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Syahee.com speaks to Gunjan Shrivastava
आपके अनुसार स्त्री मतलब क्या?
स्त्री - - - उसे क्या कहूँ - - - कभी खुशियों की सौगात , कभी उदास सी ख़ामोशी - - - कभी जाड़े की भोर की धुप सी मन में उतर जाती है , कभी आंसुओं की तरह बाह जाती है - - - कभी ख़ुद बँध जाती है - - - कभी स्वयं अपने बंधन तोड़ देती है - - - वो औरत है जो अपने अधिकारों को जानती है - - - जिसे अपने फ़र्ज़ अपने दायित्वों का बोध होता है - - - आने अधिकारों को पाने के लिए उसे लड़ना नहीं पड़ता - - - उसके स्त्रियोचित गुणों के कारण वो अपने आप उसे मिलते हैं - - आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी स्त्री का सौंदर्य और यौवन ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। यदि कोई स्त्री सुंदर नहीं है लेकिन मधुर व्यवहार वाली है तब भी वह जीवन में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करती है। मधुर व्यवहार से ही स्त्री मान-सम्मान प्राप्त करती हैं और सबसे महत्व पूर्ण बात - - - अपना स्थान पाने के लिए उसे पुरुष को नीचा दिखाने की ज़रुरत नहीं पड़ती।
फेमीनिज़म के बारे में आपकी क्या राय है ?
औरत का अपने अधिकारों को जानना और उनके प्रति जागरूक होना - - - अन्य स्त्रियों को जो अपने अधिकार पाने में अक्षम हैं , उन्हें उनके प्राप्य को पाने में उनकी मदद करना - - - नारी अधिकारों का समर्थन करना फेमिनिज्म है - - - नारीवादी आंदोलन में महिला मुक्ति आंदोलन, महिला आंदोलन , प्रजनन का अधिकार , घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन, महिलाओं के मताधिकार, यौन उत्पीड़न जैसे विषय आते हैं जो आज के दौर में बहुत आवश्यक भी हैं।
साहित्य के बारे में आप क्या विचार रखते है?
साहित्य किसी भी विधा में हो - - - वह उस वक़्त का आईना होता है - - - शब्दों में बहुत शक्ति होती है - - - बिना किसीको प्रताड़ित किये या नीचा दिखाये साहित्य हमें यह सिखाता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
स्त्री परिवार और प्रोफ़ेशन..
औरत और मर्द दोनों मिलकर ही परिवार बनाते हैं - - - अब तो जबकि औरतें भी प्रोफेशन में आ रही हैं तो घर की सारी व्यवस्थाओं की ज़िम्मेदारी भी दोनों की बराबर ही हो जाती है - - - फिर भी आदतन और इरादतन औरतें ज्यादा व्यवस्थित होती हैं और अपने बाहरी काम के साथ भी घर , रिश्ते , परिवार पर पुरुष की तुलना में ज्यादा ध्यान देती हैं।
स्त्री सर्जक और पुरुष सर्जक के सर्जन में क्या तफावत महसूस होता है ?
स्त्री जन्मजात सर्जक है - - - चेतना, भावना, वात्सल्य , प्रेम, ममता , सामुदायिकता उसके रोम रोम में है - - - पुरुष भी सृजन करता है और दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।
एक कवि या लेखक के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी होता है?
एक कवि या लेखक के लिए पढ़ना बहुत ज़रूरी होता है , हम सब कुछ नहीं जानते - - - किसीके के भी बारे में अच्छा या बुरा लिखने के लिए पहले उसे समझना ज़रूरी होता है - - - दूसरों को पढ़ने से हमारी लेखन शैली में सुधार होता है , शब्द ज्ञान बढ़ता है और हमारी सोच का दायरा भी बढ़ता है। हम समकालीन बोली , संस्कृति , खान पान , मुहावरे , परम्पराएं और उस माहौल का मिज़ाज भी पढ़कर ही जान सकते हैं
सोशियल मीडिया को अगर थोड़े शब्दो में समझना हो तो क्या कहेगी?
सोशियल सामाजिक मीडिया के कई रूप हैं जिनमें घर में काम करने के लिए आने वाली बाई से लेकर इन्टरनेट फोरम, ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, पॉडकास्ट, फोटोग्राफ, टीवी , चलचित्र आदि सभी आते हैं। प्रत्येक की अपनी ख़ासियत है - - - अपनी ताजगी और अपनी विश्वसनीयता। सोशल नेटवर्किंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया हैं।
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shukriya lagani ji ...
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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