Made in India
એક દિ મમ્મી નાની થઈ ગઈ, ને હું થઈ ગઈ મોટી,
મેં તો એને નવડાવી, લઈને સાબુની ગોટી !!
ભેંકડા એણે ખૂબ જ તાણ્યાં, કર્યું બહુ તોફાન !
મેં પણ એનું માથું ધોયું , પકડીને બે કાન !
તૈયાર કરી, માથે એને લઈ દીધી’તી ચોટી…
એક દિ મમ્મી નાની થઈ ગઈ.
એને ભલે રમવું હોય પણ, લેસન હું કરાવું !
વ્હેલી વ્હેલી ઉઠાડી દઉં, બપોરે સુવરાવું !
બપોર વચ્ચે ગીતો ગાય તો ધમકાવું લઈ સોટી…
એક દિ મમ્મી નાની થઈ ગઈ.
દોડા દોડી કરે કદી તો બૂમ-બરાડા પાડું
ચોખ્ખી લાદી બગાડે…
Added by Juee Gor on May 11, 2014 at 3:00pm — No Comments
Added by Juee Gor on May 5, 2014 at 9:45pm — No Comments
कभी कभी किसी शाम को, दिल क्यों इतना तनहा होता है कि भीड़ का हर ठहाका कर देता है कुछ और अकेला, और चाँद जो देखता है सब पर चुप रहता है, क्यों नहीं बन जाता उस टेबल का पेपरवेट जहाँ जिंदगी की किताब के पन्ने उलटती जाती है, वक़्त की आंधी, या क्यों नहीं बन जाता उस नदी में एक संदेशवाहक कश्ती जिसके दोनों किनारे कभी नहीं मिलते, बस ताकते हैं एक टक एक दूसरे को, सालों तक, वक़्त के साथ उनकी धुंधलाती आँखों का चश्मा भी तो बन सकता है चाँद, या बन सकता नदी के बीच रौशनी का एक खम्बा, और पिघला सकता है कुछ जमी हुई…
ContinueAdded by Juee Gor on May 2, 2014 at 3:18pm — No Comments
अपनी अपनी खूबियाँ और ख़ामियाँ भी बाँट लें
शोहरतें तो बाँट ली रुसवाइयाँ भी बाँट लें
बाँट ली आसानियाँ, दुशवारियाँ भी बाँट लें
आओ अपनी- अपनी ज़िम्मेदारियाँ भी बाँट लें
बँट गया है घर का आँगन, खेत सारे बँट गए
क्यों न अब बंजर ज़मीं और परतियाँ भी बाँट लें
कल अगर मिल बाँट के खाए थे तर लुक्मे तो आज
आओ हम अपनी ये सूखी रोटियाँ भी बाँट लें
अपने हिस्से की ज़मीं तो दे चुके हमसाए को
अब बताओ क्या हम अपनी वादियाँ भी बाँट लें
दर्द, आँसू, बेकरारी इक…
ContinueAdded by Juee Gor on April 16, 2014 at 9:13pm — No Comments
मां सिखाती थी अक्सर एक ही बात लड़कियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं मैं जब भी हंसती उन्मुक्त! वे आंखें दिखाती। मैं जब भी चाहती खेलना पड़ौस में वे सहम जाती धीरे से डांट कर मुझे अंदर ले जाती। वे अनपढ़ थी पर मुझे अक्सर पढ़ने को कहती। जब भी मैंक हना चाहती कुछ खुलकर वे मुझे खामोश कर देतीं। जब मेरी शादी की बात आती मैं यकायक पराया धन हो जाती भाई क्यूं नहीं है पराया ....? वे कहीं खो जाती आह भरते हुए सिर्फ इतना कहती - वही तो है हमारे बुढ़ापे की लाठी। इन आंखों का तारा उनकी बातें मुझे अंदर तक लील…
ContinueAdded by Juee Gor on March 31, 2014 at 10:03pm — No Comments
Added by Juee Gor on March 15, 2014 at 9:18am — No Comments
बहुत घुटी-घुटी रहती हो... बस खुलती नहीं हो तुम!" खुलने के लिए जानते हो बहुत से साल पीछे जाना होगा और फिर वही से चलना होगा जहाँ से कांधे पे बस्ता उठाकर स्कूल जाना शुरू किया था इस ज़ेहन को बदलकर कोई नया ज़ेहन लगवाना होगा और इस सबके बाद जिस रोज़ खुलकर खिलखिलाकर ठहाका लगाकर किसी बात पे जब हँसूंगी तब पहचानोगे क्या?
Added by Juee Gor on March 10, 2014 at 6:55pm — No Comments
Added by Juee Gor on March 8, 2014 at 3:00pm — No Comments
Added by Juee Gor on March 5, 2014 at 10:06pm — No Comments
Added by Juee Gor on March 4, 2014 at 10:46am — No Comments
ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? વાસંતી વા વન-ઉપવનમાં, સપનાંને ઉગાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? લૂ તો ઝીણાં ઝાંઝર પહેરી, ચાલ લચકતી ચાલે ગુલમહોરી લાલી લીંપી, દશે દિશાએ મ્હાલે તડકાનું આંજણ આંજીને, વગડાને અજવાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? ધ્યાન ધરી તમરાંના ગીતો , હોંશે હોંશે પોંખે સીમતણાં સન્નાટાને પણ , ફાંટ ભરીને જોખે બપ્પોરી વેળા તો ઝુમ્મર, બાંધી દે ગરમાળે..! ફાગણ કેમ ચળે ના ચાળે ? સોળવલાં જોબનને ઊંચકે, કેસરભીના કાંધે સૂરજ સાખે અંગમરોળી, તાર નયનના સાંધે કેસૂડાંનો આવો ઈશારો, કેમ કરીને ખાળે ? ફાગણ કેમ ચળે…
ContinueAdded by Juee Gor on March 3, 2014 at 2:02pm — No Comments
Added by Juee Gor on March 1, 2014 at 8:00pm — No Comments
Added by Juee Gor on February 20, 2014 at 12:02pm — No Comments
Added by Juee Gor on February 18, 2014 at 9:49pm — No Comments
Added by Juee Gor on February 16, 2014 at 11:14am — No Comments
Added by Juee Gor on February 12, 2014 at 3:26pm — No Comments
Added by Juee Gor on January 31, 2014 at 9:33pm — No Comments
Added by Juee Gor on January 23, 2014 at 11:12pm — 1 Comment
Added by Juee Gor on January 21, 2014 at 10:59pm — No Comments
Added by Juee Gor on January 13, 2014 at 10:02pm — No Comments
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
© 2024 Created by Facestorys.com Admin. Powered by
Badges | Report an Issue | Privacy Policy | Terms of Service