Juee Gor's Blog – October 2013 Archive (9)

- सुर्यभानु गुप्त.....

"ठेकेदार के साथ
जैसे ही
समझोते पर आता हैं,
पेड कुर्सी बन जाता हैं!"
"क्या हुआ
जो पेड
अपनी जमी से कट गया!
यह कोई मामूली बात हैं
कि पढ-लिख कर वो
एक कुर्सी बन गया?"
- सुर्यभानु गुप्त.....

Added by Juee Gor on October 21, 2013 at 10:15pm — No Comments

આયનામાં કોઈ ડૂબી જાય તો – કાચનું આકાશ તૂટી જાય તો – નામ તારું ભીંત પર હું કોતરું, પણ સમયનો હાથ ભૂંસી જાય તો…

આયનામાં કોઈ ડૂબી જાય તો –
કાચનું આકાશ તૂટી જાય તો –
નામ તારું ભીંત પર હું કોતરું,
પણ સમયનો હાથ ભૂંસી જાય તો…

Added by Juee Gor on October 19, 2013 at 5:02pm — No Comments

શરદપૂનમની રાતે ચાંદો આટલો નીચે છે…ક મારા બાગમાં આવડી મોટ્ટી ટોર્ચ લઈ કેમ ઉતરી આવ્યો છે ? એનો પડછાયો શોધવા ?

શરદપૂનમની રાતે
ચાંદો
આટલો નીચે
છે…ક મારા બાગમાં
આવડી મોટ્ટી ટોર્ચ લઈ કેમ ઉતરી આવ્યો છે ?
એનો પડછાયો શોધવા ?
-- - વિવેક ટેલર

Added by Juee Gor on October 18, 2013 at 7:01pm — No Comments

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी
सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी
हर तरफ़ भागते दौडते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी
रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी
ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी
--- Nida Fazli

Added by Juee Gor on October 14, 2013 at 2:20pm — No Comments

Miss you Jagjitshing ji...

एक बौछार था वो शख्स

बिना बरसे

किसी अब्र की सहमी सी नमी से

जो भिगो देता था

एक बौछार ही था वो

जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक

सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था…

नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं

सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह

लगता था झोंका हवा का है

कोई छेड़ गया है..

गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह

मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी

गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो

एक अवाज़ की बौछार था वो (… Continue

Added by Juee Gor on October 10, 2013 at 6:12pm — No Comments

मरियम / गुलज़ार

रात में देखो झील का चेहरा
किस कदर पाक,पुर्सुकुं,गमगीं
कोई साया नहीं है पानी पर
कोई सिलवट नहीं है आँखों में
नीन्द आ जाये दर्द को जैसे
जैसे मरियम उडाद बैठी हो
जैसे चेहरा हटाके चेहरे का
सिर्फ एहसास रख दिया हो वहा

Added by Juee Gor on October 9, 2013 at 9:59am — No Comments

रात के साथ रात लेटी थी / बशीर बद्र

रात के साथ रात लेटी थी
सुबह एक पालने में रोती थी
याद की बर्फपोश टहनी पर
एक गिलहरी उदास बैठी थी
मैं ये समझा के लौट आए तुम
धूप कल इतनी उजली उजली थी
कितने शादाब, कितने दिलकश थे
जब नदी रोज हमसे मिलती थी
एक कुर्ते के बाएँ कोने पर
प्यार की सुर्ख तितली बैठी थी
कितनी हल्की कमीज़ पहने हुए
सुबह अंगड़ाई लेके बैठी थी

Added by Juee Gor on October 7, 2013 at 2:10pm — No Comments

સંબંધોમાં સ્નેહ ખરો પણ શરતો લાગુ વાદળ વાદળ મેહ ખરો પણ શરતો લાગુ ઈશ્વર પણ થોડો વ્યવહારુ બનવા લાગ્યો મળશે નિસંદેહ ખરો પણ શરતો લાગુ -

સંબંધોમાં સ્નેહ ખરો પણ શરતો લાગુ
વાદળ વાદળ મેહ ખરો પણ શરતો લાગુ
ઈશ્વર પણ થોડો વ્યવહારુ બનવા લાગ્યો
મળશે નિસંદેહ ખરો પણ શરતો લાગુ
..... Milind Gadhavii
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Added by Juee Gor on October 4, 2013 at 8:53pm — No Comments

લીલી લાગણીઓ વચાળે પથ્થર થૈ જીવવુ,

કશુ શક્ય નથી,
તુ કહે એમ,સમયનું વહેવુ,
બરફ઼ થઈ વેદનાનુ સહેવુ,
કે વસ્ત્ર સ્મિતનુ અમથુ પહેરવુ,
વરસતા વરસાદે કોરા રહેવુ...
લીલી લાગણીઓ વચાળે પથ્થર થૈ જીવવુ,
વણ માંગે દુવાનુ ગમે કબુલ થવાનુ,
શક્ય નથી આપણાં પ્રમાણે સઘળુ થવાનુ,
રીત છોડ સમીકરણની,
કથપુતલી આપણે,ધાર્યુ આખરે ખુદાનુ જ થવાનુ..(---?)

Added by Juee Gor on October 2, 2013 at 10:44pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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