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सिसकती रही है कलियाँ अपने हालातों पर
शोलों सी आवाज़ में एक साथ कभी बोलें तो
सहनशीलता की अब ज़माने में कदर नहीं रही
पुरुषार्थ के साथ कभी अपने नारीत्व को तोलें तो
अपने ही घर कब्रगाह बन चुके है उन सबके लिए
जिन्दा रहने के लिए खुद की ताकत अब तलाशें तो
बंद कमरों में बैठ रोने से कभी कुछ नहीं होता
खुद पर हुए अपराधों को इन बंद आँखों से निकालें तो ॥
Added by Vikas Pandey on April 26, 2013 at 6:36pm — No Comments
कुछ तो बात रही होगी,उनकी इन कातिल आँखों में
जान ख़ुदकुशी अपनी वो, आते होंगे मर जाते होंगे
यारों अब क्या बात कहूँ उसके नशे और करतब का
जो तो परहेजी थे नशों के,जाम उठा पी जाते होंगे
अजब अदा से बात करे है वो बड़े-बड़े भलमनो से
अदा के वश में झूंठ जान वो,सच मान जाते होंगे
बालों के उसकी पनघट पर कितने यहाँ प्यासे है
हिम्मत का जो पास…
Added by Vikas Pandey on April 26, 2013 at 6:36pm — No Comments
चाँद की दूरी जान जो चुप बैठ गया
उस चकोर का प्यार अभी कच्चा है
अकेले बैठ के अपने दरीचे में आज
उनका मेरी यादों से लड़ना सच्चा है
प्यार के दिये जो अभी नवजात थे
तूफानी रात में बुझना उनका पक्का है
ख़ुदी में मस्त आशिक़ जो था कभी
ग़म से बीमार दिल आज अच्छा है
Added by Vikas Pandey on April 19, 2013 at 9:41pm — No Comments
जिंदगी और मैं अक्सर लड़ लेते है वो मुझे कुछ देना नहीं चाहती और मै उससे छीन लेता हूँ इसने कई बार अँधेरे में धकेला मैं हर बार निकल आया जुगत कर इसने दिल में कई बार खंजर डाले बेतहासा और बारम्बार खून के फौब्बरे निकले, छींटे उझले और मेरी कमरों की दीवारों में दफ़न हो गए,लाल निशान के साथ दिल तो पत्थर हो गया लाल कफ़न ओद कर इस पर अब भी खंजर गिरते है दिल को फर्क नहीं पड़ता लेकिन आंख सूज जाती है क्यूंकि अब बरसात नहीं होती वहां वहां तो सुखा है न जाने कब से ओठ फिर भी सब कुछ छिपाकर मुस्करा जाते है कभी अपनी…
ContinueAdded by Vikas Pandey on April 17, 2013 at 7:25pm — No Comments
रोता तो है वो ज़माने से चुप कर सिसकियाँ रोक
मगर आँखों के दर्द ने ही उसको बदनाम कर दिया
क्या करता जब तुम सभी उसको तन्हा कर गए
उसकी तन्हाई ने ही उसको आज हलाल कर दिया
जिस-जिस के साथ उसने दिल्लगी की थी
उन्होंने ने ही उसको आज बेवफा कह दिया
रात के बाद उजाला आएगा उसे मालूम था मगर
चाँद की आखिर झलक ने उसे घायल कर दिया
Added by Vikas Pandey on April 12, 2013 at 7:05pm — No Comments
ज़ख्म तो भर जाते है समय के साथ
लेकिन ज़ख्म के निशान नहीं मिटते
Added by Vikas Pandey on April 6, 2013 at 9:00pm — No Comments
Added by Vikas Pandey on April 3, 2013 at 7:41pm — No Comments
Added by Vikas Pandey on April 1, 2013 at 1:42pm — No Comments
बर्बादी पर दोस्तों की भी राय ली जाये
दुश्मनों की भी तलाश की जाये ॥
मौत का डर ही बचा है इस ज़माने में
अब कहाँ जा के ये जिंदगी जी जाये ॥
Added by Vikas Pandey on March 31, 2013 at 3:39pm — No Comments
मेरी मोहब्बत को यूँ सरे बाजार नीलाम न कर
तुझे कद्र न मेरी पर कई है मुझे खरीदने वाले ॥
Added by Vikas Pandey on March 31, 2013 at 3:38pm — No Comments
सूरज की रोशनी पर न हर दम भरोसा रखो
चस्मो-चिरागों से रोशन रखो तुम घर अपने
दुनिया परेशान है तमाम झून्ठो से न कहो
सच्चाई से सम्हालो पहले तुम घर अपने
मुनासिब नहीं की रास्ते सामने से गुजरे
रश्ते के सामने ही बनाओ तुम घर अपने
जलाने को तैयार हो तुम दूसरों के आशियाँ
अपनी ही आग से पहले बचाओ तुम घर अपने
अमीरों को बुलाते हो , करते हो आव भगत
किसी…
Added by Vikas Pandey on March 31, 2013 at 3:38pm — No Comments
तेरी मोहब्बत ने मुझे, इतना तो सीखा दिया
परवाने जलते कैसे है, दीवाने जीते कैसे है
Added by Vikas Pandey on March 31, 2013 at 3:37pm — No Comments
इतना न सताओ
तुम सब उसे वो
शांत है चुप है
ग़म ,गाली
सुनाता,सहता है
झेलता है, मौन रह कर
उस समन्दर की तरह
जो शहरों की गन्दगी
नदियों का प्यार समा कर
शांत रहता है ऊपर से
लेकिन मेरे दोस्त ये न भूलो
कि जब समंदर जुम्बिश
भी लेता है तो शहर के
शहर बर्बाद हो जाते है ॥
Added by Vikas Pandey on March 31, 2013 at 3:36pm — No Comments
अंधेरा इस रात को कितना परेशान कर रहा है पर ये
रात आज फिर चाँद की मोहब्बत से निखर आएगी ॥
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 4:46pm — 2 Comments
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 4:16pm — No Comments
चन्दन की महक के जैसे
तेरी आहट पाकर मैंने
कितनी रातें लुटा दीं
कितने दिन ही बिता दिए ।।
सूरत देख के तेरी चाँद शरमाया
तेरी इस सुन्दर छवि के मद में मैंने
कितनी सुबहें गवां दी
कितनी शामें पिला दिए ।।
जीवन पथ का मैं राही अकेला
तेरा प्यार पाने को मैंने
कितने मंदिर घूम रहा
कितने चादर चदा दिए…
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 4:00pm — No Comments
रात के काले पन्नो पर
कई कलमें दौड़ती है
लगातार मीलों तक
बिना थके बिना रुके
कुछ दौलत के लिए
कुछ सोहरत के लिए
और दौड़ती रहती है
ऐसा वक़्त भी आता है
कलमें तो दौड़ती रहती है
लेकिन वो कुछ लिखती नहीं
और एक दम से शांत हो जाती है ॥
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 3:55pm — No Comments
ख़ुशी कहीं दुबक के सोयी है
ग़म को आज सुलाए कौन
अफवाहें फैली है सच नहीं
आज इनको झूंठलाये कौन
मन तो है उसे भुलाने का
पर उस बेवफा भुलाये कौन
जो अपना था रूठ गया अब
उस पराये को मनाये कौन
दिल तो चाहता नशे में डूबना
उसे आज नशेडी बनाये कौन ॥
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 3:49pm — 1 Comment
पहले तो दिल की रज़ा जान जाईये
फिर जो दीवाने यार कहे मान जाइये
दिल को धडकनों को झूंठला रहे हो
अब तो मोहब्बत को मान जाइये
इनकार न करिए उनकी निगाहों को
नज़रों में खुद को पहचान जाइये
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 3:49pm — No Comments
रात की परछाई पर आजकल शायद रोशनी हावी है
तभी शहरों में व्यस्त बाशिंदों के लिए रातें नहीं होती
Added by Vikas Pandey on March 30, 2013 at 3:48pm — No Comments
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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