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1. साहित्य के बारे में आप क्या विचार रखते है?
मेरा विचार : साहित्य जो समझ आए जो दिल को छू जाए,शब्दो का रचना सवारना ही साहित्य नही साहित्य जो ह्रदय से निकला हो
2. आपका साहित्य सफ़र....
बचपन बीता बड़ा कदम जवानी की दहलीज पर, देखा पाया दुःख सुख का साया ऐसे जैसे रात दिन का आना जाना ,कभी टूटता कभी जुड़ता, ज़िन्दगी बिखरी समेट आगे चलता, समझने लगा इसके रंग कभी चटकीले कभी बेरंग ,हँसना सीख खुद से खुद पर लिखने लगा जिए हर पल,देना क्या किसी का बुरा दिया ,देखा मैं कितने मुश्किल से खुद ही उसे जिया,समेट रख दिल में भूल सब, सीख नसीब मान बन गया मैं अनजान, किस्मत का लिखा मान,
बस फिर-
चलते चलते, सीखते सीखते दर्द से ख़ुशी से लिखना शुरू किया दिल ने जो बोला वह उतारने लगा ज़िन्दगी से जुड़े रिश्तो और उसके दिए जिए पलो को तब बनी पहली पुस्तक "ज़िन्दगी के पन्ने"( एकल) ज्योतिपर्व प्रकाशन से निकली 2013 विश्व पुस्तक मेले में फिर गुलमोहर,तुहिन ,सोहदरी सोपान,सपने नील गगन छूने के,बहुत सी अन्य पत्रिकाओं और समाचार पत्रों ने समय समय रचनाओं ,विचारो को जगह दी
अब दूसरी एकल पुस्तक "सुनो एक बार तुम" मेरी लिखित कविता संग्रह है
इसी दौरान बीच में काफिला शब्दो का सुहाना सफर के मंच बनाया
यह मंच 28 जून 2014 से चल रहा है जो नव लेखको ,और अलग अलग क्षेत्रो से जुड़े गायकी,एन जी ओ के चुनिंदा लोगो को समानित करता है काव्यगोष्टी का आयोजन करता है
यह साहित्य के प्रति हमारा एक कदम है हमारी सोच का नये फूलो को सुनना समझना उनके सपनो को उड़ान देना ही काफिला का उद्देश्य है
3. स्त्री परिवार और प्रोफ़ेशन.
स्त्री, परिवार , प्रोफेशन : इस विषय में दो मूल बिन्दु हैं 1 स्त्री शिक्षा के बाद खाली क्यों बैठे. 2 स्त्री पुरुष की तरह घर क्यों नहीं चला सकती .
जहाँ तक परिवार का प्रश्न है परिवार औरत की पहली जिम्मेदारी होती है ,यह मानना ही चाहिए और कमाना अगर वक़्त व जिमेदारी कार्य करने को कहती है तो कोई बुराई नही अच्छी बात है आज कल की भागमभाग में वह कहाँ कैसे अपने को बनाये रखती यह देखना चाहिए गर ऐसे में औरत इन दोनों के बीच संजस्य नहीं बैठा पाती तो घर में कलेश होता है . परिवार के कारण ही उसे काम करना पड़ता है किन्तु अब ये नाक का सवाल बन गया है . इसलिए घरों में क्लेश का भी कारण है .
पति ,पत्नी दोनों को अपने अपने पात्रो को समझना जीना चाहिए आपसी तालमेल आपसी समझ ही एक रिश्ते को मजबूती देती है जिसका नाम है विश्वास
विश्वास बनाये रखे बस ,समझे अपनी जरूरतों के साथ साथ अपने किरदारों को भी
4. स्त्री सर्जक और पुरुष सर्जक के सर्जन में क्या तफावत महसूस होता है ?
हाँ , दोनों के सृजन में अंतर है . स्त्री अधिकतर घर से और खुद से जुड़े मुद्दों पर लिखती हैं नारी पर लिखती अधिकतर अपने को एक दायरे में रखती है वह दायरा उसका नारी की संवेदनाओ से जुड़ा होता है
लेकिन पुरुष, स्त्री, समाज और अन्य विषयों पर लिखते हैं . बहुत कम महिलाओं ने पुरुषों के विषय में लिखा है . अधिकतर स्त्रियां जब भी लिखती है सामान्य जीवन की बात लिखती है और खुद से जुड़े मुद्दों पर ही लिखती है उन्हें इस धेरे से बाहर आना चाहिए उनको देखना चाहिए और मुद्दे भी है
ऐसा नारी पर केंद्रित लिख लिख ही वह खुद को कहीं न कहीं कमजोर या अबला साबित करती है उन्हें अपने को जल्द इस दायरे से निकल अन्य विषयो पर कलम की धार दिखानी बढ़ानी पड़ेगी
5. एक कवि या लेखक के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी होता है?
इंसान को इंसा बनना जरुरी ज़िन्दगी को पढ़ना जरुरी
रिश्तो को पढ़ना जरुरी
उस से सीखना जरुरी
भावो ,जज्बातो का होना जरुरी दर्द,ख़ुशी का एहसास होना जरुरी
कवि,लेखक के लिए इस से ज्यादा क्या चाहिए यह नही तो कवि नही न ही लेखक जब आपके भाव, आपके जज्बात आप शब्दो से गड़ना सीखोगे तो पढ़ने वाले भी वैसे पढ़ेंगे पढ़ा और भूल गए मगर
दिल से लिखे आपको सब पढ़ेंगे और दिल में जो बस जाये उसे भूलना कहाँ आसान
6. सोशियल मीडिया को अगर थोड़े शब्दो में समझना हो तो क्या कहेंगे ?
सब पर पकड़ ,वक़्त की रफ़्तार से फैलता सम्राज्य जिस में आपकी भूमिका आपको पहचान दे सकती है
7. आपके अनुसार पुरुष मतलब क्या?
वह भाई, वह बेटा ,वह पिता ,वह पति, वह प्रेमी
उसके बिन नारी अधूरी जैसे नारी बिन पुरुष अधूरा सृष्टि का निर्माण दोनों से न की किसी एक से नारी ह्रदय से और सुंदरता से पहचान रखती
वैसे ही पुरुष उसकी पहचान किसी सोंदर्य की मोहताज नही उसकी पहचान उसकी जुबां होती है
मेरे हिसाब से पुरुष समाज का एक मजबूत स्तम्भ है
Interview was taken by Sumeet Gulabani
Comment
भाई पवन अरोड़ा जी
अपने शब्दों की तरह सरल है किन्तु उनका चिंतन बहुत सहज और सार्थक है . बहुत बेबाकी से यहाँ उन्होंने अपनी राय रखी है . मैं उनको अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ .
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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