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मेरा इल्म – पंकज त्रिवेदी



Photo: मेरा इल्म – पंकज त्रिवेदी मैंने जब एक पौधा बोया था तब एक सपना भी देखा था पारिजात का पौधा और एक वटवृक्ष... जिसकी सुगंध मेरे मस्तिष्क में इस तरह फैल जाएँ कि पूरे दिन की थकान उतर जाएँ उसके फूलों की खुश्बू से.... घर आते ही झूले पर दिनभर की डाक और कुरियर से आई सामग्री देखने को उतावला मन खुशी से झूम उठे किसी अच्छी खबर को पढते हुए और मन को शांति मिले कि मैंने अपनी मुठ्ठी में लिए चंद शब्दों की तितलियों को जो आसमान दिया है वो पर्याप्त हैं मेरी कलम के शब्द किसी की ज़िंदगी को बसर करने का जरिया बनें किसी के बुरे वक्त की ताकत बनें या फिर बेटी को विदा करते बाप का सुकून बनें और जीवन के कुछ अनछुए लम्हों की तसवीर बनें जिसके सपने देखते रहते हैं हम ... मेरे अंतर से उभरती संवेदनाओं का पुट किसी के ज़हन में अच्छे विचार का दीप जलाएं और ज़िंदगी की दौड़ में वो अपने ही बलबूते पर सहज तरलता से आगे बढते हुए पहचान बनाएँ... और वो भी शाम को घर लौटकर अपने आँगन में देखें तो उसके चाहने वालों की ऊष्मा और प्यार से सराबोर हो जाएँ जो उसे फिर से एकबार इंसानी रूप में जन्म लेने को आश्वस्त करें अगर समय की डोर टूट भी जाएँ तो ईश्वर से कह सकें कि आपने जो ज़िम्मा दिया था मुझे उस कार्य को सम्पन्न करके आया हूँ मैं उसका गौरवान्वित चेहरा देख ईश्वर भी सर उठाकर इल्म पर मुस्कुराता रहें... **********


मैंने जब एक पौधा बोया था

तब एक सपना भी देखा था

पारिजात का पौधा और

एक वटवृक्ष...

जिसकी सुगंध मेरे…
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Added by pankaj trivedi on March 19, 2013 at 6:53am — 2 Comments

વેકેશનનો સદઉપયોગ

શબ્દોની ખેતી કરી નવી-નવી રચનાઓ કહો, 
ગઝલ-કવિતા રૂપી ફળદ્રુપ કલ્પનાઓ લણો 
 =પારસ હેમાણી=

Added by Paras Hemani on May 17, 2013 at 2:09pm — 1 Comment

ગઝલ

હવે તમારું જીવન લમણાઝીંક વગરનું છે

નવા વરસનું કેલેન્ડર તારીખ વગરનું છે

 

વાત અહીંથી ક્યાંય જશે નૈ, છોડી દે ચિંતા

જે ઘરમાં તું બેઠો છે એ ભીત વગરનું છે

 

આજ ખરેખર જન્મ્યાં પહેલા મરી ગયું જંગલ

ઊગી ગયું છે ઝાડ, પરંતુ બીજ વગરનું છે

 

મારા ઘરનું ડિમોલીશન બહુ જ અઘરું છે…

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Added by Kuldeep Rajendrakumar Karia on March 22, 2013 at 11:28am — 5 Comments

Muskurahat ...!!!!

पता है तुम्हारी और हमारी
मुस्कान में फ़र्क क्या है?
तुम खुश हो कर मुस्कुराते हो,
हम तुम्हे खुश देख के मुस्कुराते हैं...

Added by Naresh Barot on October 17, 2014 at 10:59am — 2 Comments

उलझन

उस शख्स को मानना मुश्किल है कितना ---------

जो रूठा भी न हो ---

और

बात भी न करता हो ------

Added by Ritu Garg on October 17, 2014 at 11:51am — 1 Comment

तुम्हे भुलाये कैसे

रोज़ सोचती हु भूल जाउंगी उसे ----
और रोज\ यही बात भूल  जाती हु /

Added by Ritu Garg on October 17, 2014 at 12:17pm — No Comments

આજે દિવાળી છે !

કોઈને જૂઓ અને

તમારી અંદર રંગોલી પૂરાઈ જાય ત્યારે

સમજવું કે

આજે દિવાળી છે !

સાવ સૂરસૂરિયા જેવા અસ્તિત્વને લઈને

ફરતા…

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Added by Dolly on October 17, 2014 at 5:32pm — No Comments

અંતરિક્ષ આપણુ

અંતરિક્ષ આપણુ

>

ચલ  વાદળો   પર   બંગલો  બનાવીએ

ક્યારેક રહી લઇએ તો ક્યારેક એને ઝંઝોળીને નહી લઇએ

>

પૂનમના ચાંદાનો  ખાટલો રાખીએ

ક્યારેક હનિમૂન કરીએ તો ક્યારેક મૂન-વૉક કરીએ

>

લાઇટ બલ્બ જેવા તારાઓને  dimlight  પર રાખીએ

ગાઢ  નીદ્રામાં  ખલેલ  ના પડે એનુ ધ્યાન રાખીએ

>

રસ્તામાં મંગળ નડે તો એને કિક મારીએ

આપણા વચ્ચે કોઇ  ના આવે એનુ ધ્યાન રાખીએ

>

ચલ  વાદળો   પર …

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Added by HARSHIL A SHETH on October 16, 2014 at 12:18am — 1 Comment

नाम

जहाँ से तेरा मन चाहे,
वहाँ से मेरी जिन्दगी को पढ़ ले,
पन्ना चाहे कोई भी खुले..
हर पन्ने पर तेरा ही नाम होगा..

Added by Naresh Barot on October 13, 2014 at 11:50am — 1 Comment

dadagiri

खेरात में मिली हुई खुशी हमे पसंद नही है क्यूंकि हम गम में भी नवाब
की तरह जीते है...!!!-
मुजे एक ने पूछा "कहा रहते हो "
मैंने कहा "औकात मे "
साले ने फिर पूछा "कब तक ?"
मैंने कहा "सामने वाला रहे तब तक "
.
.
.
.
दादागिरी तो हम मरने के बाद भी करेंगे , लोग पैदल चैलेगे और हम कंधो पर...!!

Added by Naresh Barot on October 12, 2014 at 3:32pm — 1 Comment

ગઝલ

આ પવન એવું કરે પણ ખરો ,
ખુશ્બુ લઇ ઘર ઘર ફરે પણ ખરો .

શ્વાસમાં રોપી જો તું ડાળખી ,
કોઈ ટહુકો અવતરે પણ ખરો .

આ સમયથી જાય જે જીતી તે ,
ભર સભામાં કરગરે પણ ખરો .

તું બધા અચરજ ત્યજી દે પછી ,
શક્ય છે પથ્થર તરે પણ ખરો .

સ્પર્શી આવી છે હવા એમને ,
સ્વાસ પાછો સંચરે પણ ખરો .
પીયૂષ પરમાર .

Added by piyush parmar on February 27, 2013 at 4:31pm — 2 Comments

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं / राहत इन्दौरी

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं 

चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं 



मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता

कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं 



कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर

अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं 



ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर

नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं 



उसकी याद आई हैं…

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Added by Juee Gor on October 11, 2014 at 10:13pm — No Comments

તેવું તો કેમ થાય.

નરી એકલતા હોય અને જાત સાથે સામનો થાય,

ખાલી કેમ છો કહી નીકળી જઈએ ,તેવું તો કેમ થાય



અંદર ભર્યા છે મે બધાય ઉત્તરો તારા સવાલના ,

અંદર ઉતર્યા વિના શોધે જવાબ, તેવું તો કેમ થાય



તું પ્રેમને સરેઆમ એક ઘટના કહીને દર્શાવે

હૈયે હોય લાગણી ને દેખાય ના ,તેવું તો કેમ થાય



મળવાના વાયદા ને તું ભવિષ્ય પર ઠેલ્યા કરે

ખાલી આવીને સપના માં સતાવે, તેવું તો કેમ થાય



પવન જઈ પહોચાડે પતંગિયા ને ફૂલોના ગીત

ફૂલોનેય કોઈએ ભાષા હોય, તેવું તો કેમ… Continue

Added by Rekha patel ( vinodini) on June 2, 2013 at 6:33am — 3 Comments

એફ્બી શહીદ...

કોણ જાણે કેમ રોજ આ ફેસબુક પર શું થાય છે?

ટ્રાફિક લાઈટે અટકીને સ્ટેટ્સ લાઈક થાય છે.



નવી ફ્રેન્ડ રીક્વેસ્ટે રૂપાળું હાઈ-હેલ્લો થાય છે,

પછી કોમન ફ્રેન્ડ્સ જોઇને હુંસાતુંસી થાય છે.



એ લખે ને હું કેમ નૈ એમાં કવિતા રચાય જાય છે,

આ ઝુકેરીયાને લીધે જ લેખક-કવિ પેદા થાય છે.



જેશ્રીક્રષ્ણ, ગુડમોર્નિંગ ને ગુડનાઈટની વાતો...

ઘરમાં નૈ પણ ફેસપુરે ત્રણેવ ટાઈમ થાય છે.



નોટીફીકેશનના ઘંટે ઈશ્વર પણ જાગી જાય છે,

ટેગા-ટેગ ને કોમેન્ટ્સે જ્યારે ફરીફાઈ…

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Added by Dhruti Sanjiv on February 24, 2014 at 7:30am — 3 Comments

એક પ્રશ્ન !?

તારી અને મારી વાતોને
દાયકા વીતી ગયાં
એવું લાગે !!
આ પ્રેમાળ સંબધ
જરૂરિયાત ક્યારે બની રહ્યો ........!?!
--શ્રીદા--

Added by Shreeda Doctor on October 9, 2014 at 11:17am — No Comments

રમેશ પારેખ

મારા ખોબામાં ખખડાવું કોડી ૪૦

તને બોલાવું : રમવા આવીશ ?

છાબડી લઇને ચાલ, પરપોટા વીણશું

ને સાંજરે વળીશું ઘેર પાછાં

વીણેલા પરપોટા સાંધી સાંધીને

એના દરિયાઓ ગોઠવશું આછા

પછી દરિયાને તું ક્યાં વાવીશ ?

રણથી ટેવાયેલી આંગળીઓ

પાણીને ઑળખાણ આપતાં મૂઝાંશે

પોતાના ખખડાટે છળી જતી કોડીને

દરિયો અફળાય તો શું થાશે ?

તારા ખોબામાં તું…

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Added by Juee Gor on October 8, 2014 at 8:52pm — No Comments

कुंठा / दुष्यंत कुमार

मेरी कुंठा
रेशम के कीड़ों-सी
ताने-बाने बुनती,
तड़प तड़पकर
बाहर आने को सिर धुनती,
स्वर से
शब्दों से
भावों से
औ' वीणा से कहती-सुनती,
गर्भवती है
मेरी कुंठा –- कुँवारी कुंती!

बाहर आने दूँ
तो लोक-लाज मर्यादा
भीतर रहने दूँ
तो घुटन, सहन से ज़्यादा,
मेरा यह व्यक्तित्व
सिमटने पर आमादा।

Added by Rina Badiani Manek on October 8, 2014 at 11:33am — No Comments

ख़ामोशी

मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा अलफ़ाज़
मेरा…
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआ हालात मेरा ...

Added by Dolly on October 8, 2014 at 3:43pm — No Comments

Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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