Juee Gor's Blog (177)

महाश्वेता देवी की एक सुंदर कविता

आ गए तुम ?

द्वार खुला है,

अंदर आओ..!

पर तनिक ठहरो..

ड्योढी पर पड़े पायदान पर,

अपना अहं झाड़ आना..!

मधुमालती लिपटी है मुंडेर से,

अपनी नाराज़गी वहीँ उड़ेल आना..!

तुलसी के क्यारे में,

मन की चटकन चढ़ा आना..!

अपनी व्यस्ततायें,

बाहर खूंटी पर ही टांग आना..!

जूतों संग,

हर नकारात्मकता उतार आना.!

बाहर किलोलते बच्चों से,

थोड़ी शरारत माँग लाना..!

वो गुलाब के गमले में, मुस्कान लगी है..

तोड़ कर पहन आना..!

लाओ,

अपनी उलझनें… Continue

Added by Juee Gor on September 18, 2016 at 8:09pm — No Comments

चाँद / अंजू शर्मा..

कभी किसी शाम को,

दिल क्यों इतना तनहा होता है

कि भीड़ का हर ठहाका

कर देता है

कुछ और अकेला,

और चाँद जो देखता है सब

पर चुप रहता है,

क्यों नहीं बन जाता

उस टेबल का पेपरवेट

जहाँ जिंदगी की किताब

के पन्ने उलटती जाती है,

वक़्त की आंधी,

या क्यों नहीं बन जाता

उस नदी में एक संदेशवाहक कश्ती

जिसके दोनों किनारे

कभी नहीं मिलते,

बस ताकते हैं एक टक

एक दूसरे को, सालों तक,

वक़्त के साथ उनकी धुंधलाती आँखों का

चश्मा भी तो… Continue

Added by Juee Gor on September 8, 2016 at 10:31pm — No Comments

Beautiful words By Gulzar ji....

बेतहाशा घबरा के तुमने
रौशनी के बदन को मोड़ लिया
मै टेबल पर इक नज़्म पैदा कर रहा था
तुम्हारे चहरे पर ,वो टेबल लेम्प की रौशनी
मेरे लफ्जों को जिंदा करने लगी
तुम्हारे चहरे से नज़्म पोछकर रौशनी ने
मेरे कोरे कागज़ पर उड़ेल कर रख दी
मुझे बेवजह शायर बना रखा है दुनिया ने..

Added by Juee Gor on September 24, 2015 at 9:22pm — 2 Comments

मैं ने देखा, एक बूँद / अज्ञेय

मैं ने देखा
एक बूँद सहसा
उछली सागर के झाग से;
रंग गई क्षणभर,
ढलते सूरज की आग से।
मुझ को दीख गया:
सूने विराट् के सम्मुख
हर आलोक-छुआ अपनापन
है उन्मोचन
नश्वरता के दाग से!

Added by Juee Gor on May 16, 2015 at 10:01pm — No Comments

"उसने सौपा नहीं मुझको मेरे हिस्से का वज़ूद उसकी कोशिश है कि मुझसे मेरी रंजिश भी रहे"

"उसने सौपा नहीं मुझको मेरे हिस्से का
वज़ूद
उसकी कोशिश है कि मुझसे मेरी रंजिश
भी रहे"

Added by Juee Gor on May 14, 2015 at 11:09pm — No Comments

तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ-साथ / परवीन शाकिर...

तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ-साथ

ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ-साथ

बचपने का साथ, फिर एक से दोनों के दुख

रात का और मेरा आँचल भीगता है साथ-साथ

वो अजब दुनिया कि सब खंज़र-ब-कफ़ फिरते हैं और

काँच के प्यालों में संदल भीगता है साथ-साथ

बारिशे-संगे-मलामत में भी वो हमराह है

मैं भी भीगूँ, खुद भी पागल भीगता है साथ-साथ

लड़कियों के दुख अजब होते हैं, सुख उससे अज़ीब

हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ-साथ

बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा… Continue

Added by Juee Gor on April 29, 2015 at 7:47pm — No Comments

अँधेरा...

अंधेरे को मैंने
कस कर लपेट लिया
आगोश में
भींच लिया सीने से इस कदर
कि उसकी सूरत दिखलाई न पड़े.
पीछे खडी
कसमसाई सी रौशनी
तकती थी मुझे
अँधेरे से जल गयी लगती है रोशनी!!

Added by Juee Gor on April 18, 2015 at 10:18pm — No Comments

मौत

मौत कितनी आसान होती
अगर हम जिस्म के साथ
दफ़न कर पाते
यादों को भी...
...?

Added by Juee Gor on April 15, 2015 at 9:45pm — No Comments

यहाँ कुछ हुआ तो था

बाढ़ डूबी झोंपड़ियों
के आसमान पर
हेलिकॉटर उड़ान भरता है
दया के क़तरे टपकाता हुआ
बाढ़ बढ़ाता हुआ
बाँस लेकर जूझ रही है
झोपड़ी
फिर खड़ी होने को
टीन की चद्दर खड़खड़ाती है
छप्पर के धुएं से
आसमान में
आग लग जाती है

Added by Juee Gor on April 14, 2015 at 11:00pm — No Comments

लड़की / अंजू शर्मा

एक दिन समटते हुए अपने खालीपन को

मैंने ढूँढा था उस लड़की को,

जो भागती थी तितलियों के पीछे

सँभालते हुए अपने दुपट्टे को

फिर खो जाया करती थी

किताबों के पीछे,

गुनगुनाते हुए ग़ालिब की कोई ग़ज़ल

अक्सर मिल

जाती थी वो लाईब्ररी में,

कभी पाई जाती थी घर के बरामदे में

बतियाते हुए प्रेमचंद और शेक्सपियर

से,

कभी बारिश में तलते पकौड़ों

को छोड़कर

खुले हाथों से छूती थी आसमान,

और जोर से सांस खींचते हुए

समो लेना चाहती थी पहली… Continue

Added by Juee Gor on April 4, 2015 at 10:59am — No Comments

Good morning...

एक लम्हा ज्यों सदी और इक सदी जैसे
कि पल
कौन समझेगा यहाँ अब वस्लो- फुरकत के हिसाब
जब कभी माज़ी ने पूछे दिल से कुछ
मुश्किल सवाल
तब ज़माने-हाल ने ही दे दिए आसां जवाब
-- Unknown

Added by Juee Gor on April 2, 2015 at 9:46am — No Comments

Gulzar

तुम्हारे साथ...

मुझे खर्ची में पूरा एक दिन, हर रोज़ मिलता है

मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है,

झपट लेता है, अंटी से

कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने की

आहट भी नहीं होती,

खरे दिन को भी खोटा समझ के भूल जाता हूँ मैं

गिरेबान से पकड़ कर मांगने वाले भी मिलते हैं

"तेरी गुजरी हुई पुश्तों का कर्जा है, तुझे किश्तें

चुकानी है "

ज़बरदस्ती कोई गिरवी रख लेता है, ये कह कर

अभी 2-4 लम्हे खर्च करने के लिए रख ले,

बकाया उम्र के खाते में लिख देते हैं,

जब… Continue

Added by Juee Gor on March 29, 2015 at 11:13pm — No Comments

इच्छा / मधु शर्मा

मैंने
हवाओं के छोर से
बाँध दिया
इच्छाओं का दामन
देखती हूँ
वे कहाँ तक जाती हैं ।

Added by Juee Gor on March 27, 2015 at 8:25pm — No Comments

सपने देखता समुद्र / रति सक्सेना

समुद्र के सपनों में मछलियाँ नहीं
सीप घौंघे, जलीय जीव जन्तु नहीं
किश्तियाँ और जहाज नहीं
जहाजों की मस्तूल नहीं
लहरों के उठना ,सिर पटकना नही
नदियाँ नहीं , उनकी मस्तियाँ नहीं
समुद्र सपने देखता है
जमीन का, उस पर चढे पहाडों का
उन सबका जिन्हें नदियाँ छोड
चलीं आईं थीं उस के पास
समुद्र के सपने में पानी नहीं होता

Added by Juee Gor on March 10, 2015 at 11:01pm — No Comments

वो ढल रहा है / जावेद अख़्तर

वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है

ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है

जो मुझको ज़िंदा जला रहे हैं वो बेख़बर हैं

कि मेरी ज़ंजीर धीरे-धीरे पिघल रही है

मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन

मिरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है

न जलने पाते थे जिसके चूल्हे भी हर सवेरे

सुना है कल रात से वो बस्ती भी जल रही है

मैं जानता हूँ की ख़ामशी [1] में ही मस्लहत [2] है

मगर यही मस्लहत मिरे दिल को खल रही है

कभी तो इंसान ज़िंदगी की करेगा इज़्ज़त

ये एक… Continue

Added by Juee Gor on March 4, 2015 at 12:27pm — No Comments

मैं तो झोंका हूँ / कुमार विश्वास

मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना, तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा
हो के क़दमों पर निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल कर भी मैं ख़ुश्बू बचा ले जाऊँगा
कौन-सी शै तुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
क़ोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक़ हों मगर
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊँगा
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त-दुश्मन हो गए
सब यहीं रह जाएंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा

Added by Juee Gor on March 4, 2015 at 12:18pm — No Comments

वो ढल रहा है / जावेद अख़्तर

वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है

ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है

जो मुझको ज़िंदा जला रहे हैं वो बेख़बर हैं

कि मेरी ज़ंजीर धीरे-धीरे पिघल रही है

मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन

मिरे लहू से तुम्हारी दीवार गल रही है

न जलने पाते थे जिसके चूल्हे भी हर सवेरे

सुना है कल रात से वो बस्ती भी जल रही है

मैं जानता हूँ की ख़ामशी [1] में ही मस्लहत [2] है

मगर यही मस्लहत मिरे दिल को खल रही है

कभी तो इंसान ज़िंदगी की करेगा इज़्ज़त

ये एक… Continue

Added by Juee Gor on March 4, 2015 at 12:14pm — No Comments

एक बोसा / कैफ़ी आज़मी

जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को
सौ चराग अँधेरे में जगमगाने लगते हैं
फूल क्या शगूफे क्या चाँद क्या सितारे क्या
सब रकीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं
रक्स करने लगतीं हैं मूरतें अजन्ता की
मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं
फूल खिलने लगते हैं उजड़े उजड़े गुलशन में
प्यासी प्यासी धरती पर अब्र छाने लगते हैं
लम्हें भर को ये दुनिया ज़ुल्म छोड़ देती है
लम्हें भर को सब पत्थर मुस्कुराने लगते हैं.

Added by Juee Gor on March 4, 2015 at 12:10pm — No Comments

.....उसकी आँखों में कहीं रहती है, मैंने जिंदगी बेहद करीब से देखी है..!

.....उसकी आँखों में कहीं रहती है,
मैंने जिंदगी बेहद करीब से देखी है..!

Added by Juee Gor on February 22, 2015 at 3:17pm — No Comments

लगी है आस्मां छूने की कैसी होड़, जड़ों से आजकल इंसां उखड़ते जा रहे हैं..! (..?)

लगी है आस्मां छूने की कैसी होड़,
जड़ों से आजकल इंसां उखड़ते जा रहे हैं..! (..?)

Added by Juee Gor on February 21, 2015 at 6:42pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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