Amal's Blog (9)

বাংলা কবিতা

আমি শুধুই তোমার মেয়ে

অমল ভট্টাচার্য্য

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বিয়ে হয়ে যখন এলাম তোমার বাড়ি

বললে আমায় -- করো শুরু নতুন করে,

নতুন আসবাব , নতুন লোক , নতুন বাড়ি !

তারপর থেকে কয়েক বছর গেছে কেটে,

পাই প্রতিদিন নতুন ভোর , নতুন আবদার

নতুন সন্ধ্যা, নতুন রাত্রি , আর পাই

বিছানায় পাতা নতুন চাদর, সাথে

তোমার আদরের নামে নতুন যন্ত্রণা !



কখনও জিজ্ঞাসা করোনি,

আমি কি কি ছেড়ে এসেছি!

বলছি আমি--

ছেড়ে এসেছি -- আমার… Continue

Added by Amal on August 2, 2016 at 9:49am — 1 Comment

বাংলা কবিতা

টাপুর টুপুর

অমল ভট্টাচার্য্য

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যখন বৃষ্টি পড়ে টাপুর টুপুর,

আমার টিনের চালে,

তোকে ভীষণ মনে পড়ে !

বৃষ্টির ওই টুপটুপানি,

স্নানঘরে তোর কঙ্কনের রিনিঝিনি!

বৃষ্টি যখন আনে বয়ে,

মাটির সোঁদা গন্ধ ,

তাতে যেন থাকে মিশে

তোর শরীরের বিশেষত্ব !



যখন চাঁদের আলো এসে ঢোকে,

আমার ঘরে ঐ টিনের ফুটো দিয়ে,

তোকে ভীষণ মনে পড়ে !

কতো কতো চাঁদনি রাত,

কাটিয়েছি মোরা এই বিছানায় বসে!

আমি হয়েছি মুগ্ধ তোর… Continue

Added by Amal on August 1, 2016 at 11:53am — No Comments

বাংলা কবিতা

পদচিহ্ন
অমল ভট্টাচার্য্য
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প্রতিদিন আমি চলি পথে,
একটু একটু করে !
পড়ে থাকে মোর পদচিহ্ন ,
আমার পিছনে !
চলি পথে---
একটু এগিয়ে, একটু পিছিয়ে !
পিছিয়ে যখন খুঁজি মোর পদচিহ্ন,
পাই নাকো খুঁজে!
তা ঢাকা পড়েছে
অন্য কোনো হতভাগ্যের পদচিহ্নে !
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Added by Amal on August 1, 2016 at 9:47am — No Comments

বাংলা কবিতা

অঞ্জলি

অমল ভট্টাচার্য্য

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দিও না ওই হাতে দেবীকে অঞ্জলি,

তুমি কন্যা ভ্রূণ হত্যাকারী !

কুয়াশা জর্জরিত অবগুন্ঠিত

ধরণী মাঝে করো বিলীন নিজেকে !

শিউলির পাদপদ্মে রহ দিবানিশী ,

নিজেকে শুদ্ধ করিবারে !

করো প্রচেষ্টা শুদ্ধ করিবারে,

করিয়া চর্বন বিল্বপত্র মূলাদি !

তুমি নরাধম , তুমি কূল বিরোধী

তুমি ভ্রান্ত , তুমি ভ্রস্ট

তুমি পিশাচ , তুমি কপট

দ্রৌপদীর বস্ত্রহরণ তোমার জ্ঞাত ,

বস্ত্রহরনের শেষাংশ তোমার অজ্ঞাত… Continue

Added by Amal on August 1, 2016 at 9:38am — No Comments

বাংলা কবিতা

কারখানা

অমল ভট্টাচার্য্য

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আগের দিনগুলো ধীরে ধীরে,

গেলো হারিয়ে অতীতের ক্রোড়ে !

এখন কারখানায় আর বাজেনা

শব্দ ভোঁ ভোঁ রবে !

এখন উপস্থিতির রেকর্ড হয়

বায়োমেট্রিক পদ্ধতিতে !



একটা সময় ছিল যখন,

কারখানার ভোঁ শব্দ আর

হৃদপিন্ডের শব্দ হতো

মিলেমিশে একাকার !

সকালবেলার ভোঁ শব্দে,

লোক ঢুকত লাইন করে !

আমরা ছোটরা বুঝতাম,

সময় হয়েছে বাবার অফিস যাওয়ার !

বয়স্করা বলতেন ঐ ভোঁ শুনে,

বেলা হয়ে… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 11:22pm — No Comments

বাংলা কবিতা

দোষ আমাদের

অমল ভট্টাচার্য্য

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ওরা সব ছোট্ট ছোট্ট শিশু,

শিশু মানেই তো ফুল ,

হতে পারে গোলাপ কিম্বা বকুল!

থাকে ওরা কেউ অনাথালয়ে,

কেউ বা পথে কিম্বা স্টেশনে !

ওরা দুঃখী নানা দুঃখে !

কেউ পায়না দেখতে চোখে,

কানে পারেনা কেউ শুনতে,

কেউ পারেনা চলতে ঠিকভাবে ,

পারেনা কেউ কথা বলতে ,

কেউ নানা রোগে ভোগে ,

মারণ নানা ব্যাধি এদের ঘিরে ,

এসবে এদের দোষ কোথায় আছে ?



দোষ যদি থেকে থাকে,

তবে তা আমাদের… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:29pm — No Comments

বাংলা কবিতা

আমি ভাগের মেয়ে

অমল ভট্টাচার্য্য

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আমি ভাগের মেয়ে !

কোনটা আমার দেশ জানিনে !

জন্ম আমার অধুনা বাংলাদেশে,

একাত্তরের যুদ্ধে,

ভিটে ছাড়া হয়ে ,

এলেম ভারতে !

ভারতের সূর্য্যের আলোয় অবগাহন করে

চাঁদের স্নিগ্ধতায় সাজিয়ে নিজেকে

বড় হলাম ধীরে ধীরে !



আমি ভাগের মেয়ে !

কালা সোনা বলে ডাকে মোরে সবে !

সুন্দর নাকি আমার মুখের হাসি ,

তারও চেয়ে সুন্দর আমার

নয়নের দুস্টু চাহনি ,

সবচেয়ে সুন্দর… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:19pm — No Comments

বাংলা কবিতা

কোলকাতা

অমল ভট্টাচার্য্য

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আমি হাঁটছি এক বিখ্যাত শহরের

এঁদো গলি দিয়ে!

হাঁটার জন্য নিয়েছি বেছে নির্জন রাতকে !

যদিও এ শহর ঘুমায় না রাতে ,

সারারাত জেগে মানবতা রক্ষা করে !



ভারতের মধ্যে এ এক অন্য ভারত,

পৃথিবীর মধ্যে এ এক অন্য পৃথিবী!

এ শহর জেগে রয় দিবা নিশী !

এখন আমি হাঁটছি এক বিখ্যাত শহরের

আলো ঝলমলে রাস্তা দিয়ে !

সব দারিদ্র্য দৈন্য যায় মুছে ,

ঝকমকে আলোর রোশনাইতে !

এখানে চা পাবে মাটির… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:06pm — No Comments

বাংলা কবিতা

সেনা থেকে ফিরে

অমল ভট্টাচার্য্য

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ওদেশ থেকে এই দেশেতে এলি,

ভিটে মাটি ছেড়ে খালি হাতে এলি!

এই দেশের জলহাওয়াতে বড় হলি,

এই দেশের নাগরিকত্বও পেলি !

পড়াশুনা এই দেশেতে করলি,

তখন যে তুই মুসলমান ছিলি!

এরপরেতে এল যে সেই দিন,

তুই সেনাতে যোগ দিলি!



আজ , তোর গর্বে বুক যে ভরে যায়,

ভাবি তোর মতো কেন সবাই না হয়!

তোর যে এখন একটাই ধর্ম,

তোর পোশাকে আছে মানবধর্ম !

তুই করিস লড়াই শত্রুর সাথে,

গুলিকে… Continue

Added by Amal on July 31, 2016 at 10:03pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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