Rashmi Tarika

1. साहित्य के बारे में आपके क्या विचार हैं ...
महात्मा गांधी जी का एक कथन पढ़ा था कि "साहित्य वह है जिसे चरस खींचता किसान भी समझ सके और खूब पढ़ा लिखा इंसान भी" ।इसलिए मेरी नज़र में साहित्य ऐसा हो जो सब की रगों में रच बस जाए।लेखक के साथ उसे पाठक भी मन की गहराइयों के साथ आत्मसात कर ले ।
 2. साहित्यिक प्रेरणा ... 
                            लफ़्ज़ों के सेहन में जब कदम रखा तो कभी छोटी छोटी तुकबंदी बना कर शायरी का जामा पहना दिया ..कभी मन के भावों को कविताओं में ढाल दिया ...कभी ज़िन्दगी और आस पास की घटनाओं को लेखो और कहानियों में समेट दिया ..लेकिन इस लफ़्ज़ों की रवानगी के पीछे कुछ तो था जो मुझे लिखने की और प्रेरित कर रहा था ...आसपास  कोई साहित्यक माहौल तो नहीं था पर मुझ में शायद मेरी माँ की धार्मिक प्रवृति के बीज प्रतियोपित बचपन से ही हो  गए थे जोकि शादी के भी कितने अरसे बाद अंकुरित हुए ! फिर इन लफ़्ज़ों से मेरी मुहब्बत को पहचाना शील निगम जी ने और उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और लिखने को ! मेरी लिखने की कला को कभी पहचाना दिलबाग विर्क जी (म्हारा हरयाणा ) ,कभी ओजस्वी कौशल ( कैच माई पोस्ट ) ने , कभी रश्मि प्रभा जी ने ( नारी विमर्श के अर्थ पुस्तक ) , कभी लेखनी की शैल अग्रवाल जी द्वारा .. कभी रहीम खान जी द्वारा ( खबरयार ),तो कभी पवन जैन जी द्वारा ( आगमन ) जहाँ से मुझे सूरत का साहित्यक सयोंजक बनाकर मुझे  सम्मान भी मिला और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिली ! लफ़्ज़ों के इस अथाह सागर में बहुत बेशकीमती लोगो से मिलने ...समझने और उन्हें पढ़ने का अवसर मिलता गया और मेरी लेखनी में भी निखार आता गया ! हर वह इंसान जिससे पढ़ने, समझने और सीखने का अवसर मिला और वह मेरी इस साहित्यक प्रेरणा का सबब बनता गया ।
3.साहित्यिक सफर ....
यूँ तो एक गृहिणी होना ही अपने आप में एक सम्पूर्ण प्रोफेशन है । लेकिन जबसे मैंने कलम हाथ में थामी है ,लफ़्ज़ों से दोस्ती की है तब से मन के भाव समेट कर अपनी कहानियों कविताओं को पत्र पत्रिकाओं में भेजते हुए...
 "मैं मैथिलीप्रवाहिका, आगमन ,खबरयार , लेखनी ,राजस्थान पत्रिका ,सन्मार्ग,प्रवासी दुनिया, कैच माय पोस्ट आदि कई पत्रिकाओं से जुड़ी।"
"रश्मि प्रभा जी द्वारा संकलित " नारी विमर्श के अर्थ" लेख संग्रह का हिस्सा"बनी।
"आगमन द्वारा आयोजित " सिर्फ तुम "प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रही और कहानी संग्रह का भी हिस्सा बनी ।
  "प्रतिलिपि .कॉम में काफी महीनों तक टॉप टेन राइटर्स में बनी रही और प्रतिलिपि द्वारा ही प्रायोजित कहानी प्रतियोगिता में टॉप 20 विजेताओं में मेरी कहानी"तुम पगली हो" को आठवां स्थान मिला ।
"नया लेखन नया दस्तखत लघुकथा द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में मेरी 3 लघुकथाएँ विजेता रहीं ।
"गागर में सागर द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में भी विजेता रही।" लफ्ज़ अपना रास्ता खोज लेते हैं "अभी मातृभारती द्वारा आयोजित पत्र लेखन में भी जीतना ख़ुशी का सबब बन गया।
ओबीओ के संचालक और जाने माने लघुकथाकार और ग़ज़लकार "आदरणीय योगराज प्रभाकर जी " का साक्षात्कार किया।
अभी अभी हाइकू के क्षेत्र में भी कदम रखा है और " शत हाइकुकार/साल शताब्दी " हाइकू संग्रह का हिस्सा भी बनी हूँ।
 लेखन कार्य का आगाज़ तो हो चूका है ,सफर काफी है।बस चलते जाना है ...चलते जाना है ।
4.स्त्री सृजक और पुरुष सृजक के सृजन में क्या अंतर है ?
स्त्री सृजक अपनी मन की सारी संवेदनाओं को , अपने उद्गारों को जब लफ़्ज़ों में ढालती है तब उसकी रचनाओं में स्वयंमेव ही नफ़ीसत और नज़ाकत झलकती है।उसकी रचनाओं में तंज भी कोमल भाव से झलकता है।ऐसा केवल मैं एक स्त्री होने के नाते नहीं कह रही अपितु जब से लिखना आरम्भ किया है उसे महसूस किया है।पुरुष सृजक भी अपनी लेखनी द्वारा बड़े बड़े साहित्य रच गये हैं लेकिन बस वही, अंतर वही तफावत कि " अंदाज़ अपना अपना !"
5.एक  कवि या लेखक के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी है? 
एक कवि और लेखक को लेखन के सामान्तर पठन कार्य में भी सतत क्रियाशील रहना चाहिए।जैसे स्वस्थ शरीर के लिए अच्छा भोजन आवश्यक है वैसे ही अच्छे साहित्य के लिए लेखक का चिंतन मनन भी आवश्यक है जो उसे पठन से ही मिल सकता है।
6.सोशल मीडिया के बारे आपकी क्या राय है?
सोशल मिडिया अपने विचार व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है ।वर्तमान काल में मीडिया के नए और विभिन्न स्वरूपों में जैसे फेसबुक, वाटस एप , ट्विट्टर  प्रचलित है, जहाँ हमें अपनी बात ,अपनी लेखनी द्वारा व्यक्त करने का अवसर मिल रहा है।यानि मीडिया आज अपने नए आयामों के साथ अपने साकारत्मक और नाकारात्मक पक्ष लिए हमारे समक्ष है।निर्भर करता है कि हम इसके कौन से पक्ष से प्रभावित हैं और उसे अपनाते हैं।
7..ऐसी कौन सी किताब जो आप पढ़ना चाहते हैं ?
मेरे पुस्तकालय में अनगिनत पुस्तकें ...उपन्यास ..कविता संग्रह हैं। गुरु वाणी ...अखबारों और पत्रिकाओं  के वो अंक जिन में मेरे लेख और कहानियाँ छपीं ,वो भी शामिल हैं। पुस्तकों के नामों की सूची बहुत बड़ी है क्योंकि पढ़ना ..पढ़ना और पढ़ना एक अंतहीन प्रक्रिया है । फिर भी मैंने अभी हाल ही में अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त साहित्यकार "कमल कपूर"जी के कहानी संग्रह "अम्मा का चश्मा " और" नीम अब भी हरा है " पढ़ें हैं और साहित्यकार "रश्मि रविजा" का उपन्यास "काँच के शामियाने " पढ़ा और इन तीनों पुस्तकों से प्रभावित होकर मैंने इनकी समीक्षा भी लिखी।मेरी एक और मनपसन्द पुस्तक है ,साहित्यकार वीणा वत्सल जी का उपन्यास "तिराहा" जिसकी समीक्षा लिख रही हूँ।
 मैं बस अब इस प्रयास में ...इस सपने को जीती हूँ कि मेरे इस पुस्तकालय में मेरी अपनी लिखी कोई पुस्तक और उपन्यास सुसज्जित हो । आप सब की दुआओं की तलबगार हूँ ।
8..युवा लेखकों के लिए क्या सन्देश है ? 
युवा लेखकों को यही कहूँगी कि स्तरीय लेखन की अपेक्षा उत्कृष्ट लेखन पर अपना ध्यान केंद्रित करें।मैं खुद साहित्य गुरुओं से सीखती आई हूँ कि " बेशक कम लिखो लेकिन बेहतर लिखो "और मैं भी इसी अवधारणा का पालन करती आई हूँ।
अंत में इतना ही कहूँगी कि
कुछ आप पढ़िए ,कुछ हम भी पढ़कर साँझा करें ..
कुछ कदम आप बढिये कुछ हम ,कारवाँ यूँ ही चलता रहे...!!

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Blog Posts

परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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