Juee Gor's Blog – March 2014 Archive (8)

बेदखल / पूनम तुषामड़

मां सिखाती थी अक्सर एक ही बात लड़कियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं मैं जब भी हंसती उन्मुक्त! वे आंखें दिखाती। मैं जब भी चाहती खेलना पड़ौस में वे सहम जाती धीरे से डांट कर मुझे अंदर ले जाती। वे अनपढ़ थी पर मुझे अक्सर पढ़ने को कहती। जब भी मैंक हना चाहती कुछ खुलकर वे मुझे खामोश कर देतीं। जब मेरी शादी की बात आती मैं यकायक पराया धन हो जाती भाई क्यूं नहीं है पराया ....? वे कहीं खो जाती आह भरते हुए सिर्फ इतना कहती - वही तो है हमारे बुढ़ापे की लाठी। इन आंखों का तारा उनकी बातें मुझे अंदर तक लील…

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Added by Juee Gor on March 31, 2014 at 10:03pm — No Comments

વાત શું કરે ?

નાનકુડા એક ઝાડવાએ પણ ભરબપ્પોરે ધોમ

ધખેલા તડકાને જઈ સાવ મોઢામોઢ કહિ દીધું કે વાત

શું કરે ?

એમ તમારા કહેવાથી કાઈ પાંદડું ખરે ?

પડછાયા ને છાયડા વચાળ હોય છે કેવો ભેદ

જાણો છો ?

હાંફતા હોઠે હાશ બોલાતું હોય ને એમાં હોય છે

આખ્ખો વેદ જાણો છો ?

એકલી લૂ ના આમ ફૂંફાડા મારવાથી કાઈ મૂળ

પેટાવી ડાળીએ ડાળીએ

પ્રગટાવેલા કોઈના લીલા દીવડા ઠરે ?

વાત શું કરે ?

કેટલી વખત પૂછતા રહેશો ઉઘડી જતું હોય છે શું આ

ડાળીઓની રંગીન છટામાં ?

અકળાયેલો આકરો સુરજ… Continue

Added by Juee Gor on March 15, 2014 at 9:18am — No Comments

दीप्ति नवल

बहुत घुटी-घुटी रहती हो... बस खुलती नहीं हो तुम!" खुलने के लिए जानते हो बहुत से साल पीछे जाना होगा और फिर वही से चलना होगा जहाँ से कांधे पे बस्ता उठाकर स्कूल जाना शुरू किया था इस ज़ेहन को बदलकर कोई नया ज़ेहन लगवाना होगा और इस सबके बाद जिस रोज़ खुलकर खिलखिलाकर ठहाका लगाकर किसी बात पे जब हँसूंगी तब पहचानोगे क्या?

Added by Juee Gor on March 10, 2014 at 6:55pm — No Comments

कोई पत्थर तो नहीं हूँ कि ख़ुदा हो जाऊँ / श्रद्धा जैन

कैसे मुमकिन है, ख़मोशी से फ़ना[1] हो जाऊँ

कोई पत्थर तो नहीं हूँ कि ख़ुदा हो जाऊँ

फ़ैसले सारे उसी के हैं, मिरे बाबत[2] भी

मैं तो औरत हूँ कि राज़ी-ब-रज़ा हो जाऊँ

धूप में साया, सफ़र में हूँ क़बा[3] फूलों की

मैं अमावस में सितारों की ज़िया[4]

हो जाऊँ

मैं मुहब्बत हूँ, मुहब्बत तो नहीं मिटती है

एक ख़ुश्बू हूँ, जो बिखरूँ तो सबा[5] हो जाऊँ

गर इजाज़त दे ज़माना, तो मैं जी लूँ इक

ख़्वाब

बेड़ियाँ तोड़ के आवारा हवा हो जाऊँ

रात भर पहलूनशीं हों वो, कभी… Continue

Added by Juee Gor on March 8, 2014 at 3:00pm — No Comments

मैं चाहती हूँ शब्द उगाऊं / रति सक्सेना

मैं चाहती हूँ शब्द उगाऊं
फलों की तरह नहीं
सब्जी की तरह भी नहीं
फुलवारी की तरह भी नहीं
जंगल की तरह
कुछ लम्बे, कुछ टेड़े
कुछ तिरछे कुछ बाँके
कमजोर, मजबूत
शब्द खड़े हो दरख्तों की तरह
फैले घास की तरह
चढ़े लताओं की तरह
खिले फूलों की तरह
पके फलों की तरह
मैं
चिड़िया, पीली चोंच वाली
उड़ूँ...फुदकूँ
गाऊं.. नाचूँ
जब तक मैं खुद
बन जाऊँ
शब्द
ना कि जंगल

Added by Juee Gor on March 5, 2014 at 10:06pm — No Comments

सपने देखता समुद्र / रति सक्सेना

समुद्र के सपनों में मछलियाँ नहीं
सीप घौंघे, जलीय जीव जन्तु नहीं
किश्तियाँ और जहाज नहीं
जहाजों की मस्तूल नहीं
लहरों के उठना ,सिर पटकना नही
नदियाँ नहीं , उनकी मस्तियाँ नहीं
समुद्र सपने देखता है
जमीन का, उस पर चढे पहाडों का
उन सबका जिन्हें नदियाँ छोड
चलीं आईं थीं उस के पास
समुद्र के सपने में पानी नहीं होता

Added by Juee Gor on March 4, 2014 at 10:46am — No Comments

લૂ તો ઝીણાં ઝાંઝર પહેરી, ચાલ લચકતી ચાલે ગુલમહોરી લાલી લીંપી, દશે દિશાએ મ્હાલે તડકાનું આંજણ આંજીને, વગડાને અજવાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ?

ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? વાસંતી વા વન-ઉપવનમાં, સપનાંને ઉગાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? લૂ તો ઝીણાં ઝાંઝર પહેરી, ચાલ લચકતી ચાલે ગુલમહોરી લાલી લીંપી, દશે દિશાએ મ્હાલે તડકાનું આંજણ આંજીને, વગડાને અજવાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? ધ્યાન ધરી તમરાંના ગીતો , હોંશે હોંશે પોંખે સીમતણાં સન્નાટાને પણ , ફાંટ ભરીને જોખે બપ્પોરી વેળા તો ઝુમ્મર, બાંધી દે ગરમાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? સોળવલાં જોબનને ઊંચકે, કેસરભીના કાંધે સૂરજ સાખે અંગમરોળી, તાર નયનના સાંધે કેસૂડાંનો આવો ઈશારો, કેમ કરીને ખાળે ? ફાગણ કેમ ચળે…

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Added by Juee Gor on March 3, 2014 at 2:02pm — No Comments

खुला है झूट का बाज़ार / क़तील

खुला है झूट का बाज़ार आओ सच बोलें

न हो बला से ख़रीदार आओ सच बोलें

सुकूत छाया है इंसानियत की क़द्रों पर

यही है मौक़ा-ए-इज़हार आओ सच बोलें

हमें गवाह बनाया है वक़्त ने अपना

ब-नाम-ए-अज़मत-ए-किरदार आओ सच

बोलें

सुना है वक़्त का हाकिम बड़ा ही मुंसिफ़ है

पुकार कर सर-ए-दरबार आओ सच बोलें

तमाम शहर में क्या एक भी नहीं मंसूर

कहेंगे क्या रसन-ओ-दार आओ सच बोलें

बजा के ख़ू-ए-वफ़ा एक भी हसीं में नहीं

कहाँ के हम भी वफ़ा-दार आओ सच बोलें

जो वस्फ़ हम… Continue

Added by Juee Gor on March 1, 2014 at 8:00pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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