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વાતે વાતે તને વાંકું પડયું :
ને મેં વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.
શબ્દોને પંથ કોણ કોને નડયું ?
મેં તો વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.
આંખોમાં વાદળાં ને શ્વાસોમાં વાયરા :
પણ અડકો તો ભોમ સાવ કોરી :
તારા તે કાન લગી આવી ઢોળાઇ ગઇ
હોઠ સમી અમરત કટોરી.
પંખીની પાંખમહીં પીંછુ રડયું :
મેં તો વાતોની કુંજગલી છોડી દીધી.
હવે ખળખળતાં ટળટળતાં અંધાર્યા જળ
કે અણધાર્યો તૂટી પડયો સેતુ…
Added by Sonya Shah on April 9, 2014 at 2:25pm — No Comments
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला हैं मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम
भटका हुआ मेरा मन था कोई, मिल ना रहा था सहारा
लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा
उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो किसी ने किनारा दिखाया
शीतल बने आग चंदन के जैसी, राघव कृपा हो जो तेरी
उजियाली पूनम की हो जाए रातें, जो थी अमावस अंधेरी
युग युग से प्यासी मरूभूमी ने जैसे सावन का संदेस पाया
जिस राह की मंज़िल…
ContinueAdded by Sonya Shah on April 9, 2014 at 2:23pm — No Comments
मैं पल दो पल का शायर हूँ,पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है,पल दो पल मेरी जवानी है
मुझसे पहले कितने शायर,आए और आकर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए,कुछ नग़मे गाकर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे,मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊँगा,वो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
कल और आएंगे नग़मों की,खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझसे बेहतर कहने वाले,तुमसे बेहतर सुनने वाले…
Added by Sonya Shah on April 7, 2014 at 10:34pm — No Comments
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है
चोरी-चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन
और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है
तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज…
Added by Sonya Shah on April 7, 2014 at 10:34pm — No Comments
तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िंदगी धूप तुम घना साया
आज फिर दिल ने इक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया हमने क्या पाया
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा…
Added by Sonya Shah on April 3, 2014 at 6:56pm — No Comments
टूटा टूटा एक परिंदा ऐसे टूटा
के फिर जुड़ ना पाया
लूटा लूटा किसने उसको ऐसे लूटा
के फिर उड़ ना पाया
गिरता हुआ वो आसमां से
आकर गिरा ज़मीन पर
ख्वाबों में फिर भी बादल ही थे
वो कहता रहा मगर
के अल्लाह के बन्दे हंस दे
जो भी हो कल फिर आएगा
खो के अपने पर ही तो उसने था उड़ना सिखा
गम को अपने साथ में ले ले दर्द भी तेरे काम आएगा
अल्लाह के बन्दे...
टुकड़े-टुकड़े हो गया था हर सपना जब वो टूटा
बिखरे टुकड़ों में अल्लाह की मर्ज़ी का…
Added by Sonya Shah on April 2, 2014 at 2:30pm — No Comments
एक पुराना मौसम लौटा
याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है
वो भी हो तनहाई भी
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी
ऐसा तो कम...
दो-दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में
मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी
ऐसा तो कम...
ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
ऐसा तो…
Added by Sonya Shah on April 1, 2014 at 2:51pm — No Comments
Added by Sonya Shah on March 31, 2014 at 2:31pm — No Comments
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम तुम थे अजनबी
लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे
लेकिन कहाँ है इनमें वो, पहली सी दिलकशी
उस मोड़ से शुरू...
रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी
उस मोड़ से शुरू...
शायद ये वक़्त…
Added by Sonya Shah on March 30, 2014 at 10:31pm — No Comments
मैं ख़्याल हूँ किसी और का, मुझे सोचता कोई और है
सरे-आईना मेरा अक्स है, पसे-आईना कोई और है
मैं किसी की दस्ते-तलब में हूँ तो किसी की हर्फ़े-दुआ में हूँ
मैं नसीब हूँ किसी और का, मुझे माँगता कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
अजब ऐतबार-ओ-बेऐतबारी के दरम्यान है ज़िन्दगी
मैं क़रीब हूँ किसी और के, मुझे जानता कोई और है
मैं ख़्याल हूँ किसी और का...
तेरी रोशनी मेरे खद्दो-खाल से…
Added by Sonya Shah on March 28, 2014 at 2:38pm — No Comments
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है
ना-तजुर्बाकारी से, वाइज़ की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है
उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना
मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
वां3दिल में कि दो सदमे,यां जी में कि सब सह लो
उन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
हर ज़र्रा चमकता है,…
Added by Sonya Shah on March 28, 2014 at 2:36pm — No Comments
Added by Sonya Shah on March 26, 2014 at 2:26pm — No Comments
झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी
कब से आँखोंमें लिये बैठा हूँ सूरत उसकी
एक दिन मेरे किनारों में सिमट जाएगी
ठहरे पानी सी ये खामोश मुहब्बत उसकी
झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी
बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नहीं
फाँसले और बढ़ा देती हैं खुर्बत उसकी
झीलमें चाँद नज़र आये थी हसरत उसकी
किसने जाना है बदलते हुए मौसम का मिज़ाज
उसको चाहो तो समज पाओगे फ़ितरत उसकी…
Added by Sonya Shah on March 25, 2014 at 2:06pm — No Comments
તબીબો પાસેથી હું નિકળ્યો દિલની દવા લઈ ને,
જગત સામે જ ઊભું હતું દર્દો નવા લઈ ને,
તરસ ને કારણે નો’તી રહી તાકાત ચરણોમાં
નહી તો હું તો નીકળી જાત રણથી ઝાંઝવા લઇને
હું રજકણથી ય હલકો છું તો પર્વતથી ય ભારે છું
મને ના તોળશો લોકો તમારા ત્રાજવા…
Added by Sonya Shah on March 24, 2014 at 2:36pm — No Comments
अजनबी रास्तों पर
पैदल चलें
कुछ न कहें
अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए
सवालों के दायरों से निकलकर
रिवाज़ों की सरहदों के परे
हम यूँ ही साथ चलते रहें
कुछ न कहें
चलो दूर तक
तुम अपने माजी का
कोई ज़िक्र न छेड़ो
मैं भूली हुई
कोई नज़्म न दोहराऊँ
तुम कौन हो
मैं क्या हूँ
इन सब बातों को
बस, रहने दें
चलो दूर तक
अजनबी रास्तों पर पैदल…
Added by Sonya Shah on March 23, 2014 at 3:12pm — No Comments
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली
रिमझिम-रिमझिम बूँदों में, ज़हर भी है और अमृत भी
आँखें हँस दीं दिल रोया, यह अच्छी बरसात मिली
जब चाहा दिल को समझें, हँसने की आवाज़ सुनी…
Added by Sonya Shah on March 21, 2014 at 3:14pm — No Comments
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...
जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह चुभता है ये अलग कर दो
मुझको इतने से काम पे रख लो....
जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम…
Added by Sonya Shah on March 20, 2014 at 2:48pm — No Comments
जैसे अन्धकार में
एक दीपक की लौ
और उसके वृत्त में करवट बदलता-सा
पीला अँधेरा।
वैसे ही
तुम्हारी गोल बाँहों के दायरे में
मुस्करा उठता है
दुनिया में सबसे उदास जीवन मेरा।
अक्सर सोचा करता हूँ
इतनी ही क्यों न हुई
आयु की परिधि और साँसों का घेरा।
-दुष्यन्त कुमार
Added by Sonya Shah on March 19, 2014 at 4:27pm — No Comments
Added by Sonya Shah on March 19, 2014 at 4:26pm — No Comments
आज रंगो का त्योहार, संग लाया खुशियों की बौछार
होली की बधाई दे आप को, हम स्याही परिवार
अटक अटक झट पट पनघट पर
चटल मटक एक नार नवेली
गोरी गोरी ग्वालनकी छोरी चली चोरी चोरी
मुख मोरी मोरी मुसकाये…
Added by Sonya Shah on March 17, 2014 at 7:49pm — No Comments
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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