January 2015 Blog Posts (50)

'' પંખી પર ફેંકેલો પથ્થર જયારે હૃદયને વાગે ત્યારે બની શકાય કલાપી - ડૉ હર્ષદેવ માધવ '' પરમ આદરણીય કવિરાજ શ્રી,અનિલભાઈ રાજવી કવિ કલાપીની 141-મી જન્મજયંતી મહોત્સવ તા: 24,25,26, જાન્યુઆરીએ બહુ આનંદપૂર્વક…

'' પંખી પર ફેંકેલો પથ્થર જયારે હૃદયને વાગે ત્યારે બની શકાય કલાપી - ડૉ હર્ષદેવ માધવ ''

પરમ આદરણીય કવિરાજ શ્રી,અનિલભાઈ

રાજવી કવિ કલાપીની 141-મી જન્મજયંતી મહોત્સવ તા: 24,25,26, જાન્યુઆરીએ બહુ આનંદપૂર્વક લાઠીમાં ઉજવાઈ ગયો, શ્રી,ગુજરાતી સાહિત્ય અકાદમી - ગાંધીનગર શ્રી, આરાધના ચેરીટેબલ ટ્રસ્ટ અને શ્રી, કલાપી તીર્થ સંગ્રહાલય - લાઠી દ્વારા આયોજિત પંચામૃત કાર્યક્રમની શુભ શરૂઆત નેક નામદાર ઠાકોર સાહેબ શ્રી, કીર્તિકુમારસિંહજી ગોહિલના વરદ હસ્તે દીપપ્રાગટ્ય કરીને કાર્યક્રમની શુભ શરૂઆત…

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Added by Rajesh Patel on January 30, 2015 at 1:57pm — No Comments

अभी तूने वह कविता कहाँ लिखी है, जानेमन / अरुणा राय

अभी तूने वह कविता कहाँ लिखी है, जानेमन

मैंने कहाँ पढ़ी है वह कविता

अभी तो तूने मेरी आँखें लिखीं हैं, होंठ लिखे हैं

कंधे लिखे हैं उठान लिए

और मेरी सुरीली आवाज लिखी है



पर मेरी रूह फ़ना करते

उस शोर की बाबत कहाँ लिखा कुछ तूने

जो मेरे सरकारी जिरह-बख़्तर के बावजूद

मुझे अंधेरे बंद कमरे में

एक झूठी तस्सलीबख़्श नींद में ग़र्क रखता है



अभी तो बस सुरमई आँखें लिखीं हैं तूने

उनमें थक्कों में जमते दिन-ब-दिन

जिबह किए जाते मेरे ख़ाबों का… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 28, 2015 at 5:50pm — No Comments

मासूमियत

थी एक छोटी सी कुटिया,

और था वो छोटा सा गाँव,

जो आज भी साथ लिए फिरता हूँ मैं,

आज भी इसी लिए जिंदा हूँ मैं;



जरा गौर से…

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Added by Janak Desai on January 28, 2015 at 5:27am — No Comments

एक दौर लगता है, है ना !!

काव्य पंथ पे चलते चलते..

चंद लफ्जों से बयाँ करने में एक उम्र जो गुजर गई,
उम्रभर की कहानी देखो एक शॅर में असर कर गई।

जनक

Added by Janak Desai on January 28, 2015 at 4:11am — No Comments

दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया / नासिर काज़मी

दयार-ए-दिल की रात में चिराग़ सा जला गया
मिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया

जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िदगी ने भर दिये
तुझे भी नींद आ गयी, मुझे भी सब्र आ गया

पुकारती हैं फ़ुर्सतें, कहाँ गयी वो सुह्बतें
ज़मीं निगल गयी उन्हें कि आसमान खा गया

ये सुबह की सफ़ेदियाँ, ये दोपहर की ज़र्दियाँ
अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया

गये दिनों की लाश पर पड़े रहोगे कब तलक
अलमकशों ! उठो कि सर पे आफ़ताब आ गया

Added by Rina Badiani Manek on January 27, 2015 at 6:59am — No Comments

ઓરડો

છે પારદર્શક તેથી જ તે કદી અંજાતું નથી,
ભીંતો ન હોવાથી જ, અંધારું બંધાતું નથી;
અંજાઉ છું જ્યારેય, હું ઓરડામાં જાઉં ત્યરે ,
તિરાડોમાં અજવાળું ક્યારેય ફસાતું નથી.

જનક

Added by Janak Desai on January 27, 2015 at 1:40am — No Comments

विश्वास करना चाहता हूँ / अशोक वाजपेयी

विश्वास करना चाहता हूँ कि

जब प्रेम में अपनी पराजय पर

कविता के निपट एकांत में विलाप करता हूँ

तो किसी वृक्ष पर नए उगे किसलयों में सिहरन होती है

बुरा लगता है किसी चिड़िया को दृश्य का फिर भी इतना हरा-भरा होना

किसी नक्षत्र की गति पल भर को धीमी पड़ती है अंतरिक्ष में

पृथ्वी की किसी अदृश्य शिरा में बह रहा लावा थोड़ा बुझता है

सदियों के पार फैले पुरखे एक-दूसरे को ढाढ़स बंधाते हैं

देवताओं के आंसू असमय हुई वर्षा में झरते हैं

मैं रोता हूँ

तो पूरे ब्रह्मांड… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 25, 2015 at 11:04pm — No Comments

અસ્તિત્વ

આમ તો હું પારદર્શક, તોય જાણે ભીંત સમ,
ના કશું તોડી શકાય, ના બારણું ટાંગી શકાય.

જનક

Added by Janak Desai on January 25, 2015 at 8:42pm — No Comments

तुमको मेरे मरने की ये हसरत ये तमन्ना / दाग़ देहलवी

तुमको मेरे मरने की ये हसरत ये तमन्ना
अच्छों को बुरी बात का अरमाँ नहीं देखा

लो और सुनो, कहते हैं वो देख के मुझको
जो हाल सुना था वो परीशाँ नहीं देखा

तुम मुँह से कहे जाओ कि देखा है ज़माना
आँखें तो ये कहती हैं कि हाँ हाँ नहीं देखा

कहती है मेरी कब्र पे रो रो के मुहब्बत
यूँ ख़ाक में मिलते हुए अरमाँ नहीं देखा

क्यों पूछते हो कौन है ये किसकी है शोहरत
क्या तुमने कभी 'दाग़' का दीवाँ नहीं देखा

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2015 at 5:09pm — No Comments

हरिवंशराय बच्चन...

मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक

कविता लिखना चाहता हूँ।

चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हारे शब्दों में

मेरे परों की रंगीनी है?'

मैंने कहा, 'नहीं'।

'तुम्हारे शब्दों में मेरे कंठ का संगीत है?'

'नहीं।'

'तुम्हारे शब्दों में मेरे डैने की उड़ान है?'

'नहीं।'

'जान है?'

'नहीं।'

'तब तुम मुझ पर कविता क्या लिखोगे?'

मैनें कहा, 'पर तुमसे मुझे प्यार…

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Added by Juee Gor on January 20, 2015 at 9:36am — No Comments

दुआ जो मेरी बेअसर हो गई / इस्मत ज़ैदी



दुआ जो मेरी बेअसर हो गई

फिर इक आरज़ू दर बदर हो गई



वफ़ा हम ने तुझ से निभाई मगर

निगह में तेरी बेसमर हो गई



तलाश ए सुकूँ में भटकते रहे

हयात अपनी यूंही बसर हो गई



कड़ी धूप की सख़्तियाँ झेल कर

थी ममता जो मिस्ले शजर हो गई



न जाने कि लोरी बनी कब ग़ज़ल

"ज़रा आँख झपकी सहर हो गई"



वो लम्बी मसाफ़त की मंज़िल मेरी

तेरा साथ था ,मुख़्तसर हो गई



मैं जब भी उठा ले के परचम कोई

तो काँटों भरी रहगुज़र हो… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 20, 2015 at 8:58am — No Comments

અસંગતા : / જલકમલવત્ :

કમળનું જતન કાદવમાં થતું હોવા છતાં, અંતે તેને, નિજ ના સદગુણો, ખૂબસૂરતી, કોમળતા અને માધુર્ય ને લઇ ને, દેવ મસ્તકે શોભવા મળે છે. કમળમાં અસંગતા નો ગુણ છે. કાદવ મધ્યે રહેવા છતાં, કાદવ તેને સ્પર્શી નથી શકતો. તે જ રીતે, પ્રણય પણ માનવ જીવનમાં, અનેક વિઘ્નો રજૂ કરતો હોવા છતાં, સહુના હર્દયે શોભ્યા જ કરે છે. માનવી માત્રનો ધબકાર છે, પ્રાણ છે. પ્રેમનો સંબંધ અને સંદર્ભ પ્રભુ સાથે છે. પ્રભુત્વ નિરાકાર છે, નિર્મળ છે, નિસ્વાર્થી છે.



અસંગતા : / જલકમલવત્… Continue

Added by Janak Desai on January 19, 2015 at 11:54pm — No Comments

भूल जाते हैं हम.... है ना! !

Added by Janak Desai on January 19, 2015 at 3:00am — No Comments

છાતી સરસાં ચાંપેલ સ્મરણો :

ક્યારેક...

સાંજ ઢળ્યે,

ઘૂંઘટ સમ ક્ષિતિજ પછીત

શરમના શેરડા જ્યારે વિખેરાય,

‘ને, વહેલી સવારે

એજ ક્ષિતિજ મલકાતી નીખરે,…

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Added by Janak Desai on January 19, 2015 at 1:30am — No Comments

नाव में बहते -बहते / गुलज़ार

नाव में बहते-बहते इक नज़्म मेरी पानी में गिरी और गलने लगी
काग़ज़ का पैराहन था
मेरी तहरीर न थाम सका

सियाही फैल गई पहले
फिर लफ़्ज़ गले, और एकएक करके डूब गये
टूटते मिसरों की हिचकी, कुछ दूर सुनाई दी और फिर
बाक़ीमांदा......
कुछ मानी थे
कुछ देर किसी तलछट की तरह
पानी की सतह पर तैरे और फिर बहते-बहते
आँख से ओझल होते गये !

Added by Rina Badiani Manek on January 18, 2015 at 9:06pm — No Comments

दह्र के अंधे कुएँ में कसके आवाज़ लगा / इक़बाल साजिद

दह्र के अंधे कुएँ में कसके आवाज़ लगा

कोई पत्थर फ़ेककर पानी का अंदाज़ा लगा



रात भी अब जा रही है अपनी मंज़िल की तरफ़

किसकी धून में जागता है, घर का दरवाज़ा लगा



काँच के बरतन में जैसे सुर्ख़ कागज़ का गुलाब

वह मुझे उतना ही अच्छा और तरोताज़ा लगा



शहर की सड़कों पे अंधी रात के पिछले पहर

मेरा ही साया मुझे रंगों का शीराज़ा लगा



जाने रहता है कहाँ इक़बाल साजिद इन दिनों

रातदिन देखा है उसके घर का दरवाज़ा लगा







दह्र -… Continue

Added by Rina Badiani Manek on January 18, 2015 at 8:05pm — No Comments

'બધું ચાલશે' ,

'બધું ચાલશે' , 'ફાવશે ', 'ગમશે' ,'કઈ વાંધો નઈ' , 'મારાથી ભૂલ થઇ ગઈ' ,'હું આપની માફી માંગું છું' , 'હમણાજ કરી લઉં' , 'ભલે' , 'બહુ સારું' ,

આટલા જાદુઈ શબ્દો નો ઉપયોગ કરતા શીખી લેશો તો તમારા જીવનની તમામ સમસ્યાઓ ચમત્કારિક રીતે દુર થતી દેખાશે.

----કેતન મોટલા "રઘુવંશી" …

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Added by Ketan Motla on January 18, 2015 at 10:53am — No Comments

ઘરઘર રમત્યું :

ઘરઘર રમત્યું :

હું, અને તું ,

વૃક્ષની ઓલી ડાળીઓની જેમ,

ભેળા રહી અળગા થતા રહ્યા;…

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Added by Janak Desai on January 18, 2015 at 1:04am — No Comments

શમણાંઓ ના સંગે

કૌમાર્યથી અળગા થવા,

ઉત્સુક હતી, હું કેટલી !

કે આગમાં લપકી જતાં,

તે પતંગિયાના જેટલી;

ટોળા મહીં નજર્યું…

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Added by Janak Desai on January 18, 2015 at 12:48am — No Comments

એટલે જ ...

ગઝલ : ગાગાલગા ના ચાર આવર્તન

કે ‘રાખમાં ભળવું રહ્યું’ : જાણ્યું હતું મેં, એટલે જ,

તે રાખથી અળગા રહી જીવ્યા કર્યું છે એટલે જ;…

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Added by Janak Desai on January 18, 2015 at 12:46am — No Comments

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परिक्षा

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:19pm 0 Comments

होती है आज के युग मे भी परिक्षा !



अग्नि ना सही

अंदेशे कर देते है आज की सीता को भस्मीभूत !



रिश्तों की प्रत्यंचा पर सदा संधान लिए रहेता है वह तीर जो स्त्री को उसकी मुस्कुराहट, चूलबलेपन ओर सबसे हिलमिल रहेने की काबिलियत पर गडा जाता है सीने मे !



परीक्षा महज एक निमित थी

सीता की घर वापसी की !



धरती की गोद सदैव तत्पर थी सीताके दुलार करने को!

अब की कुछ सीता तरसती है माँ की गोद !

मायके की अपनी ख्वाहिशो पर खरी उतरते भूल जाती है, देर-सवेर उस… Continue

ग़ज़ल

Posted by Hemshila maheshwari on March 10, 2024 at 5:18pm 0 Comments

इसी बहाने मेरे आसपास रहने लगे मैं चाहता हूं कि तू भी उदास रहने लगे

कभी कभी की उदासी भली लगी ऐसी कि हम दीवाने मुसलसल उदास रहने लगे

अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे

तुझे हमारा तबस्सुम उदास करता था तेरी ख़ुशी के लिए हम उदास रहने लगे

उदासी एक इबादत है इश्क़ मज़हब की वो कामयाब हुए जो उदास रहने लगे

Evergreen love

Posted by Hemshila maheshwari on September 12, 2023 at 10:31am 0 Comments

*પ્રેમમય આકાંક્ષા*



અધૂરા રહી ગયેલા અરમાન

આજે પણ

આંટાફેરા મારતા હોય છે ,

જાડા ચશ્મા ને પાકેલા મોતિયાના

ભેજ વચ્ચે....



યથાવત હોય છે

જીવનનો લલચામણો સ્વાદ ,

બોખા દાંત ને લપલપતી

જીભ વચ્ચે



વીતી ગયો જે સમય

આવશે જરુર પાછો.

આશ્વાસનના વળાંકે

મીટ માંડી રાખે છે,

ઉંમરલાયક નાદાન મન



વળેલી કેડ ને કપાળે સળ

છતાંય

વધે ઘટે છે હૈયાની ધડક

એના આવવાના અણસારે.....



આંગણે અવસરનો માહોલ રચી

મૌન… Continue

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

Posted by Pooja Yadav shawak on July 31, 2021 at 10:01am 0 Comments

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो

यूँ तो जलती है माचिस कि तीलियाँ भी

बात तो तब है जब धहकती मशाल बनो



रोक लो तूफानों को यूँ बांहो में भींचकर

जला दो गम का लम्हा दिलों से खींचकर

कदम दर कदम और भी ऊँची उड़ान भरो

जिन्दा हों तो जिंदगी कि मिसाल बनो

झूठ का साथी नहीं सच का सवाल बनो



यूँ तो अक्सर बातें तुझ पर बनती रहेंगी

तोहमते तो फूल बनकर बरसा ही करेंगी

एक एक तंज पिरोकर जीत का हार करो

जिन्दा हों तो जिंदगी… Continue

No more pink

Posted by Pooja Yadav shawak on July 6, 2021 at 12:15pm 1 Comment

नो मोर पिंक

क्या रंग किसी का व्यक्तित्व परिभाषित कर सकता है नीला है तो लड़का गुलाबी है तो लड़की का रंग सुनने में कुछ अलग सा लगता है हमारे कानो को लड़कियों के सम्बोधन में अक्सर सुनने की आदत है.लम्बे बालों वाली लड़की साड़ी वाली लड़की तीख़े नयन वाली लड़की कोमल सी लड़की गोरी इत्यादि इत्यादि

कियों जन्म के बाद जब जीवन एक कोरे कागज़ की तरह होता हो चाहे बालक हो बालिका हो उनको खिलौनो तक में श्रेणी में बाँट दिया जता है लड़का है तो कार से गन से खेलेगा लड़की है तो गुड़िया ला दो बड़ी हुई तो डांस सिखा दो जैसे… Continue

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी

Posted by Pooja Yadav shawak on June 25, 2021 at 10:04pm 0 Comments

यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
न रुलाती तू मुझे अगर दर्द मे डुबो डुबो कर
फिर खुशियों की मेरे आगे क्या औकात थी
तूने थपकियों से नहीं थपेड़ो से सहलाया है
खींचकर आसमान मुझे ज़मीन से मिलाया है
मेरी चादर से लम्बे तूने मुझे पैर तो दें डाले
चादर को पैरों तक पहुंचाया ये बड़ी बात की
यूँ ही मिल जाती जिंदगी तो क्या बात थी
मुश्किलों ने तुझे पाने के काबिल बना दिया
Pooja yadav shawak

Let me kiss you !

Posted by Jasmine Singh on April 17, 2021 at 2:07am 0 Comments

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है खुद के दर्द पर खामोश रहते है जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है वो जो हँसते…

Posted by Pooja Yadav shawak on March 24, 2021 at 1:54pm 1 Comment

वो जो हँसते हुए दिखते है न लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है
पराये अहसासों को लफ़्ज देतें है
खुद के दर्द पर खामोश रहते है
जो पोछतें दूसरे के आँसू अक्सर
खुद अँधेरे में तकिये को भिगोते है
वो जो हँसते हुए दिखते है लोग
अक्सर वो कुछ तन्हा से होते है

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