Juee Gor's Blog (177)

धूप का टुकड़ा

मुझे वह समय याद है-
जब धूप का एक टुकड़ा
सूरज की उँगली थाम कर
अँधेरे का मेला देखता
उस भीड़ में कहीं खो गया...
... अमृता प्रीतम

Added by Juee Gor on February 19, 2015 at 10:10am — 2 Comments

શા માટે બાધી રાખવા સગપણના પાંજરે? લાવો, તમામ શ્વાસને આઝાદ કરી જોઉં. રમેશ પારેખ

શા માટે બાધી રાખવા સગપણના પાંજરે?
લાવો, તમામ શ્વાસને આઝાદ કરી જોઉં.

રમેશ પારેખ

Added by Juee Gor on February 11, 2015 at 8:25pm — No Comments

दुष्यंत कुमार....

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों,

इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,

आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,

यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,

पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,

और कुछ हो या न…

Continue

Added by Juee Gor on February 2, 2015 at 10:02pm — No Comments

हरिवंशराय बच्चन...

मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक

कविता लिखना चाहता हूँ।

चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में

मेरे परों की रंगीनी है?'

मैंने कहा, 'नहीं'।

'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'

'नहीं।'

'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'

'नहीं।'

'जान है?'

'नहीं।'

'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'

मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार…

Continue

Added by Juee Gor on January 20, 2015 at 9:36am — No Comments

शाहिद अख़्तर......

रात सोने के बाद

तकिए के नीचे से सरकती हुई

आती हैं यादों की तितलियाँ

तितलियाँ पंख फड़फड़ाती हैं

कभी छुआ है तुमने इन तितलियों को

उनके ख़ूबसूरत पंखों को

मीठा-मीठा से लमस हैं उनमें

एक सुलगता-सा एहसास

जो गीली कर जाते हैं मेरी आँखें

तितलियाँ पंख फड़फड़ाती हैं

तितलियाँ उड़ जाती हैं

तितलियां वक़्त की तरह हैं

यादें छोड़ जाती हैं

ख़ुद याद बन जाती हैं

तितलियाँ बचपन की तरह हैं

मासूम खिलखिलाती

हमें अपनी मासुमियत की याद दिलाती… Continue

Added by Juee Gor on January 14, 2015 at 11:00pm — 2 Comments

तुम्हें ढूंढते हुए

जरा सा छू सकता था हवा को

जरा सा ताक सकता था आसमान

पानी की नाप में नहीं नाप सकता था तुम्हें

डुबो लेता पैर सांझ ढलते ढलते

जरा सा भिगो लेता हथेलियां...

लहर पर लहर आकर गिरी

मैं भीगा नहीं....।

पेड़ हिलाते रहे हाथ

खोले रहे बाहें,

फुनगियों पर नाचती रही मुस्कुराहट

पत्तियां खड़खड़ाती रहीं

सुन ना सका....।

तनी हुई गर्दन का ऐंठना भी

तय ना कर सका ऊंचाई...

पहाड़ की सबसे छोटी चोटी

मुझसे कितनी ऊंची है

इतना सा ही तो जानना था…

Continue

Added by Juee Gor on January 11, 2015 at 9:00pm — No Comments

और मैं भी / अमृता भारती

मेरा अंधेरा
खो गया था
उसकी आँखों में
और मैं भी-
चलते-चलते
उसके साथ
क्षितिज की सुनहरी पगडंडी पर ।

श्वेत दृष्टि
श्यामल हो उठी थी ।

मेरे 
होने,
न होने को
वह विभक्त नहीं कर सका था
सूर्यास्त से
सूर्योदय के बीच ।

Added by Juee Gor on January 7, 2015 at 9:56pm — 3 Comments

Sar-a-aam muje ye Shikayat hai zindagi se
Kyu'n milta nahi Mijaz mera kisi se..!!

Added by Juee Gor on January 3, 2015 at 9:49pm — No Comments

Happy new year friends...:-)

अलफ़ाज़ मेरे
जमे ठिठके से बैठे हैं
शीत की ठंडी स्याही में
कहीं कोई टुकड़ा धूप
दिखे , तो बिखरे जरा ......!!

Added by Juee Gor on January 1, 2015 at 4:53pm — No Comments

Awesome Zehra Nigah !

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है ! सुना है शेर का जब पेट भर जाये तो वो हमला नही करता , दरख्तों की घनी छाओँ जा कर लेट जाता है ! सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है !! सुना है जब किसी नदी के पानी में हवा के तेज़ झोंके जब दरख्तों को हिलाते हैं तो मैना अपने घर को भूल कर कौवे के अंडो को परों से थाम लेती है | सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े तो , सारा जंगल जाग जाता है | सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है !! सुना है जब किसी नद्दी के पानी में बये के घोंसले का गुन्दुमी साया लरज़ता…

Continue

Added by Juee Gor on December 17, 2014 at 9:32pm — No Comments

अहसास / आशमा कौल

आसमान जब मुझे अपनी बाँहों में लेता है

और ज़मीन अपनी पनाहों में लेती है

मैं उन दोनों के मिलन की कहानी

लिख जाती हूँ, श्वास से क्षितिज बन जाती हूँ ।



दिशाएँ जब भी मुझे सुनती हैं

हवाएँ जब भी मुझे छूती हैं

मैं ध्वनि बन फैल जाती हूँ

और छुअन से अहसास हो जाती हूँ ।



किसी शंख की आवाज़ जब मुझे लुभाती है

किसी माँ की लोरी जब मुझे सुलाती है

मैं दर्द से दुआ…

Continue

Added by Juee Gor on December 12, 2014 at 10:25pm — 1 Comment

गूँज / परवीन शाकिर

ऊँचे पहाड़ों में गुम होती पगडंडी पर खड़ा हुआ नन्हा चरवाहा बकरी के बच्चे को फिसलते देख के कुछ इस तरह हँसा है वादी की हर दर्ज़[1] से झरने फूट रहे हैं शब्दार्थ: ↑ दरार

Added by Juee Gor on December 7, 2014 at 10:45pm — No Comments

Ramesh Parekh..

વાત છે ને વાત માટે એક પણ મુદ્દો નથી
એક માણસ છે, અરીસા છે ને બે આંખો નથી
મનમાં ખોવાયો છે એની શ્હેરભમાં શોધ છે
એટલે કે એક દરવાજો હજી જડતો નથી
ટેવ પડવાની ગતિ વધતી એ ઓછી હોય છે
ઘોર અંધારામાં માણસ
અંધાળો હોતો નથી
છેવટે વાયુ પકડવાની શરત હારી ગયો
આખરે હાથ કેવળ હાથ છે ફૂગ્ગો નથી
ફૂલની આગળ જતા ના હોઈ અર્થો ફૂલના
તો ધડક છે વૃક્ષની કેવળ ધડક, ગજરો નથી
હોવું ઉર્ફે શોધ પોતાના અડધિયાની,
રમેશ
કોણ એવો શખ્શ છે કે જે સ્વંય અડધો નથી?

Added by Juee Gor on November 21, 2014 at 10:07pm — No Comments

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं / राहत इन्दौरी

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं 

चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं 



मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता

कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं 



कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर

अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं 



ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर

नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं 



उसकी याद आई हैं…

Continue

Added by Juee Gor on October 11, 2014 at 10:13pm — No Comments

રમેશ પારેખ

મારા ખોબામાં ખખડાવું કોડી ૪૦

તને બોલાવું : રમવા આવીશ ?

છાબડી લઇને ચાલ, પરપોટા વીણશું

ને સાંજરે વળીશું ઘેર પાછાં

વીણેલા પરપોટા સાંધી સાંધીને

એના દરિયાઓ ગોઠવશું આછા

પછી દરિયાને તું ક્યાં વાવીશ ?

રણથી ટેવાયેલી આંગળીઓ

પાણીને ઑળખાણ આપતાં મૂઝાંશે

પોતાના ખખડાટે છળી જતી કોડીને

દરિયો અફળાય તો શું થાશે ?

તારા ખોબામાં તું…

Continue

Added by Juee Gor on October 8, 2014 at 8:52pm — No Comments

ખીચડી

એક ચકી ને ચકો મુંઝાઈ ગયા છે. ચોખા ને મગના બે દાણા હતા ને? હવે ચાંચમાંથી એ પણ છીનવાઈ ગયા છે. કોમ્પ્યુટર, મોબાઈલ, ટીવી, છે સોંઘા પણ એની રંધાય નહીં ખીચડી ચકી ને ચકાના જીવન પર ત્રાટકી છે મોંઘવારી નામે એક વીજળી, ફાઈવસ્ટાર મોલના ફાલેલા જંગલમાં નાનકડા સપના ખોવાઈ ગયા છે, એક ચકી ને ચકો મુંઝાઈ ગયા છે. મીનરલ વૉટરથી તો સસ્તા છે આંસૂ, ને મીઠી પણ લાગશે રસોઈ, ખાંડ માટે ટળવળતી કીડીની પાસે જઈ આટલું તો સમજાવો કોઈ, લાગે છે શેરડીના આખ્ખાયે વાઢને લુચ્ચા શિયાળીયા ખાઈ ગયા છે. એક ચકી ને ચકો મુંઝાઈ ગયા છે. ચકી ને…

Continue

Added by Juee Gor on June 2, 2014 at 2:49pm — No Comments

Gulzar...!!

एक नज़्म मेरी चोरी कर ली कल रात

किसी ने

यहीं पड़ी थी बालकनी में

गोल तिपाही के ऊपर थी

व्हिस्की वाले ग्लास के नीचे रखी थी

नज़्म के हल्के हल्के सिप मैं

घोल रहा था होठों में

शायद कोई फोन आया था

अन्दर जाकर लौटा तो फिर नज़्म

वहां से गायब थी

अब्र के ऊपर नीचे देखा

सूट शफ़क़ की ज़ेब टटोली

झांक के देखा पार उफ़क़ के

कहीं नज़र ना आयी वो नज़्म मुझे

आधी रात आवाज़ सुनी तो उठ के देखा

टांग पे टांग रख के आकाश में

चांद तरन्नुम में पढ़…

Added by Juee Gor on May 20, 2014 at 4:57pm — No Comments

कोई टाँवाँ-टाँवाँ रोशनी है / दीप्ति नवल

कोई टाँवाँ-टाँवाँ रोशनी है चाँदनी उतर आयी बर्फ़ीली चोटियोँ से तमाम वादी गूँजती है बस एक ही सुर में ख़ामोशी की यह आवाज़ होती है… तुम कहा करते हो न! इस क़दर सुकून कि जैसे सच नहीं हो सब यह रात चुरा ली है मैनें अपनी ज़िन्दगी से अपने ही लिये

Added by Juee Gor on May 16, 2014 at 7:53pm — No Comments

માણસ ઉર્ફે…

માણસ ઉર્ફે રેતી, ઉર્ફે દરિયો, ઉર્ફે ડૂબી જવાની ઘટના ઉર્ફે;

ઘટના એટલે લોહી, એટલે વહેવું એટલે ખૂટી જવાની ઘટના ઉર્ફે…

ખુલ્લી બારી જેવી આંખો ને આંખોમાં દિવસો ઊગે ને આથમતા;

દિવસો મતલબ વેઢા, મતલબ પંખી, મતલબ ઊડી જવાની ઘટના ઉર્ફે…

વજ્જરની છાતી ના પીગળે, આંસું જેવું પાંપણને કૈં અડકે તો પણ;

આંસુ, એમાં શૈશવ, એમાં કૂવો, એમાં કૂદી જવાની ઘટના ઉર્ફે…

પગમાંથી પગલું ફૂટે ને પગલાંમાંથી રસ્તાના કૈં રસ્તા ફૂટે;

રસ્તા અથવા ફૂલો અથવા પથ્થર અથવા ઊગી જવાની ઘટના…

Continue

Added by Juee Gor on May 12, 2014 at 10:37pm — No Comments

હવે આંખોનું નામ નહીં આંખો – રમેશ પારેખ

સખીરી, હવે આંખોનું નામ નહીં આંખો

આંખો તો મોગરાની ડાળીનું નામ

એને શમણું જોયાનું ફૂલ ઝૂલે

રુંવેરુંવામાં પડે મ્હેકતી સવાર

જ્યારે પાંપણની પાંદડીઓ ખૂલે

હાથમાંથી સરકીને વહી જાતાં ભાનસાન

વીંઝે રે દૂર દૂર પાંખો

સખીરી, હવે આંખોનું નામ નહીં આંખો

દીધું ન જાય કોઇ પંખીનું નામ

એવી હોઠોમાં ઉપડતી ગહેક

જાણે બધું નજરાઇ જાતું ન હોય

એમ – જેને જોઉં તે મ્હેક મ્હેક !

એટલું ય ઓછું ન હોય એમ ફળિયામાં

આંબાની લૂમઝૂમ સાખો

સખીરી, હવે આંખોનું નામ નહીં… Continue

Added by Juee Gor on May 11, 2014 at 3:17pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

© 2024   Created by Facestorys.com Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Privacy Policy  |  Terms of Service