उम्र के इस हसीन शाम में
चांदी उगने लगी है बालों में,
चेहरे की दीवारें अब रंग छोड़ने लगी है..
झुर्रियों की दरारों से झाकते है तजुर्बे
देखने ढंग इस नई लगती पुरानी दुनिया के,
फिर से बच्चा बना ये दिल
निहारता है आसमान छूते उसके बच्चो को...
बस आंखो में सजा लेने दे ये उड़ाने इनकी
जरा ठहर जा ए जिंदगी..
तुझे गुजरने की इतनी जल्दी भी क्या है..
Sakshii Subhash Tiwari
चांदी उगने लगी है बालों में,
चेहरे की दीवारें अब रंग छोड़ने लगी है..
झुर्रियों की दरारों से झाकते है तजुर्बे
देखने ढंग इस नई लगती पुरानी दुनिया के,
फिर से बच्चा बना ये दिल
निहारता है आसमान छूते उसके बच्चो को...
बस आंखो में सजा लेने दे ये उड़ाने इनकी
जरा ठहर जा ए जिंदगी..
तुझे गुजरने की इतनी जल्दी भी क्या है..
Aug 19, 2020