Sonya Shah's Blog (94)

વાતોની કુંજગલી – જગદીશ જોષી

વાતે વાતે તને વાંકું પડયું :

ને મેં વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.



શબ્દોને પંથ કોણ કોને નડયું ?

મેં તો વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.



આંખોમાં વાદળાં ને શ્વાસોમાં વાયરા :

પણ અડકો તો ભોમ સાવ કોરી :

તારા તે કાન લગી આવી ઢોળાઇ ગઇ

હોઠ સમી અમરત કટોરી.



પંખીની પાંખમહીં પીંછુ રડયું :

મેં તો વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.



હવે ખળખળતાં ટળટળતાં અંધાર્યા જળ

કે અણધાર્યો તૂટી પડયો સેતુ…

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Added by Sonya Shah on April 9, 2014 at 2:25pm — No Comments

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को -रामानंद शर्मा

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला हैं मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम

भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा

लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा

उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया

शीतल बने आग चंदन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी

उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी

युग युग से प्यासी मरूभूमी ने जैसे सावन का संदेस पाया

जिस राह की मंज़िल…

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Added by Sonya Shah on April 9, 2014 at 2:23pm — No Comments

मैं पल दो पल का शायर हूँ -साहिर लुधियानवी



मैं पल दो पल का शायर हूँ,पल दो पल मेरी कहानी है

पल दो पल मेरी हस्ती है,पल दो पल मेरी जवानी है



मुझसे पहले कितने शायर,आए और आकर चले गए

कुछ आहें भर कर लौट गए,कुछ नग़मे गाकर चले गए



वो भी एक पल का किस्सा थे,मैं भी एक पल का किस्सा हूँ

कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा,वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ



कल और आएंगे नग़मों की,खिलती कलियाँ चुनने वाले

मुझसे बेहतर कहने वाले,तुमसे बेहतर सुनने वाले…

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Added by Sonya Shah on April 7, 2014 at 10:34pm — No Comments

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है -मौलाना हसरत मोहानी



चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है



तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा

और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है



चोरी-चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह

मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है



खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन

और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है



तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज…

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Added by Sonya Shah on April 7, 2014 at 10:34pm — No Comments

तुमको देखा तो ये ख़याल आया -जावेद अख्तर

तुमको देखा तो ये ख़याल आया

ज़िंदगी धूप तुम घना साया



आज फिर दिल ने इक तमन्ना की

आज फिर दिल को हमने समझाया



तुम चले जाओगे तो सोचेंगे

हमने क्या खोया हमने क्या पाया



हम जिसे गुनगुना नहीं सकते

वक़्त ने ऐसा…

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Added by Sonya Shah on April 3, 2014 at 6:56pm — No Comments

टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा -सदाक़त हुसैन

टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा

के फिर जुड़ ना पाया

लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा

के फिर उड़ ना पाया

गिरता हुआ वो आसमां से

आकर गिरा ज़मीन पर

ख्वाबों में फिर भी बादल ही थे

वो कहता रहा मगर

के अल्लाह के बन्दे हंस दे

जो भी हो कल फिर आएगा



खो के अपने पर ही तो उसने था उड़ना सिखा

गम को अपने साथ में ले ले दर्द भी तेरे काम आएगा

अल्लाह के बन्दे...



टुकड़े-टुकड़े हो गया था हर सपना जब वो टूटा

बिखरे टुकड़ों में अल्लाह की मर्ज़ी का…

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Added by Sonya Shah on April 2, 2014 at 2:30pm — No Comments

एक पुराना मौसम लौटा -गुलज़ार

एक पुराना मौसम लौटा

याद भरी पुरवाई भी

ऐसा तो कम ही होता है

वो भी हो तनहाई भी



यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं

कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी

ऐसा तो कम...



दो-दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में

मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी

ऐसा तो कम...



ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है

उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी

ऐसा तो…

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Added by Sonya Shah on April 1, 2014 at 2:51pm — No Comments

चांद तन्हा है आसमां तन्हा - मीना कुमारी

चाँद तन्हा है आस्माँ तन्हा

दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा



बुझ गई आस, छुप गया तारा

थरथराता रहा धुआँ तन्हा



ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं

जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा



हमसफर कोई गर मिले भी कहीं

दोनों चलते रहे यहाँ तन्हा



जलती-बुझती-सी रौशनी के परे

सिमटा-सिमटा सा इक मकाँ तन्हा



राह देखा करेगा सदियों तक

छोड़ जाएँगे ये…
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Added by Sonya Shah on March 31, 2014 at 2:31pm — No Comments

उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी -सुदर्शन फ़ाकिर



उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी

हर शय जहाँ हसीन थी, हम तुम थे अजनबी



लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे

फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे

लेकिन कहाँ है इनमें वो, पहली सी दिलकशी

उस मोड़ से शुरू...



रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में

उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में

आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी

उस मोड़ से शुरू...



शायद ये वक़्त…

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Added by Sonya Shah on March 30, 2014 at 10:31pm — No Comments

मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है -सलीम कौसर



मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है

सरे-आईना मेरा अक्स है, पसे-आईना कोई और है



मैं किसी की दस्ते-तलब में हूँ तो किसी की हर्फ़े-दुआ में हूँ

मैं नसीब हूँ किसी और का, मुझे माँगता कोई और है

मैं ख़्याल हूँ किसी और का...



अजब ऐतबार-ओ-बेऐतबारी के दरम्यान है ज़िन्दगी

मैं क़रीब हूँ किसी और के, मुझे जानता कोई और है

मैं ख़्याल हूँ किसी और का...



तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से…

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Added by Sonya Shah on March 28, 2014 at 2:38pm — No Comments

हंगामा है क्यूँ बरपा - अकबर इलाहाबादी





हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है

डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है



ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़ की ये बातें हैं

इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है



उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना

मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है



वां3दिल में कि दो सदमे,यां जी में कि सब सह लो

उन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है



हर ज़र्रा चमकता है,…

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Added by Sonya Shah on March 28, 2014 at 2:36pm — No Comments

कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो -अहमद फ़राज़



कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो।

बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी देर साथ चलो।



तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है

ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो।



नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं

बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो।



ये एक शब की मुलाक़ात भी गनीमत है

किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो।



तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जाना हमें भी…
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Added by Sonya Shah on March 26, 2014 at 2:26pm — No Comments

झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी -मुमताज़ रशीद



झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी

कब से आँखोंमें लिये बैठा हूँ सूरत उसकी



एक दिन मेरे किनारों में सिमट जाएगी

ठहरे पानी सी ये खामोश मुहब्बत उसकी

झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी



बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नहीं

फाँसले और बढ़ा देती हैं खुर्बत उसकी

झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी



किसने जाना है बदलते हुए मौसम का मिज़ाज

उसको चाहो तो समज पाओगे फ़ितरत उसकी…

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Added by Sonya Shah on March 25, 2014 at 2:06pm — No Comments

તબીબો પાસેથી હું નિકળ્યો દિલની દવા લઈ ને -‘બેફામ’ બરકત વિરાણી





તબીબો પાસેથી હું નિકળ્યો દિલની દવા લઈ ને,

જગત સામે જ ઊભું હતું દર્દો નવા લઈ ને,



તરસ ને કારણે નો’તી રહી તાકાત ચરણોમાં

નહી તો હું તો નીકળી જાત રણથી ઝાંઝવા લઇને



હું રજકણથી ય હલકો છું તો પર્વતથી ય ભારે છું

મને ના તોળશો લોકો તમારા ત્રાજવા…

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Added by Sonya Shah on March 24, 2014 at 2:36pm — No Comments

अजनबी - दीप्ति नवल



अजनबी रास्तों पर

पैदल चलें

कुछ न कहें



अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए

सवालों के दायरों से निकलकर

रिवाज़ों की सरहदों के परे

हम यूँ ही साथ चलते रहें

कुछ न कहें

चलो दूर तक



तुम अपने माजी का

कोई ज़िक्र न छेड़ो

मैं भूली हुई

कोई नज़्म न दोहराऊँ

तुम कौन हो

मैं क्या हूँ

इन सब बातों को

बस, रहने दें



चलो दूर तक

अजनबी रास्तों पर पैदल…

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Added by Sonya Shah on March 23, 2014 at 3:12pm — No Comments

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली - मीना कुमारी





टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली

जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली



रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी

आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली



जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी…

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Added by Sonya Shah on March 21, 2014 at 3:14pm — No Comments

मुझको इतने से काम पे रख लो - गुलज़ार



मुझको इतने से काम पे रख लो...

जब भी सीने पे झूलता लॉकेट

उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से

सीधा करता रहूँ उसको



मुझको इतने से काम पे रख लो...



जब भी आवेज़ा उलझे बालों में

मुस्कुराके बस इतना सा कह दो

आह चुभता है ये अलग कर दो



मुझको इतने से काम पे रख लो....



जब ग़रारे में पाँव फँस जाए

या दुपट्टा किवाड़ में अटके

एक नज़र देख लो तो काफ़ी है



मुझको इतने से काम…

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Added by Sonya Shah on March 20, 2014 at 2:48pm — No Comments

साँसों की परिधि - दुष्यन्त कुमार



जैसे अन्धकार में
एक दीपक की लौ
और उसके वृत्त में करवट बदलता-सा
पीला अँधेरा।
वैसे ही
तुम्हारी गोल बाँहों के दायरे में
मुस्करा उठता है
दुनिया में सबसे उदास जीवन मेरा।
अक्सर सोचा करता हूँ
इतनी ही क्यों न हुई
आयु की परिधि और साँसों का घेरा।
-दुष्यन्त कुमार

Added by Sonya Shah on March 19, 2014 at 4:27pm — No Comments

जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना - ज़फ़र गोरखपुरी





जब मेरी याद सताए तो मुझे ख़त लिखना ।

तुम को जब नींद न आए तो मुझे ख़त लिखना ।।



नीले पेड़ों की घनी छाँव में हँसता सावन,

प्यासी धरती में समाने को तरसता सावन,

रात भर छत पे लगातार बरसता…
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Added by Sonya Shah on March 19, 2014 at 4:26pm — No Comments

आया होली का त्योहार -पं. श्री भरत व्यास



आज रंगो का त्योहार, संग लाया खुशियों की बौछार

होली की बधाई दे आप को, हम स्याही परिवार



अटक अटक झट पट पनघट पर

चटल मटक एक नार नवेली

गोरी गोरी ग्वालनकी छोरी चली चोरी चोरी

मुख मोरी मोरी मुसकाये…

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Added by Sonya Shah on March 17, 2014 at 7:49pm — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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