Sonya Shah's Blog – February 2014 Archive (12)

निर्वाण षटकम् -श्री आदि शंकराचार्य





मनो बुध्यहंकार चिता निनाहम,

न च श्रोत्र जिह्वे न च ग्राना नेत्रे,

न च व्योमा भूमि न तेजो न वायुह,

चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)



न च प्राण संग्नो न वै पंच वायुह,

न वा सप्त धातु न व पंच कोशः,…

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Added by Sonya Shah on February 27, 2014 at 2:18pm — No Comments

एक मुलाकात -अमृता प्रीतम



मैं चुप शान्त और अडोल खड़ी थी

सिर्फ पास बहते समुन्द्र में तूफान था……

फिर समुन्द्र को खुदा जाने

क्या ख्याल आया

उसने तूफान की एक पोटली सी बांधी

मेरे हाथों में थमाई

और हंस कर कुछ दूर हो गया



हैरान थी….

पर उसका चमत्कार ले लिया

पता था कि इस प्रकार की घटना

कभी सदियों में होती है…..



लाखों ख्याल आये

माथे में झिलमिलाये



पर खड़ी रह गयी कि उसको उठा कर

अब…

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Added by Sonya Shah on February 26, 2014 at 2:58pm — No Comments

दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूं मैं -शहरयार



दुश्मन-दोस्त सभी कहते हैं, बदला नहीं हूँ मैं।

तुझसे बिछड़ के क्यों लगता है, तनहा नहीं हूँ मैं।



उम्र-सफश्र में कब सोचा था, मोड़ ये आयेगा।

दरिया पार खड़ा हूँ गरचे प्यासा नहीं हूँ मैं।



पहले बहुत नादिम था लेकिन आज बहुत खुश हूँ।

दुनिया-राय थी अब तक जैसी वैसा नहीं हूँ मैं।



तेरा लासानी होना तस्लीम किया जाए।

जिसको देखो ये…

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Added by Sonya Shah on February 25, 2014 at 3:38pm — No Comments

औरत ने जनम दिया मर्दों को -साहिर लुधियानवी



औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया

जब जी चाहा कुचला मसला, जब जी चाहा दुत्कार दिया



तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में

नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में

ये वो बेइज़्ज़त चीज़ है जो, बंट जाती है इज़्ज़तदारों…

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Added by Sonya Shah on February 19, 2014 at 4:38pm — No Comments

चलो इक बार फिर से -साहिर लुधियानवी



चलो इक बार फिर से, अजनबी बन जाएं हम दोनो

चलो इक बार फिर से ...



न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की

न तुम मेरी तरफ़ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से



न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये मेरी बातों से

न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्म-कश का राज़ नज़रों से

चलो इक बार फिर से ...



तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से

मुझे भी लोग कहते हैं कि…

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Added by Sonya Shah on February 19, 2014 at 4:36pm — No Comments

पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ हैं -सूर्यभानु गुप्त



पहाड़ों के क़दों की खाइयाँ हैं

बुलन्दी पर बहुत नीचाइयाँ हैं



है ऐसी तेज़ रफ़्तारी का आलम

कि लोग अपनी ही ख़ुद परछाइयाँ हैं



गले मिलिए तो कट जाती हैं जेबें

बड़ी उथली यहाँ गहराइयाँ हैं



हवा बिजली के पंखे बाँटते हैं

मुलाज़िम झूठ की सच्चाइयाँ हैं



बिके पानी समन्दर के किनारे

हक़ीक़त पर्वतों की…
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Added by Sonya Shah on February 18, 2014 at 2:20pm — No Comments

ये धुएँ का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँ -दुष्यंत कुमार



ये धुएँ का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँ



मुझे किस क़दर नया है, मैं जो दर्द सह रहा हूँ



ये ज़मीन तप रही थी ये मकान तप रहे थे



तेरा इंतज़ार था जो मैं इसी जगह रहा हूँ



मैं ठिठक गया था लेकिन तेरे साथ—साथ था मैं



तू अगर नदी हुई तो मैं तेरी सतह रहा हूँ



तेरे सर पे धूप आई तो दरख़्त बन गया मैं



तेरी ज़िन्दगी में अक्सर मैं कोई वजह रहा…

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Added by Sonya Shah on February 17, 2014 at 2:12pm — No Comments

જન્મોજનમની આપણી સગાઇ –કવિ શ્રી મેઘબિંદુ



જન્મોજનમની આપણી સગાઇ,

હવે શોધે છે સમજણની કેડી



આપણા અબોલાથી ઝૂર્યા કરે છે

હવે આપણે સજાવેલી મેડી.



બોલાયેલા શબ્દોના સરવાળા-બાદબાકી

કરતું રહ્યું છે આ મન



પ્રત્યેક વાતમાં સોગંદ લેવા પડે

છે કેવું આ આપણું જીવન



મંઝિલ દેખાય ને હું ચાલવા લાગું ત્યાં

વિસ્તરતી જાય છે આ કેડી.



રંગીન ફૂલોને મેં ગોઠવી દીધાં છે તેથી

ખીલેલો લાગે આ…

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Added by Sonya Shah on February 17, 2014 at 2:11pm — No Comments

याद -अमृता प्रीतम



आज सूरज ने कुछ घबरा कर

रोशनी की एक खिड़की खोली

बादल की एक खिड़की बंद की

और अंधेरे की सीढियां उतर गया….



आसमान की भवों पर

जाने क्यों पसीना आ गया

सितारों के बटन खोल कर

उसने चांद का कुर्ता उतार दिया….



मैं दिल के एक कोने में बैठी हूं

तुम्हारी याद इस तरह आयी

जैसे गीली लकड़ी में से

गहरा और काला धूंआ उठता है….…

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Added by Sonya Shah on February 15, 2014 at 3:27pm — No Comments

लबों से चूम लो -गुलज़ार



लबों से चूम लो,आँखों से थाम लो मुझको

तुम्ही से जन्मु तो शायद मुझे पनाह मिले



दो सौंधे सौंधे से जिस्म जिस वक़्त,एक मुठ्ठीमें सो रहे थे

बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था, बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी



मैं आरजू की तपिशमें पिघल रही थी कहीं

तुम्हारे जिस्म से हो कर निकल रही थी कहीं

बड़े हसीन थे जो राह में गुनाह मिले

तुम्ही से जन्मु तो शायद मुझे पनाह मिले..…



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Added by Sonya Shah on February 14, 2014 at 2:29pm — No Comments

वो ढल रहा है -जावेद अख़्तर



वो ढल रहा है तो ये भी रंगत बदल रही है

ज़मीन सूरज की उँगलियों से फिसल रही है



जो मुझको ज़िंदा जला रहे हैं वो बेख़बर हैं

कि मेरी ज़ंजीर धीरे-धीरे पिघल रही है



मैं क़त्ल तो हो गया तुम्हारी गली में लेकिन

मिरे…

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Added by Sonya Shah on February 12, 2014 at 5:41pm — No Comments

રજકણ – હરીન્દ્ર દવે


એક રજકણ સૂરજ થવાને શમણે,
ઉગમણે જઇ ઊડે, પલકમાં ઢળી પડે આથમણે.

જળને તપ્ત નજરથી શોશી
ચહી રહે ઘન રચવા,
ઝંખે કોઇ દિન બિંબ બનીને
સાગરને મન વસવા

વમળ મહીં ચકરાઇ રહે એ કોઇ અકળ મૂંઝવણે.
એક રજકણ…

જ્યોત કને જઇ જાચી દીપ્તિ,
જ્વાળ કને જઇ લ્હાય;
ગતિ જાચી ઝંઝાનિલથી,
એ રૂપ ગગનથી ચ્હાય;

ચકિત થઇ સૌ ઝાંખે એને ટળવળતી નિજ ચરણે.
એક રજકણ…

- હરીન્દ્ર દવે

Added by Sonya Shah on February 1, 2014 at 11:20am — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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