Sonya Shah's Blog (94)

करोगे याद तो... -बशर नवाज



करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी

गुजरते वक्त की, हर मौज ठहर जायेगी

ये चाँद बीते जमानो का आईना होगा

भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

उदास राह कोई दास्ताँ सुनाएगी

बरसता भीगता मौसम धुवा धुवा होगा

पिघलती शम्मो पे दिल का मेरे गुमा…

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Added by Sonya Shah on March 15, 2014 at 7:02pm — No Comments

ARTistocracy India- An initiative to promote budding artistic talent by acting as a platform for showcase

ARTistocracy India is an initiative to promote budding artistic talent by acting as a platform for showcase. 

We exist to organize various exhibits all across India and ensure works of fresh or latent creativity reaches walls of display outside their own homes. 
We wish to nurture artists seeking recognition and learning and give them an opportunity to experience the spotlight. 
ARTistocrocy was…
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Added by Sonya Shah on March 13, 2014 at 2:01pm — 1 Comment

जाते जाते वो मुझे -जावेद अख़्तर

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया

उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी

ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया

सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई

और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे…

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Added by Sonya Shah on March 12, 2014 at 3:11pm — No Comments

भावना तुमने उभारी थी कभी मेरी, इसे भूला नहीं मैं - हरिवंशराय बच्चन



भावना तुमने उभारी थी कभी मेरी, इसे भूला नहीं मैं।

आज मैं यह सोचता हूँ क्या तुम्हारी

आँख में था, हाथ में था,

क्या कहूँ इसके सिवा बस एक जादू--

सा तुम्हारे साथ में था,



टूट वह कब का चुका, जड़ सत्य जग का

सामने भी आ चुका है,

भावना तुमने उभारी थी कभी मेरी, इसे भूला नहीं मैं।



बैठ कितनी बार हमने क्रांति, कविता,

कामिनी की बात की…
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Added by Sonya Shah on March 11, 2014 at 7:07pm — No Comments

એક મોજું એ રીતે અથડાય છે -અનિલ ચાવડા


એક મોજું એ રીતે અથડાય છે,
સ્વપ્નમાં સૌ વ્હાણ ડૂબી જાય છે.


આ દિવસ ક્યારેય પણ ઊગતો નથી,
રાતનો ખાલી કલર બદલાય છે.


આમ કરતાં આમ કર્યું હોત તો ?
એ બધું વીત્યા પછી સમજાય છે.


તોડવું કઈ રીતથી પેન્સિલ પણું ?
શ્વાસ જન્મે ને તરત બટકાય છે.


માત્ર હું દીવાસળી બોલું અને-
ચોતરફથી આગ લાગી જાય છે.
-અનિલ ચાવડા

Added by Sonya Shah on March 10, 2014 at 5:48pm — No Comments

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया - बशीर बद्र



अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया

जिसको गले लगा लिया वो दूर हो गया



कागज में दब के मर गए कीड़े किताब के

दीवाना बे पढ़े-लिखे मशहूर हो गया



महलों में हमने कितने सितारे सजा दिये

लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया



तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना

आईना बात करने पे मज़बूर हो गया



सुब्हे-विसाल पूछ रही है अज़ब सवाल

वो पास आ गया कि बहुत दूर हो गया …



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Added by Sonya Shah on March 10, 2014 at 10:16am — No Comments

मैं तुझे फिर मिलूँगी - अमृता प्रीतम



मैं तुझे फिर मिलूँगी

कहाँ कैसे पता नहीं

शायद तेरे कल्पनाओं

की प्रेरणा बन

तेरे केनवास पर उतरुँगी

या तेरे केनवास पर

एक रहस्यमयी लकीर बन

ख़ामोश…

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Added by Sonya Shah on March 8, 2014 at 2:40pm — No Comments

अंत और आरम्भ - विस्साव शिम्बोर्स्का

हर युद्ध के बाद

किसी न किसी ने चीज़ों को तरतीबवार लगाना होता है.

चीज़ें आख़िर

ख़ुद को उठा तो नहीं सकतीं.



किसी न किसी ने

मलबे को किनारे लगाना होता है

ताकि लाशों से भरी गाड़ियों के लिए

रास्ता बन सके.



किसी न किसी ने गुज़रना ही होगा

गंदगी और राख़,

सोफ़ों के स्प्रिंग,

कांच के टुकड़ों

और ख़ून सने चीथड़ों से हो कर.



किसी न किसी ने लादना होंगे खंभे

दीवार खड़ी करने के वास्ते

किसी ने साफ़ करना होगा…

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Added by Sonya Shah on March 8, 2014 at 9:14am — No Comments

अंतिम संस्कार - नरेश अग्रवाल



मैं गुजर रहा था

अपने चिरपरिचित मैदान से

एकाएक चीख सुनी

जो मेरे सबसे प्रिय पेड़ की थी



कुछ लोग खड़े थे

बड़ी-बड़ी कुल्हाडिय़ॉं लिये…

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Added by Sonya Shah on March 7, 2014 at 9:46am — No Comments

अँधेरा और बच्चा -नीरज दइया



डरता है बच्चा

अँधेरे से

डरता-डरता वह सीखता है -

नहीं डरना !



एक दिन

आता है ऐसा

भरी दोपहरी…

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Added by Sonya Shah on March 5, 2014 at 3:07pm — No Comments

कितनी सदियों से ढूँढ़ती होंगी -गुलज़ार





कितनी सदियों से ढूँढ़ती होंगी

तुमको ये चाँदनी की आवज़ें



पूर्णमासी की रात जंगल में

नीले शीशम के पेड़ के नीचे

बैठकर तुम कभी सुनो जानम

भीगी-भीगी उदास आवाज़ें

नाम लेकर पुकारती है तुम्हें

पूर्णमासी की रात जंगल में...



पूर्णमासी की रात जंगल में

चाँद जब झील में उतरता है

गुनगुनाती हुई हवा जानम

पत्ते-पत्ते के कान में जाकर

नाम ले ले के पूछती है तुम्हें…

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Added by Sonya Shah on March 4, 2014 at 4:44pm — No Comments

અચાનક સંબંધ છટક્યો -- કાજલ ઓઝા – વૈદ્ય



અચાનક સંબંધ છટક્યો

પડ્યો…

ને તૂટી ગયો

સમયની સાવરણી

ફેરવી ફેરવીને થાક્યા છતાં

હજીયે -

કરચોથી મારાં તળિયાં

લોહીલુહાણ કેમ થઈ જાય છે ?

તૂટેલા મંગળસૂત્રના દાણા

હજીયે મળી આવે છે અવારનવાર…

ચાદરમાંથી ગુલાબ-મોગરાની એ સુગંધ

હજીયે જતી નથી !

લોહીનાં ધાબાં જેવાં લાગે છે ગુલાબની

કચડાયેલી પાંદડીના ડાઘ !

ચોળી ચોળીને નાહ્યા છતાં

સતત વીં…

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Added by Sonya Shah on March 3, 2014 at 6:51pm — No Comments

अर्पित तुमको मेरी आशा, और निराशा, और पिपासा| -हरिवंशराय बच्चन



अर्पित तुमको मेरी आशा, और निराशा, और पिपासा|

पंख उगे थे मेरे जिस दिन

तुमने कंधे सहलाए थे,

जिस-जिस दिशि-पथ पर मैं विहरा

एक तुम्हारे बतलाए थे,

विचरण को सौ ठौर, बसेरे

को केवल गलबाँह तुम्हारी,

अर्पित तुमको मेरी आशा, और निराशा, और पिपासा|



ऊँचे-ऊँचे लक्ष्य बनाकर

जब जब उनको छूकर आता,

हर्ष तुम्हारे मन का मेरे

मन का प्रतिद्वंदी बन…
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Added by Sonya Shah on March 3, 2014 at 12:24pm — 1 Comment

व्यंग्यकार से - शैल चतुर्वेदी





एक बेरोज़गार मित्र को पकड़ा

और कहा, "एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?"

तो बोला, "पहले खाना खिलाओ।"

खाना खिलाय तो बोला, "पान खिलाओ।"

पान खिलाया तो बोला, "खाना बहुत बढ़िया था

उसका मज़ा मिट्टी में मत मिलाओ।

अपन ख़ुद ही देश की छाती पर जीते-जागते व्यंग्य हैं

हमें व्यंग्य मत सुनाओ

जो जन-सेवा के नाम पर ऐश करता रहा

और हमें बेरोज़गारी का…
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Added by Sonya Shah on March 1, 2014 at 6:14pm — No Comments

आज मैंने अपना फिर सौदा किया -जावेद अख़्तर





आज मैंने अपना फिर सौदा किया

और फिर मैं दूर से देखा किया



ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल

एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया



कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी

तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया…

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Added by Sonya Shah on March 1, 2014 at 10:41am — No Comments

निर्वाण षटकम् -श्री आदि शंकराचार्य





मनो बुध्यहंकार चिता निनाहम,

न च श्रोत्र जिह्वे न च ग्राना नेत्रे,

न च व्योमा भूमि न तेजो न वायुह,

चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)



न च प्राण संग्नो न वै पंच वायुह,

न वा सप्त धातु न व पंच कोशः,…

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Added by Sonya Shah on February 27, 2014 at 2:18pm — No Comments

एक मुलाकात -अमृता प्रीतम



मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी

सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……

फिर समुन्द्र को खुदा जाने

क्या ख्याल आया

उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी

मेरे हाथों में थमाई

और हंस कर कुछ दूर हो गया



हैरान थी….

पर उसका चमत्कार ले लिया

पता था कि इस प्रकार की घटना

कभी सदियों में होती है…..



लाखों ख्याल आये

माथे में झिलमिलाये



पर खड़ी रह गयी कि उसको उठा कर

अब…

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Added by Sonya Shah on February 26, 2014 at 2:58pm — No Comments

दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूं मैं -शहरयार



दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूँ मैं।

तुझसे बिछड़ के क्यों लगता है, तनहा नहीं हूँ मैं।



उम्र-सफश्र में कब सोचा था, मोड़ ये आयेगा।

दरिया पार खड़ा हूँ गरचे प्यासा नहीं हूँ मैं।



पहले बहुत नादिम था लेकिन आज बहुत खुश हूँ।

दुनिया-राय थी अब तक जैसी वैसा नहीं हूँ मैं।



तेरा लासानी होना तस्लीम किया जाए।

जिसको देखो ये…

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Added by Sonya Shah on February 25, 2014 at 3:38pm — No Comments

औरत ने जनम दिया मर्दों को -साहिर लुधियानवी



औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया

जब जी चाहा कुचला मसला, जब जी चाहा दुत्कार दिया



तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में

नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में

ये वो बेइज़्ज़त चीज़ है जो, बंट जाती है इज़्ज़तदारों…

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Added by Sonya Shah on February 19, 2014 at 4:38pm — No Comments

चलो इक बार फिर से -साहिर लुधियानवी



चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनो

चलो इक बार फिर से ...



न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की

न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से



न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से

न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्म-कश का राज़ नज़रों से

चलो इक बार फिर से ...



तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से

मुझे भी लोग कहते हैं कि…

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Added by Sonya Shah on February 19, 2014 at 4:36pm — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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