Juee Gor's Blog – December 2013 Archive (5)

નથી ટહુકો કે એ તૂટે; નથી પડઘો કે એ ડૂબે, ગળે અટકેલ ડૂમાનું પીગળવું ખૂબ અઘરું છે.

ઉઘાડાં દ્વારા હો તો પણ નીકળવું ખૂબ

અઘરું છે,

ફરું છું લઈ મને, પણ ખુદને મળવું ખૂબ અઘરું છે.

પડી ગઈ સાંજ; હું સૂરજ નથી એ સત્ય છે કડવું,

ફરી ઊગવાના રંગો લઈને ઢળવું ખૂબ અઘરું છે.

નથી ટહુકો કે એ તૂટે; નથી પડઘો કે એ ડૂબે,

ગળે અટકેલ ડૂમાનું પીગળવું ખૂબ અઘરું છે.

નગર છે એવું કે માથે સતત લટકી રહી કરવત

નજર ચૂકાવીને ભાગી નીકળવું ખૂબ અઘરું છે.

અમે રચતાં ગયાં ને ધ્યાન-

બારાં રહી ગયા અંદર

હવે લાક્ષા-ગૃહેથી પાછું વળવું ખૂબ અઘરું છે.

જરા પાછું વળી… Continue

Added by Juee Gor on December 29, 2013 at 2:18pm — No Comments

Ramesh Parekh...

હોઠ ન હોત મારે,
વાત હું કરત નેત્રથી .
હાથ મારે ન હોત,
સ્પર્શ હું કરત નેત્રથી.
નેત્ર મારે ન હોત,
હું નીરખત તને સ્ફુરણથી.
ચરણ મારે ન હોત,
આપને મળત ધારણા વચ્ચે .
નાક વિના હું શ્વસત સમયમાં તને.
અને હું કાન વગર પણ તને સાંભળી શકત
લોહીમાં.
લોહી વગર પણ હું તને મારા છ
અક્ષરમાં પામત.
મારા છ અક્ષર ના હોત,
તો ય હું અનુભવત મારામાં કોઈ ખૂણેખાચરે
તને.
પરંતુ આજ.....
મારી પાસે ભાંગ્યોતુટ્યો હું પણ ક્યાં છું ?

Added by Juee Gor on December 18, 2013 at 10:06pm — No Comments

લય વગર—ખલીલ ધનતેજવી

લય વગર, શબ્દો વગર,મત્લા વગર,
હું ગઝલ લખતો રહ્યો સમજ્યા વગર.
તેં તો તારો છાંયડો આપ્યો મને,
હું જ ના જંપી શક્યો તડકા વગર!
કેદ છું,ભીંતો વગરના ઘરમાં હું,
સંતરી ઉભો છે દરવાજા વગર.
સરહદો સૂની હશે તો ચાલશે,
શહેરમાં ચાલે નહીં પહેરા વગર.
મોરને કો’ બાજ પક્ષી લઈ ગયું,
સીમ સૂંની થઈ ગઈ ટહુકા વગર.
કોક દિ’ દીવો પવન સામે ધરો,
કોક દિ’ ચલવી લો અજવાળા વગર.

Added by Juee Gor on December 12, 2013 at 9:21pm — No Comments

अंतिम संस्कार से पहले

मर तो उसी दिन गई थी

जब दाई ने अफसोस से सूचना दी थी मां को

और बधाई नहीं मांगी ....

मां ने भीगी आंखें लिए मुंह दूसरी ओर कर लिया था

मुंह बिसूरा दादी ने और

पिता ने सिर को झटका बाएं से दाएं......।

मर तो गई थी उस दिन

पहली बार कदम रखा जब बाहर

नजरें तुम्हारी जाने क्या खोजती रहीं देह के आवरण

चीरकर

कन्धे से कन्धा रगड़कर निकलते तुम

मेरी हत्या के पहले प्रयास में भागीदार थे....।

मर गई मैं तुम्हारे कठोर हाथ लगते ही

पहले मेरा नाम मरा

(किसने… Continue

Added by Juee Gor on December 9, 2013 at 2:57pm — No Comments

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे / बशीर बद्र

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे

कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे

ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे

अब इतनी भी ज़्यादा सफ़ाई न दे

हँसो आज इतना कि इस शोर में

सदा सिसकियों की सुनाई न दे

अभी तो बदन में लहू है बहुत

कलम छीन ले रोशनाई न दे

मुझे अपनी चादर से यूँ ढाँप लो

ज़मीं आसमाँ कुछ दिखाई न दे

ग़ुलामी को बरकत समझने लगें

असीरों को ऐसी रिहाई न दे

मुझे ऐसी जन्नत नहीं चाहिए

जहाँ से मदीना दिखाई न दे

मैं अश्कों से नाम-ए-मुहम्मद लिखूँ

क़लम छीन ले… Continue

Added by Juee Gor on December 4, 2013 at 10:30pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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