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1. फेमीनिज़म के बारे में आपकी क्या राय है ?
एक स्त्री द्वारा अपनी आंतरिक क्षमताओं की पहचान होना और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के रास्ते की हर अड़चन को दूर कर अपनी क्षमताओं की वृद्धि करना ही मेरी समझ में फेमिनिज्म है। ये शब्द फ्रेंच रेवोलुशन के समय स्त्रियों की क्रांति और उनके द्वारा अपनी पहचान को दिया गया। आज कुछ लोग इसका अर्थ स्त्रियों के पुरुषों से अलग पहचान बनाने को दिया जा रहा है, जो इसके मर्म को भ्रमित करता है।
2. साहित्य के बारे में आप क्या विचार रखते है?
मेरी समझ से साहित्य समाज के हर परिवेश का दर्पण है। भाषा के माध्यम से जो कुछ भी कहा या लिखा गया हो वह सब साहित्य है. इसके अंतर्गत काव्य, गद्य, पद्य, कहानी के अलावा सभी प्रकार के शास्त्र भी आते हैं।
3. स्त्री परिवार और प्रोफ़ेशन..
स्त्री परिवार की धुरी है। जननी और अन्नपूर्णा है स्त्री। किसी परिवार का आज और भावी पीढ़ी और समाज के संस्कार माँ, प्रथम गुरु और आदर्श पत्नी के रूप में नारी पर ही निर्भर करते हैं। नारी अगर घर के मसलों में ही उलझ कर रह जाती तो देश की इकनोमिक ग्रोथ असंभव थी। आज की नारी हर क्षेत्र में अपने झंडे गाढ़ कर नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। आज कौनसा प्रोफेशन है जो नारी की पहुँच से दूर है।
4. स्त्री सर्जक और पुरुष सर्जक के सर्जन में क्या तफावत महसूस होता है ?
स्त्री दिल की भावनाएं कागज़ पर उकेरती है और पुरुष दिमाग से देखे बिम्ब लिखता है। ज़्यादा भावुक होने की वजह से स्त्री मानव मन की भावनाओं और मानवीय संबंधों को ज़्यादा अच्छे से समझती और लिखती है। पुरुष प्रायः
5. एक कवि या लेखक के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी होता है?
साहित्य सृजन साधना है। जैसे एक विद्यार्थी जितना समय सेल्फ स्टडी को देगा वैसा ही परिणाम होगा, ऐसे ही एक रचनाकार जितना साहिय प्रेमी होगा उतना सुन्दर और विस्तृत उसका लेखन होगा।
6. सोशियल मीडिया को अगर थोड़े शब्दो में समझना हो तो क्या कहेगी?
सोशल मीडिया वो साधन जिससे विचारों का आदान प्रदान जो की चौबीसों घंटे, सातों दिन आपको व्यस्त रखने की क्षमता रखता है। सोशल मीडिया पारस्परिक संबंध के लिए अंतर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित आभासी समूहों का अभिव्यक्ति का माध्यम है। यह व्यक्तियों और समुदायों के साझा, सहभागी बनाने का माध्यम है
7. आपके अनुसार स्त्री मतलब क्या?
स्त्री परिवार की धुरी है। जननी और अन्नपूर्णा है स्त्री। किसी परिवार का आज और भावी पीढ़ी और समाज के संस्कार माँ, प्रथम गुरु और आदर्श पत्नी के रूप में नारी पर ही निर्भर करते हैं। स्त्री अपनी नारी सुलभ शालीनता और भावुकता से परिवार को तोड़ या जोड़ कर रखने की क्षमता रखती है। नारी अबला नहीं सबला है। सुन्दर और कोमल नारी अगर ज़रूरत पड़े तो दुर्गा, चंडी और काली का रूप भी धर सकती है। आज की नारी घर चलने के साथ अपने ख़्वाब पूरे करना भी जानती है। अगर वो परिवार की खूँटी से बंध खुश है तो व्यभिचार को नकार उसी खूँटी को तोड़ अपना और अपने बच्चों का भरण करने का भी दम रखती है। नारी न्याय है, श्रद्धा है, विश्वास है और शक्ति की प्रतीक है। नारी सुंदरता, दृढ़ता और बौद्धिकता की पहचान है।
नीलू 'नीलपरी'
व्याख्याता, मनोवैज्ञानिक, कवियत्री, लेखिका, संपादिका
Comment
laajvab
Very nice interview....i am very happy to see this post......This is the era of women empowerment ,and you mentioned all the aspects for women empowerment.The application of Social media also defines very correctly here. नारी न्याय है, श्रद्धा है, विश्वास है और शक्ति की प्रतीक है। नारी सुंदरता, दृढ़ता और बौद्धिकता की पहचान है।........God bless you......
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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