Made in India
मेरे साहित्यिक सफर की शुरूआत - बचपन से ही हिन्दी विषय मे मेरा रूझान था।काफी समय से मै डायरी लिखा करती थी उस दौरान मैंने कुछ पक्तिंयाँ कविता रूप मे लिखी । मेरे मित्रोँ ने उन्हें काफी सराहा। विवाह के पश्चात् मैंने पुनः लिखना प्रारम्भ किया। मेरे अभी तक तीन साझा काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके है।प्रथम काव्य साझा संग्रह "दीपशिखा" ग्वालियर साहित्य विकास परिषद द्वारा ,द्वितीय कवि हम तुम ने "शब्द गंगा " के रूप मे व तृतीय "अनकहे जज्बात" वाईस पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित हुआ । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे मेरी कविताएँ व लघुकथायें ,आलेख प्रकाशित हो चुके है इनमें लोकजंग भोपाल, शिखर विजय ,प्रभात केसरी, नवप्रदेश , दैनिक सीमा किरण,सौरभ दर्शन प्रमुख है।
2) किस व्यक्ति या चीज़ ने आपको लिखने के लिए प्रेरित किया?
मुझे मेरे पति डा.मनोज हर्ष व मेरी सखी एकता शारदा जो कि खुद बहुत प्रसिद्ध कवयित्री है ,ने प्रोत्साहित किया।फेसबुक के माध्यम से मैंने अपनी कवितायें मित्रों के समक्ष प्रस्तुत की ।फेसबुक ही जरिया बनी मेरे इस सफर का। समाज में नारी की दशा ने मुझे क्षुब्ध किया मेरी कविताओं मे इसकी झलक मिलती भी है ।
3)साहित्य के बारे में आप क्या विचार रखते है?
साहित्य के बारें मे मेरे व्यक्तिगत विचार है कि साहित्य इस तरह का हो कि आम आदमी के मन तक उसकी खनक पहुँच सके फिर भले ही अपनी बात को किसी भी विधा मे प्रस्तुत किया जाये। परसाई जी ने साहित्य को एक अलग मुकाम दिया चुकीं वे सामाजिक पृष्ठभूमि से जुड़े थे इसलिये लोगों ने उन्हें काफी पसन्द किया ।
4)नारीवाद के बारे में आप क्या कहेंगे?
नारीवाद के विषय मे मैं कहना चाहूंगी की औरतों को पुरूषों के समान समाज मे अधिकार मिलने चाहिये।लैंगिक भेदभाव को समाप्त कर शक्ति संतुलन के सिद्धान्त को अपनाना चाहिये। सबसे पहले घरेलू हिंसा पर रोक लगनी चाहिए इसके लिये जो कानुन सरकार द्वारा बनाये गये है उनकी जानकारी हमे हर महिला तक पहूंचानी चाहिए ।
5)एक कवि या लेखक के लिए पढ़ना कितना ज़रूरी होता है?
एक लेखक को निरन्तर पढते रहना चाहिए जिससे उसका लेखन परिष्कृत होता रहे। लेखनी की गुणवत्ता व मानसिक विकास के लिये सतत प्रयासरत रहना बहुत आवश्यक है।
6) सोशल मिडिया के बारे में आपकी क्या राय है ?
सोशल मिडिया की भूमिका समाज मे सकारात्मक रूपों मे ली जानी चाहिए ।मिडिया आज समाचार संगठनों के के लिये आम पाठकों व दर्शकों से जुड़ने का अच्छा जरिया बन चुका है इसके सकारात्मक व नकारात्मक दोनो ही तरह प्रभाव दिखाई पड़ते हैअपनी बात जन जन तक पहूचाने का यह सहज व सरल माध्यम है ।
7) एक ऐसी किताब जो आप बार बार पढ़ना चाहे...
मुझे प्रेमचन्द जी की सब किताबें पसन्द है उनकी मानसरोवर को कितनी ही बार पढ़ सकती हूँ उनकी मैंने लगभग सारी किताबें पढ़ चुकी हूँ। हरिशंकर परसाई की लघुकथायें भी बहुत सटीक व सार्थक होती है।
8) युवा लेखको को आप क्या कहना चाहेंगे ?
युवा लेखकों को मेरा सन्देश है कि वे स्तरिय रचनाओं के बजाय उत्कृष्ट रचनाओं के सृजन की ओर कदम बढायें।ज्यादा से ज्यादा अध्ययन की प्रवृत्ति अपनाये जिससे सृजनशीलता का विकास हो।आस पास की साहित्यिक गतिविधियों मे भाग ले कर साहित्यकारों से प्रेरणा ले कर सार्थक सृजन करें।
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Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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