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Mirza Ghalib

Biography of Mirza Ghalib

Mirza Asadullah Baig Khan (Urdu/Persian: مرزا اسد اللہ بیگ خان) was a classical Urdu and Persian poet from India during British colonial rule. His also known as 'Mirza Asadullah Khan Galib', 'Mirza Galib', 'Dabir-ul-Mulk' and 'Najm-ud-Daula'. His pen-names was Ghaliband Asad or Asad or Galib. During his lifetime the Mughals were eclipsed and displaced by the British and finally deposed following the defeat of the Indian rebellion of 1857, events that he wrote of. Most notably, he wrote several ghazals during his life, which have since been interpreted and sung in many different ways by different people. He is considered, in South Asia, to be one of the most popular and influential poets of the Urdu language. Ghalib today remains popular not only in India and Pakistan but also amongst diaspora communities around the world.

Website: http://www.syahee.com/group/ghalib
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Comment by Aziz Theba on January 4, 2015 at 1:25pm

hum ko maloom hai zannat ki haqikat lekin dil behlane ke liye galib yeh khayal achha hai 

Comment by Juee Gor on August 16, 2013 at 10:08pm
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न
हो
हम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो
Comment by simply S A H A J on May 18, 2013 at 10:20am

Aisi jannat ka kya karen GHALIB.
Jisme lakhon baras ki hooren hon.

Comment by simply S A H A J on May 18, 2013 at 10:09am
Na bazm apni, na saaqi apna, na shishaa apna, na jaam apna;
Agar yahi hai nizaam-i-hasti to GALIB, zindagi ko salam apna.
Comment by simply S A H A J on May 18, 2013 at 10:06am

Aitbaar-e-Ishq kii Khana'kharaabii Dekhna_

Gair Ne Kii Aah, Lekin Vo Khafaa Mujh Par Huaa_

Mirza Ghalib

Comment by simply S A H A J on May 18, 2013 at 10:04am

क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

Mirza Ghalib

Comment by Saeed Shaikh on May 16, 2013 at 5:11pm

HUM NE MAANAA KE TAGAFUL NA KAROGE LEKIN

KHAAK HO JAYENGE HUM TUM KO KHABAR HONE TAK

(Ame jaaniye chhiye ke tame amaarathi bedhyaan nahi thaav, parantu jyaare tamne amaara vishe khabar padshe tya shudhi to ame mari chukyaa hoi shu) one of the best couplet by Mirza Ghalib.

Comment by Saeed Shaikh on May 16, 2013 at 5:03pm

subah hoti hai shaam hoti hai

umr yu hi tamaam hoti hai

(savaar thay chhe saanj thay chhe, jivan emj pasaar thai jaye chhe)

Comment by Sharad Pandya on May 7, 2013 at 9:46am

जज्बा-ए-बे-इख्तियारी-ए-शौक देखा चाहिये

सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का      

Comment by Rina Badiani Manek on April 28, 2013 at 11:49am
दोनों जहान दे के, वह समझे, यह ख़ुश रहा
याँ आ पड़ी यह शर्म , कि तकरार क्या करें

थक थक के, हर मक़ाम पे दो चार रह गये
तेरा पता न पायें , तो नाचार क्या करें

क्या शम्'अ के नहीं हैं हवा ख़्वाह अहल-ए-बज़्म
हो ग़म ही जाँ गुदाज़, तो ग़मख़्वार क्या करें



नाचार - मजबूर
हवा ख़्वाह/ ग़मख़्वार - हमदर्द, मित्र
जाँ गुदाज़ - जानलेवा
 

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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