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1. आपका साहित्य सफ़र..
मेरा साहित्य सफर 1999 मे शुरू हुआ जब मैं करनाल कालेज से अपनी MSc कर रहा था। मेरा पहला लेख जो कि एक भौगोलिक लेख था वह हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक ट्रिब्यून मे छपा।
उसके बाद शिक्षक होने के नाते कई शैक्षणिक लेख लेख लिखने का मौका मिला।
भावनाओं के सागर में मेरी पहली लघु कथा दैनिक भास्कर की पत्रिका मधुरिमा में 2001 में छपी जिस पर 500 रूपये की राशि प्राप्त हुई।
हरियाणा साहित्य अकादमी की मैगजीन मे मां पर छपी कविता को बहुत पसंद किया गया।
उसके बाद दैनिक भास्कर दैनिक जागरण दैनिक ट्रिब्यून आज समाज अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित अखबारों मे मेरी कविताओं और लेखो का लगातार प्रकाशन का सिलसिला चल पड़ा।
ईश्वर की कृपा से जो अभी तक जारी है।
मेरी पहली पुस्तक उम्मीद के किनारे एक काव्य संग्रह (2013) था जिसे चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा बेस्ट पांडुलिपी चयनित किया गया। चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार और चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा विमोचन किया गया। जो एक यादगार पल था।
उम्मीद के किनारे मां और प्रेमिका के विषय पर लिखी गई कविताओं का काव्य संग्रह हैं।
इसके बाद एक बाल साहित्य की पुस्तक जो कि मेरी पत्नी गीता देवी ने लिखी थी उसका संपादन किया। उसे भी चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा बेस्ट बाल साहित्य पांडुलिपी चयनित किया गया।
यह हमारे मध्यमवर्ग परिवार के लिए सम्मान का मौका था।
इससे बाद मैंने अपने अंग्रेजी में लिखें अधुरे उपन्यास को हिंदी में लिखना शुरू किया जो कि 2015 मे पुर्ण हुआ। यह उपन्यास मानवीय संवेदनाओं का सागर है जिसमें प्यार की सुंदर परिभाषा है।
इस खाली घरौंदे उपन्यास को भी चंडीगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा बेस्ट पांडुलिपी चयनित किया गया और विमोचन किया गया।
इस उपन्यास की वजह से पहली बार दैनिक भास्कर मे मेरा पहला साक्षतकार छपा।
देश के प्रमुख साहित्यकारो ने इसकी समीक्षा की जो बहुत से अखबारों में प्रकाशित हुई।अभी इसी वर्ष सरगम नाम से एक साझा काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है।अभी एक लव स्टोरी पर आधारित उपन्यास लिख रहा हूँ जो जल्द ही प्रकाशित होगा। दो काव्य संग्रह भी प्रकाशित होने वाले हैं।
2.किस व्यक्ति या चीज़ ने आपको लिखने के लिए प्रेरित किया?
अगर मां न होती तो शायद मैं लेखक न होता। शुरू में कविताएँ मां पर ही लिखी गई।
समाज मे मानवीय मूल्यों के पतन को देखकर भी मेरा मन लिखने को करता है।
स्वार्थ वश लोग जो प्रेम करते हैं। मैं उससे दुखी हो कर लिखता हूँ। सभी रिश्ते स्वार्थ पर ही टिक कर रह गए हैं आजकल।
मैं यहां पर अपने मित्र डॉ अश्विन शांडिल्य जी का भी जिक्र करना चाहूंगा। अगर वो न मिलते तो शायद मेरी पहली पुस्तक उम्मीद के किनारे प्रकाशन तक न पहचुंती। उनके मार्गदर्शन के बिना यह साहित्य का सफर अधुरा होता।
3.साहित्य के बारे में आप क्या विचार रखते है?
साहित्य मन के भीतर छिपी भावनाओं का दर्पण है।
साहित्य न होता तो शायद मैं जिंदा न होता। मां के जाने के बाद साहित्य ने ही मुझे संभाल लिया।
यह भावनाओं को जुबान प्रदान करता है।
समाज में व्याप्त अच्छी और बुरी बातों को वयक्त करने का जरिया साहित्य है।
4. नारीवाद के बारे में आप क्या कहेना चाहेंगे?
नारीवाद शाब्दिक रूप से ही हमारे देश में सम्मान का विषय है। आदिकाल से हम नारी देवी पूजन करते आ रहे हैं। नारी की स्वतंत्रता और अधिकार की बातें साहित्य बहुत अच्छे से उठाता है।
हमे महिलाओं को सम्मान की नजर से देखना चाहिए। जो कि भारतीय परम्परा रही है।
मानवीय मूल्यों में आ रही गिरावट की वजह से नारी को केवल समान समझने की भूल कुछ लोग कर बैठे हैं।
5. सोशियल मीडिया के बारे में आपकी क्या राय है ?
अपने विचार व्यक्त करने का सशक्त माध्यम। हमें संतुलित विचार ही रखने चाहिए न कि किसी जाति और संप्रदाय से प्रेरित होकर।
विचार समाज को जोड़ने वाले होने चाहिए, न कि तोडने वाले।
6.एक ऐसी किताब जो आप बार बार पढ़ना चाहे...
कितने पाकिस्तान.... बहुत बार पढी। लेकिन जितनी बार पढता हूँ,उतना ही अधिक प्राप्त करता हूं। गोदान को भी बहुत बार पढा है। किसी एक पुस्तक का नाम लेना कठिन है जी। निदा फाजली की बेहतरीन नज्मों का भी मैं फैन हूं। English मे five points someone... By Chetan Bhagat... अपनी पुस्तक खाली घरौंदे उपन्यास भी मेरे दिल के करीब है।
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Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments 0 Likes
Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments 1 Like
Posted by Jasmine Singh on July 15, 2021 at 6:25pm 0 Comments 1 Like
Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment 2 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments 3 Likes
Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment 1 Like
वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
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