कल तो मुझे जल्दी क्लास हे ,शामको कहीं बहार मिलते हे ,अब में निकलता हु .'
बहार स्टेप्सके पास खड़े हुए बाय करता हुआ मौनवीका हाथ पकड़के नरीतने उसे नज़दीक खींच लिया ओर मौनवी भी एकदमसे उसके नज़दीक आगयी .उपरसे हवामें झूलतीं बेलोसे पानीके छींटे दोनों को भीगा रहे थे .ओर धीरेसे दूर होते हुए नरीत छाता लेके 'गुड नाइट 'कहते हुए स्टेप्स उतरके निकल गया .थोड़ी देर एकदम अपनी भावनाओ पे काबू पाती हुई दरवाजेके पास खडी रही ओर उंगलीसे अपने होठोको छूती हुई शर्मासी गयी .आज पहेली बारिशका ये प्यारका चुम्बन....ओर जल्दीसे रुममे जाके आईनेके पास खड़ी हो गयी .शांतसी रोशनीमें अपने आपको देखने लगी ओर जैसे नरीत अब भी उसे बाहोमे समेटे हो ओर वो जैसे.... बस उसे सिर्फ देख नहीं पा रही ।
हसीं पलोको महसूस करती हुई लाइट बांध करके नरीतके फोनके इंतज़ारमें हाथमे मोबाइल लेके बेडपे बैठी रही ओर १५-२० मिनिट बाद रिंग बजी तो जल्दीसे हेलो कहते हुए हस पड़ी ओर सामने नरीतभी .....बारिशकी प्यारभरी शायरी सुनाते हुए .....और मौनवीकी नींद लग गयी ।
दूसरे दिन शामका सूरज ढल रहा था ,और भिगे घासकी सुहानी खुशबूके बिच एक पार्कमें बैठके नरीत मौनवीका इंतज़ार करने लगा .लाइट पिंक टी-शर्ट और वाइट ट्राउज़रमें एकदम खूबसूरत लग रही थी.
नरीत अपने हाथोमें मौनवीका हाथ लेते हुए ,
'अब अपने भविष्यके बारेमे भी कुछ डिसाइड करलें.'
'मेरी तो पढ़ाई अभी २ साल और बादमें कही फोरेनमे ही ट्रेनिंग वगेरा पापा मम्मी सोच रहे हे ,शादीके लिए तो सोचना अभी बहोत जल्दी होगा और में इन बंधनोमे में अभीसे नहीं......'
'प्यार बंधन नहीं हे ?'
'ऐसा नहीं लेकिन साथमे घरकी सब जिम्मेदारी भीतो निभानी पड़ती हे '
'कल तो तुमने राह देखते हुए नई दुल्हनकी तरहा ही तो कॉफी बनायी '
और दोनों हस पड़े.
'जब अपना घर बनता हे तो प्यारकी बाते हवा हो जायेगी' ऐसा लगता हे तुम्हे ?में तो तुम्हे ऐसेही प्यार करता रहूंगा.'
ऐसेही मिलते रहते दोनों .नरीत एक्झामके बाद थोड़े दिनोंके लिए अपने घर चला गया. शाम होतेही नरीतकी यादें मौनवीको घेर लेती।वेकेशनका समय था तो मौनवीने अपनी दो-तीन फेन्डसके साथ गारमेन्टके फेशन शोमें हीस्सा लीया।नरीतको भी फोटो भेजे ।
लेकिन, वो तो एकदमसे गुस्सा हो गया,'तुम्हे अैसे फेशन शोमें नहीं जाना चाहीये ,तुमतो डीझाइनर हो वही करो'
'लेकिन उसमे क्या हो गया ?तुम तो ऐसे बिगड़ रहे हो जैसे कोई बड़ा पाप कर दिया हो मैने'।
'क्यों इससे तुम्हारी इमेज पे कोई असर नहीं होगा ?'
'ओके ,अब आगे सोचके करुँगी बस ?'
'में परसो आके सीधे तुमसे मिलने आता हु और इस संडे नइ जगापे शिफ्ट हो जाता हूं। '
नरीत अपने नए किराए का घर दिखाने ले गया ,एक बेडरूम और छोटीसी बैठक और किचन ,वॉल के साथ लगा हुआ डाइनिंग टेबल .छोटी छोटी चिजोसे बहोत अच्छी तरहसे सजाया था । एक कंस्ट्रक्शन कंपनीमें जॉब ऑफर भी कन्फर्म कर लिया था ,उसका लेटर दिखाते हुए मौनवीको बाहोमें भर लिया .,
'धीरे धीरे हमारे सब सपने सच हो जाएंगे '
'लेकिन पापा मम्मी नहीं मानेंगे .वो लोग मुझे कभी ऐसे संघर्ष करते हुए नहीं देख सकेंगे ।
'हां ,तुम्हारे हाई-फाई लाइफस्टाइल से मेरी लाइफका तो कोई मेल नहीं हे ,लेकिन मुझे यकीन हे के मेरे दिल जीतने छोटेसे घरमें तुम रह लोगी 'ओर ये कहते हुए मौनवीकी आंखोमे अपने सपनोके जवाब ढूंढता रहा।
मौनवी देर तक नरीतके काँधेपे सर रखके चुपचाप बैठी रही ओर नरीत प्यारसे उसके बालोमें उंगलियां फिराता हुआ उसकी साँसों में छुपे हुए डर को महसूस करता रहा .जैसे कहे रहे हो ,वक्तका भरोसा नहीं .थोड़ी देर बाद मौनवीने उठ कर
'कोफ़ी बनादूं?'
नरीतने छोटेसे फ्रिजसे दूध ओर कोफ़ी निकालके दी ओर लेपटॉप पे अपने इ-मेल चेक करने लगा .कोफ़ी के दो कप लेके मौनवी नरीतके पास बैठ गयी .नरीतने प्यारसे देखते हुए ,'थैंक्स फॉर ओपन माय टाइनी किचन'ओर मौनवीने उसका हाथ खींचते हुए ,
'चलो उठो बालकनीमें बैठते हे ,'
एकदम छोटे से २-३ फूलोंके गमलोसे सजी बालकनीमें बैठके सुबहेका सूरज दोनोकी आंखोमे चमक रहा था । पूरा दिन साथ बिताने के बाद मौनवी ,
'अब में निकलती हूं'
'जबभी मन करे सीधी यहाँ आ जाना '
२-३ महीने बाद अमेरिका से उसके भाई तरंगने अमेरिकामें एड्मिशनके पेपर भी भेज दिए ओर पापा मम्मीने कहा ,'वहां पे ओर लेटेस्ट सिखने को मिलेगा ।ओर तुम्हारा फ्यूचर बन जाएगा .'
रातको पापा मौनवीको फ्यूचरके बारेमें समझा रहे थे तभी हींमत करके उसने बोल दीया
'पापा मैं नरीतसे प्यार करती हूं'
'क्या ?तुम होशमें तो हो?वो तो एकदम साधारण लड़का है,तुम वहां खुश नहीं रहे पाओगी'
'साधारण लडकेसे प्यार नहीं हो शक्ता ?आपतो सबको पैसे सेही तौलते हो'
'देखो तुम्हारे भैयाने तुम्हारे लीये बेस्ट कोर्ष और अपने सर्कलमें वेलसेट लडका ढूंढा हे और हम इसी ओगस्ट महीनेमें यु. एस. जा रहे हे'
और रोते हुए मौनवी अपने कमरेमें चली गयी।
दूसरे दिनभी मनानेके बावजूद अपने कमरेमें बंध सोइ रही ओर कीतने दिनो तक चुपचाप बैठी रहती ।नरीतका फोन आया तो कुछ बहाने बनाके टाल दीया और एक दीन फोन करके अमरीका जानेकी बात बताई ।नरीत घरपे मिलने आया।पापा-मम्मी ऐसेही थोड़ी बात करके बेठे रहे ।मौनवी आयी और एकदम फीकीसी हसीके साध नरीतके चहेरे को देखा ओर ,'हाय ,कैसे हो ?मेरी तबीयत ठीक नहीं कहेके वापस अपने रुममें चली गयी। नरीतका उदास चहेरा, बढी हूइ दाढी और आंखोका सूनापन याद आतेही आंसू निकल आये।बाहर से बाते करनेकी आवाझे आ रही थी और थोडी
देर बाद मम्मी अंदर आयी और कहेने लगी, तुम्हारे पापाने स्ट्रीक्ट शब्दोमें उसे यहां आनेसे मना कर दिया है और जाते समय वो कहेके गया है, मैंतो मौनवीसे प्यार करता हूं ,उसके फ्यूचरके रास्तेमें कभी रुकावट नहीं बनूंगा।
और ये सुनके मौनवी दरवाजेकी ओर भागी लेकीन नरीत जा चूका था ।निराश होके अंदर आयी,टेबल पे डीशमें
पीघली हूइ आइसक्रीम पडी थी। चम्मच लेके पिघलते आंसूके साथ पूरी आइस्क्रीम खाली लेकीन दीलमें उठते अंगारोपे ऊसकी ठंडकका कोइ असर नहीं हूआ।
देरतक जागती रही । दूसरे दिनसे स्वस्थ होके बेग पेक करने लगी ओर थोडा जरुरी शोपींग कर लीया ।और जानेका दिनभी आ गया, सुब्हाकी फ्लाइट्से अमेरिका जाना था ओर
सुब्हे आठ बजे पापा-मम्मीके नाम एक लेटर लिखकर नरीतके धर चली गयी।
वहां जाके डोरबेल बजानेसे पहेले डोरपे लिखा पढके हस पडी ।
'मौनवी,डोरबेल बजानेकी जरुरत नहीं,तुम्हारी राहमें दरवाजा खूला रखा है'
अंदर जातेही नरीत हसता हूआ बांहे फैलाये खडा था ।
-मनीषा जोबन देसाई
Comment
कथा सुन्दर है किन्तु हिंदी टंकण में अशुद्धियाँ बहुत हैं . आप अहिन्दीभाषी हैं ऐसा इस कारण है . कथा में थोड़े कसाव और बुनावट की दरकार है .
आपके इस प्रयास को हार्दिक बधाई जी .
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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