Hemanshu Mehta's Blog – August 2013 Archive (6)

Mukeshji ki yade

ful chaman se chala gaya, sugandh yado ki rah gayi tum to alvida kar gaye, hum tumhe dhundhte rah gaye
jane kaha...mukeshji ko salam unki punyatithi par
27/08

Added by Hemanshu Mehta on August 27, 2013 at 9:28am — No Comments

કયાંક મળ્યા છે એની યાદ તો હશે,

કયાંક મળ્યા છે એની યાદ તો હશે, 

ચાલો ડાયરીના પન્નાઓમાં નહીં રૂમાલમા તો મારી ભાત હશે.

ઉપવનમાં તો ખીલે છે અનેક ફૂલો , કેટલા યાદ રાખવા 

પણ કયારેક વેણીમાં મારા નામનું એક ફૂલ મહેકતું હશે.

પરોઢના પ્રથમ કિરણ અનેક પક્ષીઓનો કલશોર હશે , 

પણ સંધ્યા એ પાછા ફરે ત્યારે કયાંક મારુ ગીત હશે.

- સૂરજ

Added by Hemanshu Mehta on August 22, 2013 at 5:30pm — 2 Comments

તારી વાતના જાદુમાં અટવાઈ ગયો,બદલાઈ આ સૃષ્ટિ કે હું જ બદલાઈ ગયો. મંઝિલની શોધમાં રસ્તા પર ભટકતો હતો, અચાનક રસ્તો તારા ઘર તરફ પલટાય ગયો. ઉપવનમાં ફૂલોની સુગંધ માણતો હતો, સુગંધ બની તારી આસપાસ ફેલાઈ ગયો. ન…

તારી વાતના જાદુમાં અટવાઈ ગયો,બદલાઈ આ સૃષ્ટિ કે હું જ બદલાઈ ગયો.
મંઝિલની શોધમાં રસ્તા પર ભટકતો હતો, અચાનક રસ્તો તારા ઘર તરફ પલટાય ગયો.
ઉપવનમાં ફૂલોની સુગંધ માણતો હતો, સુગંધ બની તારી આસપાસ ફેલાઈ ગયો.
નદીને જોઈ ધસમસતી સાગરને મળવા' સૂરજ' નદીને મળવા આ સાગર કેમ ગાંડોતુર થયો.
- સૂરજ Continue

Added by Hemanshu Mehta on August 16, 2013 at 9:27am — No Comments

કલ્પના

આ વરસતા ધોધમાર વરસાદમાં થયો

જ્યાં તારો એક આહલાદક અછળતો…

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Added by Hemanshu Mehta on August 7, 2013 at 5:12pm — No Comments

આ વરસતા ધોધમાર વરસાદમાં થયો જ્યાં તારો એક આહલાદક અછળતો સ્પર્શ ગરજી ઉઠયું આકાશ અને ચમકી ઉઠી વીજ જાણે કુદરતે પણ સ્વીકાર્યું આ મિલન સહર્ષ ઝાડ નીચે ઊભા રહીને  થરથરતાં બદન પર વરસ્યું એક બુંદ અને અદ્રશ્ય ર…

આ વરસતા ધોધમાર વરસાદમાં થયો
જ્યાં તારો એક આહલાદક અછળતો સ્પર્શ
ગરજી ઉઠયું આકાશ અને ચમકી ઉઠી વીજ
જાણે કુદરતે પણ સ્વીકાર્યું આ મિલન સહર્ષ
ઝાડ નીચે ઊભા રહીને 
થરથરતાં બદન પર વરસ્યું એક બુંદ
અને અદ્રશ્ય રોમાંચ અને ભયથી
ખર્યું શરીર પરથી પરસેવાનું એક બુંદ
હાથમાં હાથ પરોવીને આયખુ ભીંજાવાની
એક કલ્પનાથી થયુ મારું વિશ્વ આનંદિત ચારેકોર
પણ હાય રે કિસ્મત રુઠી જ અચાનક બધું વિખરાયું
ને થયો બંધ વરસાદ તુરંત ને આકાશ કોરુ ધાકોર.
- સૂરજ

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Added by Hemanshu Mehta on August 5, 2013 at 7:30pm — No Comments

કોણ જાણે કેમ છે ?

આજે આ ઝગમગતી સોનેરી સવાર કોણ જાણે કેમ છે ?
ઉપવનમાં ડાળી એ ડાળી  લીલીછમ વસંત કોણ જાણે કેમ છે?
મેઘરાજાએ તો કરી ધરતીને  નવપલ્લવિત પણ આજે આ હૈયું નવપલ્લવ કોણ જાણે કેમ છે.
પક્ષીઓનું મધુર ગાન  હવામાં ગૂંજે  છે. આ મનમાં ગૂંજે કોઈનું ગીત કોણ જાણે કેમ છે.
કોઈ વાદળ હટ્યું હશે 'સૂરજ"  આસપાસથી જોને આ ખીલેલી સંધ્યાનું પણ  રૂપ કોણ જાણે કેમ છે.

Added by Hemanshu Mehta on August 4, 2013 at 9:49am — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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